ओला और उबर को टक्कर देने के लिए सहकार टैक्सी कोऑपरेटिव जल्द सड़कों पर फर्राटा लगाने वाली है। सहकार कोऑपरेटिव सहकारिता ढांचे पर तैयार भारत की पहली ऐप-आधारित टैक्सी सेवा है। वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि बहु-राज्य सहकारी समिति अधिनियम के अंतर्गत यह पंजीकृत हुई है और इसकी अधिकृत पूंजी 300 करोड़ रुपये है। सहकार टैक्सी इस साल दिसंबर से शुरू में दिल्ली, गुजरात और महाराष्ट्र में अपनी सेवा शुरू करेगी और धीरे-धीरे पूरे देश में अपनी मौजूदगी दर्ज कराएगी।
कुछ महीने पहले केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने सहकारी क्षेत्र में टैक्सी सेवा शुरू करने की इच्छा जताई थी। सहकार टैक्सी प्लेटफॉर्म के साथ दोपहिया, रिक्शा, टैक्सी और चार पहिया वाहन भी जुड़ सकेंगे।
सरकार टैक्सी कोऑपरेटिव शुरू करने में आठ प्रमुख सहकारी संस्थानों ने पहल की है। इनमें राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी), आनंद मिल्क यूनियन, भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (नाफेड), राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड), भारतीय किसान उर्वरक सहकारिता (इफको), कृषक भारत सहकारिता (कृभको), राष्ट्रीय दुग्ध विकास बोर्ड (एनडीडीबी) और राष्ट्रीय सहकारी निर्यात शामिल रहे हैं।
प्रत्येक प्रवर्तक ने 10-10 करोड़ रुपये देने का वादा किया है जिससे इस टैक्सी कोऑपरेटिव के लिए शुरुआती पूंजी 80 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है। माना जा रहा है कि शुरू में 400 टैक्सी चालक इस सेवा के साथ जुड़ेंगे। जुड़ने के छह महीने बाद प्रत्येक चालक को सदस्य बनने के लिए 100-100 रुपये मूल्य के पांच शेयर खरीदने की अनुमति दी जाएगी।
इस योजना से वाकिफ एक अधिकारी ने कहा, ‘ओला और उबर से अलग सहकार टैक्सी तीन प्रमुख सिद्धांतों पर परिचालन करेगी। सबसे पहले चालकों एवं यात्रियों दोनों के लिए उचित एवं पारदर्शी मूल्य सुनिश्चित किया जाएगा (सर्ज प्राइसिंग की अनुमति नहीं होगी।) इसके बाद मुनाफा चालकों के बीच वितरित कर दिया जाएगा और तीसरी बात यह कि चालकों के लिए सामाजिक सुरक्षा का प्रावधान होगा।’
उन्होंने कहा कि सहकारी टैक्सी सेवा मुनाफे के लिए कारोबार नहीं करेगी और जो भी मुनाफा आएगा वह चालकों के बीच बांट दिया जाएगा और एक हिस्सा उनके सामाजिक लाभ के मद में जाएगा। अधिकारी ने कहा, ‘इस सेवा के लिए राइड-शेयरिंग ऐप्लिकेशन तैयार करने के लिए तकनीकी साझेदारों के साथ बातचीत शुरू हो गई है।’