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AI से बढ़ रही प्राइवेसी संबंधी चिंताएं, सतर्क हो रहीं कंपनियां

AI Impact on Data Security : भारत में 92% पेशेवरों का मानना है कि डेटा सुरक्षा ग्राहकों की खरीदारी का महत्वपूर्ण कारक है

Last Updated- January 29, 2024 | 11:16 PM IST
GenAI में अपना निवेश बढ़ा सकती हैं IT कंपनियां, IT services companies likely to intensify investments in GenAI in 2024

तमाम कंपनियों को जेनरेटिव आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (जेनAI) के उपयोग पर बढ़ती गोपनीयता संबंधी चिंताओं का सामना करना पड़ रहा है। सिस्को के ताजा डेटा प्राइवेसी बेंचमार्क स्टडी के अनुसार, गोपनीयता में निवेश पर आकर्षक रिटर्न जरूर मिलता है लेकिन जेनAI के उपयोग पर गोपनीयता संबंधी चिंताएं भी बढ़ रही हैं।

अध्ययन के दौरान 12 देशों के 2,600 गोपनीयता एवं सुरक्षा पेशेवरों से बातचीत के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला गया है। सिस्को के मुख्य विधि अधिकारी देव स्टालकॉफ ने कहा, ‘कंपनियां जेनAI को बुनियादी तौर पर एक अलग प्रौद्योगिकी के रूप में देखती हैं, जिसमें तमाम नई चुनौतियों पर गौर करने की जरूरत है।’

उन्होंने कहा, ’90 फीसदी से अधिक प्रतिभागियों का मानना है कि जेनAI को डेटा और जोखिम को प्रबंधित करने के लिए नई तकनीक की जरूरत है। इस पर विचार करने की जरूरत है क्योंकि ग्राहकों के विश्वास को बनाए रखना इसी पर निर्भर करता है।’

भारत के बारे में इस रिपोर्ट के निष्कर्षों से पता चलता है कि 92 फीसदी प्रतिभागियों का मानना था कि अगर वे अपने ग्राहकों के डेटा को पर्याप्त सुरक्षित नहीं रखेंगे तो वे उनसे खरीदारी नहीं करेंगे।

हाल के वर्षों में डेटा सुरक्षा पर सबसे अधिक ध्यान दिया जा रहा है। सौ फीसदी प्रतिभागियों ने कहा कि बाहरी गोपनीयता प्रमाणपत्र ग्राहकों के खरीदारी निर्णय को प्रभावित करने वाला एक महत्त्वपूर्ण कारक है।

भारत में 98 फीसदी प्रतिभागियों का कहना था कि डेटा का नैतिक उपयोग करना कंपनियों की जिम्मेदारी है। इसी प्रकार 96 फीसदी प्रतिभागियों ने सहमति जताई कि गोपनीयता एक व्यावसायिक अनिवार्यता है, न कि महज एक अनुपालन बोझ। करीब 95 फीसदी प्रतिभागियों ने संकेत दिया कि गोपनीयता के लाभ उसकी लागत के मुकाबले काफी अधिक हैं।

भारत में 95 फीसदी प्रतिभागियों ने माना कि उन्हें अपने ग्राहकों को आश्वस्त करने के लिए काफी अधिक प्रयास करने की जरूरत है। ग्राहकों को यह आश्वस्त किया जाना चाहिए कि AI में केवल अपेक्षित एवं वैध उद्देश्यों के लिए उनके डेटा का उपयोग किया जा रहा है। भारत में 69 फीसदी प्रतिभागियों ने कहा कि कंपनियां आश्वस्त कर रही हैं कि डेटा के उपयोग और AI के बारे में ग्राहकों को नए सिरे से आश्वस्त करने की प्रक्रिया में मानव शामिल है।

जहां तक डेटा स्थानीयकरण का सवाल है तो 97 फीसदी प्रतिभागियों ने कहा कि अगर डेटा का भंडारण अपने ही देश या क्षेत्र में किया जाए तो वह काफी सुरक्षित होगा। मगर 96 फीसदी प्रतिभागियों ने कहा कि डेटा स्थानीयकरण से कारोबार की लागत बढ़ जाएगी।

भारत में 88 फीसदी प्रतिभागियों ने कहा कि गोपनीयता कानून का उनके कारोबार पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। महज 6 फीसदी प्रतिभागियों ने कहा कि गोपनीयता कानून का उनके कारोबार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।

सिस्को के निदेशक (सुरक्षा कारोबार- भारत एवं सार्क) समीर कुमार मिश्र ने कहा, ‘आज की डिजिटल-फर्स्ट दुनिया में डेटा काफी मूल्यवान परिसंपत्ति है। इसलिए इसकी सुरक्षा केवल अनुपालन का मामला ही नहीं बल्कि कारोबारी अनिवार्यता भी है।

यह अध्ययन एक महत्त्वपूर्ण वास्तविकता को रेखांकित करता है। करीब 92 फीसदी प्रतिभागियों ने माना कि यदि डेटा सुरक्षा उपायों में कमी आने पर ग्राहकों का भरोसा दांव पर लग सकता है। इससे पता चलता है कि ग्राहकों के खरीद निर्णयों को प्रभावित करने में दमदार गोपनीयता दस्तूर की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है।’

First Published - January 29, 2024 | 11:16 PM IST

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