गाजियाबाद में फोर्ड इंडिया के डीलर अभिमन्यु दीपक अग्रवाल के लिए 9 सितंबर, 2021 की शुरुआत काफी अच्छी रही थी। उनके डीलरशिप आदिव फोर्ड पर बिक्री सर्वोच्च स्तर पर थी। मांग इतनी ज्यादा थी कि इकोस्पोर्ट की प्रतीक्षा अवधि करीब छह महीने की थी। हालांकि उनके लिए दिन की समाप्ति झटका देने वाली खबर के साथ हुई : अमेरिकी वाहन निर्माता ने भारत से निकासी की घोषणा की।
फोर्ड के निकलने के तीन साल बाद पुरानी कार के बाजार में फोर्ड इकोस्पोर्ट की काफी मांग देखने को मिल रही है, जहां पिछले साल के मुकाबले कीमतों में बढ़ोतरी नजर आई है।
यह ऐसे समय में हुआ जब पुरानी कार के बाजार में 10 अग्रणी कारों की औसत कीमत में सितंबर में 3 से 9 फीसदी की गिरावट आई है (5 साल पुरानी), लेकिन मारुति की डिजायर व बलेनो इसकी अपवाद है, जहां कीमतें क्रमश: 7 व 8 फीसदी बढ़ी है।
श्रीराम मोबिलिटी की रिपोर्ट से यह जानकारी मिली, जो भारतीय वाहन बाजार पर मासिक डेटा रिपोर्ट है। पुरानी कार बेचने वाली श्रीराम ऑटोमॉल इंडिया के मुख्य कार्याधिकारी समीर मल्होत्रा ने कहा, वित्त वर्ष 22-23 से वित्त वर्ष 23-24 में हालांकि बिक्री घटी, लेकिन फोर्ड इकोस्पोर्ट की मांग वित्त वर्ष 24-25 में अपेक्षाकृत मजबूत बनी रही। अगर यह ट्रेंड जारी रहता है तो कुल विक्री वित्त वर्ष 24-25 में पिछले साल के आंकड़े पर पहुंच सकती है। फोर्ड एंडेवर की मांग भी स्थिर बनी हुई है।
भारतीय एसयूवी बाजार को आकार देने में इकोस्पोर्ट की भूमिका का उदाहरण ह्युंडै मोटर के आईपीओ के विवरणिका मसौदे (Hyundai IPO DRHP) में भी देखा जा सकता है। ह्युंडै मोटर ने डीआरएचपी में कहा है, फोर्ड इकोस्पोर्ट की पेशकश से भारत में वित्त वर्ष 2014 के दौरान कॉम्पैक्ट एसयूवी सब-सेगमेंट को काफी प्रोत्साहन मिला।
पांच साल पुराने इकोस्पोर्ट की कीमत इस साल 5.55 लाख रुपये रही, जो पिछले साल की समान अवधि में 5.40 लाख थी। इस ब्रांड की उच्च मांग ऐसे समय में देखने को मिल रही है जब पुरानी कार के बाजार में वॉल्यूम के लिहाज से सबसे ज्यादा बिकने वाले मॉडल की कीमत में गिरावट देखने को मिल रही है।
मारुति स्विफ्ट की औसत कीमत 6 फीसदी घटी जबकि टाटा नैक्सन की 8 फीसदी, टाटा हैरियर की 3 फीसदी घटी है। श्रीराम मोबिलिटी की रिपोर्ट से यह जानकारी मिली।