डेलॉइट के 2023 ऑटोमेटिव कंज्यमूर स्टडी के अनुसार दो तिहाई उपभोक्ताओं की चिंता पूरी तरह बैटरी चालित इलेक्ट्रिक वाहन (बीईवी) को बेचने पर मिलने वाली कीमत है। भारत में इलेक्ट्रिक वाहन तेजी से स्वीकार किए जाने के दौर में भी 53 फीसदी उपभोक्ता अगली कार खरीदने पर पेट्रोल या डीजल इंजन के वाहन का विकल्प अपना सकते हैं।
करीब 20 फीसदी लोग हाईब्रिड इलेक्ट्रिक वाहनों को खरीदने के लिए तैयार हैं। हालांकि केवल आठ फीसदी लोग ही पूरी तरह बैटरी चालित इलेक्ट्रिक वाहन (बीईवी) खरीदने की चाहत रख रहे हैं। ऐसे में उत्साहवर्धक यह है कि लोगों का रुझान निश्चित रूप से ईवी की ओर बढ़ रहा है।
साल 2022 के सर्वेक्षण के मुताबिक केवल पांच फीसदी लोग ही बीईवी को पसंद कर रहे थे जबकि 2023 में यह संख्या बढ़कर 8 फीसदी हो गई। हालांकि बीते साल की तुलना में इस साल पेट्रोल/डीजल इंजन चालित को प्राथमिकता देने वालों की संख्या 58 फीसदी से गिरकर 53 फीसदी हो गई।
उपभोक्ताओं के ईवी अपनाने का प्रमुख कारण ईंधन की लागत कम आना है। सर्वेक्षण के अनुसार ज्यादातर उपभोक्ता पेट्रोल-डीजल इंजन और ईवी दोनों पर चलने वाले अपने अगले वाहन की कीमत 25 लाख से कम होने की उम्मीद कर रहे हैं।
ज्यादातर ईवी वाहन खरीदने के इच्छुक उपभोक्ता अपने वाहन को घर पर चार्ज करने की योजना बना रहे हैं। इसके तहत उपभोक्ता चार्जर को नियमित पॉवर ग्रिड और/या वैकल्पिक ऊर्जा स्रोत से जोड़ेंगे।
घर पर वाहन चार्ज नहीं करने वालों का तर्क यह है कि इसे स्थापित करने की लागत अधिक आएगी। ऐसे में उपभोक्ताओं की प्राथमिकता यह रहेगी कि प्रतिबद्ध चार्जिंग स्टेशन हो और इसमें जलपान, वाई-वाई क्नेक्टिविटी और सुकून से बैठने आदि की सुविधा उपलब्ध हो। आधे ज्यादा ग्राहक अपने वाहन की शून्य से 80 फीसदी चार्जिंग के लिए 10 से 40 मिनट इंतजार करने के लिए तैयार हैं।
ईवी को अपनाने के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती यह है कि बाद में उन्हें अपने वाहन की क्या कीमत मिलेगी- दो तिहाई उपभोक्ताओं की चिंता बीईवी को बेचने पर मिलने वाली कीमत है। उपभोक्ताओं की चिंता लंबे समय तक बैटरी के चलने पर भी केंद्रित है।
हालांकि रोचक तथ्य यह है कि सतत पर्यावरण अनुकूल और ‘सिंथेटिक कंबस्टन फ्यूल’ उपलब्ध होने की स्थिति में उपभोक्ता ईवी खरीदने के विकल्प पर पुनर्विचार कर सकते हैं। गैर बीईवी की चाहत रखने वाले 76 फीसदी लोग चाहते हैं कि पूरी तरह बीईवी चार्ज होने पर 200 से 500 किलोमीटर का सफर तय किया जा सके। तभी यह उनके लिए अगला वाहन खरीदने के लिए एक व्यावहारिक विकल्प होगा।
ईवी अपनाने के मामले में मुख्य चुनौती के बारे में पूछे जाने पर उपभोक्ताओं ने चार्जिंग के अपर्याप्त मूलभूत ढांचे, बेहतर सुरक्षा वाली तकनीक और दाम पहुंच में होने को गिनाया।
इस सर्वेक्षण में एक रोचक तथ्य यह भी उजागर हुआ कि कार इस्तेमाल करने वाले 48 फीसदी उपभोक्ताओं की अगला वाहन पुराना खरीदने में रुचि है। इनमें केवल 6 फीसदी लोग ही नया वाहन खरीदना चाहते हैं।
सितंबर से दिसंबर के बीच हुए डेलॉइट के सर्वेक्षण में 26,000 से अधिक उपभोक्ताओं से उनकी राय प्राप्त की गई थी। इसमें वाहन उद्योग को प्रभावित करने वाले मुद्दों जैसे इलेक्ट्रिक वाहन अपनाने में ग्राहकों की रुचि, ब्रांड और आधुनिकत तकनीक के बारे में सवाल पूछे गए थे।