भारत में देसी ग्राफिक प्रोसेसिंग यूनिट (जीपीयू) तैयार करने के लिए तीन वैश्विक कंपनियां सरकार के साथ करार के लिए चर्चा कर रही हैं। जीपीयू के जरिये आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) तैयार किया जाता है। ह्युलिट पैकर्ड एंटरप्राइज (एचपी), एडवांस्ड माइक्रो डिवाइसेस (एएमडी) और एनवीडिया इस बारे में सरकार से बात कर रही है।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के मुताबिक चर्चा जारी है और करार पर जल्द फैसला लिया जाएगा। मगर एनवीडिया के प्रवक्ता इस मसले पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया और एचपीई और एएमडी ने इस बारे में भेजे गए ईमेल का कोई जवाब नहीं दिया।
हाल ही में इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी तथा रेलवे और सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बिज़नेस स्टैंडर्ड के साथ बातचीत में कहा था कि मेक इन इंडिया जीपीयू के लिए सरकार की उद्योग के साथ चर्चा चल रही है और सरकार इसे समर्थन देगी। उन्होंने बताया कि इसके लिए सेंटर फॉर डेवलपमेंट फॉर एडवांस्ड कंप्यूटिंग के साथ पहले से ही बातचीत हो रही है और वैश्विक कंपनियों के साथ भी विमर्श जारी है।
यह चर्चा ऐसे वक्त में की जा रही है जब इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रसारण मंत्रालय ने उन कंपनियों की पहली ही पहचान कर ली है, जो देश में महत्त्वपूर्ण एआई बुनियादी ढांचा बनाने में जरूरी जीपीयू खरीद में मदद करेगी। सरकार को 18,000 से अधिक जीपीयू के लिए प्रस्ताव मिले हैं, जो उसके तय लक्ष्य (10,000) से करीब दोगुना है। देश का सबसे बड़ा सुपर कंप्यूटर 700 जीपीयू पर चलता है।
कंपनियों ने आवेदन में जीपीयू की एक श्रृंखला की पेशकश की है, जिसमें एनवीडिया ने एच100, एच200, ए100 और एल4, एएमडी ने एमआई 325एक्स, इंटेल ने गॉडी-2 बीबीएस समेत अन्य शामिल हैं। उद्योग के सूत्रों ने कहा कि मूल्य सीमा विभिन्न जीपीयू में ऑन डिमांड कंप्यूटिंग के लिए कम से कम 64 रुपये प्रति घंटे से शुरू होती है। वैष्णव ने कहा कि ये स्टार्टअप, शोध केंद्र और विश्वविद्यालयों को करीब 1 डॉलर प्रति घंटे की दर से कंप्यूंटिंग शक्ति प्रदान करेगा, जो दुनिया में सबसे
सस्ता होगा।
मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों ने कहा कि भले ही भारत में डिजाइन किए गए प्रस्तावित जीपीयू प्रसंस्करण शक्ति में उन्नत नहीं हो, लेकिन यह किफायती होंगे और नवाचार के साथ एआई के लिए एक शक्तिशाली उपकरण पेश कर सकते हैं।