आर्थिक समीक्षा में पहले लॉकडाउन के तुरंत बाद मनरेगा में काम की मांग बढऩे को लेकर सवाल उठाए गए हैं और कहा गया है कि क्या सचमुच ऐसा था कि शहरों से गांवों की ओर पलायन के कारण ऐसा हुआ, जैसा कि अब तक माना जा रहा है। राज्य स्तर के आंकड़ों के विश्लेषण के […]
मौजूदा रफ्तार पर मनरेगा को चाहिए 1 लाख करोड़ रुपये
आर्थिक गतिविधि के सामान्य होने की शुरुआत हो जाने के बावजूद मनरेगा के लिए मांग मजबूत बनी हुई है। यह जानकारी ताजा आंकड़ों से प्राप्त हुई है। इससे ग्रामीण रिकवरी की शुरुआत करने के लिए आगामी बजट में इस योजना के लिए उचित धन आवंटन की आवश्यकता नजर आती है। मनरेगा बजट का एक बड़ा […]
अर्थशास्त्रियों ने की मनरेगा के लिए ज्यादा धन की मांग
अर्थशास्त्रियों के एक समूह ने प्रधानमंत्री को लिखे एक खुले पत्र में मनरेगा के लिए अतिरिक्त धन आवंटन की मांग की है, जिससे काम की मांग पूरी की जा सके, जैसा कि कानून में प्रावधान है। अर्थशास्त्रियों ने पत्र में कहा है, ‘यह (अतिरिक्त धन का आवंटन) भारी मांग के मुताबिक होगा और कुल मिलाकर […]
अर्थव्यवस्था खुलने के बावजूद वित्त वर्ष 22 में महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) में काम की मांग तेज है। सामाजिक कार्यकर्ताओं और विशेषज्ञों का मानना है कि मौजूदा जरूरतों को पूरा करने के लिए कम से कम 32,000 करोड़ रुपये अतिरिक्त समर्थन की जरूरत है। इस वित्त वर्ष के बजट में मनरेगा के […]
कीमतों में बढ़ोतरी के बावजूद सुधार की उम्मीद, मांग संबंधी रुझान में सुधार और बाजार हिस्सेदारी में बढ़ोतरी के मद्देनजर देश की सबसे बड़ी उपभोक्ता वस्तु कंपनी हिंदुस्तान यूनिलीवर (एचयूएल) के लिए ब्रोकरेज ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है। पिछले छह महीनों के दौरान एचयूएल के शेयर में स्थिरता रहने के बाद जून के दौरान इसमें […]
अप्रैल में 2.7 करोड़ परिवारों ने मनरेगा में मांगा काम
अप्रैल 2021 में करीब 2.73 करोड़ परिवारों ने मनरेगा के तहत काम की मांग की है, जो हाल के समय में सर्वाधिक है। ऐसा इसलिए हुआ है कि कोविड-19 की दूसरी लहर के कारण लाखों प्रवासी एक बार फिर अपने घरों को वापस लौट आए हैं। अलबत्ता अप्रैल 2021 के दौरान मनरेगा में नजर आई […]
कोरोना की आपदा में मिला मनरेगा का सहारा
वित्त वर्ष 2020-21 में केंद्र सरकार की महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) बहुत अहम रही है। कठोर लॉकडाउन के दौरान शहरों से विस्थापित होकर गांवों में पहुंचे लाखों लोगों को इसके माध्यम से रोजगार मिला। और पिछले साल जून में लॉकडाउन खत्म किए जाने के बाद भी इस योजना में अस्थायी कामगार […]
देश में शिथिल मौद्रिक नीति और सही-गलत का निर्णय
जिस व्यक्ति को मामले में केवल अपना पक्ष मालूम होता है, वास्तव मेंं वह उसके बारे मेंं काफी कम जानकारी रखता है-जॉन स्टुअर्ट मिल (1860) बीते एक वर्ष के दौरान कम ब्याज दर वाली आर्थिक नीति (शिथिल मौद्रिक नीति) पर जोर देने वाले आर्थिक सलाहकारों का यह कहना एकदम उचित है कि गरीबों के हाथ […]
वित्त वर्ष 22 में जाएगा मनरेगा का बकाया
वित्त वर्ष 2020-21 के केंद्रीय बजट में मनरेगा के तहत व्यय का संशोधित अनुमान बढ़ाकर 1,11,500 करोड़ रुपये किए जाने के बावजूद इस मद में एक मोटी राशि का भुगतान नहीं हो पाने की संभावना है, जिसे अगले वित्त वर्ष में ले जाना होगा। ग्रामीण इलाकों में इस योजना के तहत काम की भारी मांग […]
बजट में नहीं दिखी रोजगार को बढ़ावा देने की मंशा
भारत सरकार देश में रोजगार को लेकर किसी भी तरह की समस्या को मानती ही नहीं है। पिछले कुछ दिनों में देश की आर्थिक स्थिति के बारे में आर्थिक समीक्षा एवं आम बजट के रूप में दो अहम बयान सामने आए हैं। लेकिन इन दोनों में यह नहीं माना गया है कि वित्त वर्ष 2020-21 […]