अप्रैल 2021 में करीब 2.73 करोड़ परिवारों ने मनरेगा के तहत काम की मांग की है, जो हाल के समय में सर्वाधिक है। ऐसा इसलिए हुआ है कि कोविड-19 की दूसरी लहर के कारण लाखों प्रवासी एक बार फिर अपने घरों को वापस लौट आए हैं। अलबत्ता अप्रैल 2021 के दौरान मनरेगा में नजर आई काम की यह अधिक मांग वित्त वर्ष 21 के बाद से दिख रहे रुख के अनुरूप ही है।
वित्त वर्ष 21 के दौरान मनरेगा में काम की मांग पिछले सालों के मुकाबले लगातार ऊंचे स्तर पर बनी रही है, जबकि मासिक आधार पर यह मांग मई और जून 2020 के शीर्ष स्तर के मुकाबले कम है, क्योंकि लॉकडाउन के बाद शहरों में आर्थिक गतिविधियां फिर से शुरू हो गई थीं।
हालांकि इसके बावजूद वित्त वर्ष 21 में हर महीने औसतन दो करोड़ से अधिक लोगों ने इस योजना के तहत काम की मांग की, जिसने काम की मांग और प्रदान किए गए काम के लिहाज से इसे बेहतरीन बना दिया है। वित्त वर्ष 21 में 11 करोड़ लोगों को इस योजना के तहत काम मिला, जो वर्ष 2006 में इसकी शुरुआत के बाद से सर्वाधिक रहा। इस योजना के तहत लगभग 390 करोड़ कार्यदिवस का काम किया गया। यह भी इसकी शुरुआत के बाद से सर्वाधिक रहा।
इस योजना के तहत प्रशासनिक व्यय के साथ-साथ वेतन और सामग्री के लिए खर्च की गई धनराधि 1,10,000 करोड़ रुपये से अधिक थी, जिसमें लगभग 78,000 करोड़ रुपये की बड़ी धनराशि वेतन भुगतान में गई, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड था।
आंकड़े बताते हैंं कि वित्त वर्ष 21 में इस योजना के अंतर्गत करीब 83 लाख काम लिया और किया गया, जो वित्त वर्ष 20 के मुकाबले करीब 11.26 प्रतिशत ज्यादा था। इस योजना के तहत तकरीबन 78 लाख परिवारों ने 100 दिनों का काम पूरा किया, जबकि प्रदान किए गए रोजगार के औसत दिन 52 थे, जो पिछले कुछ सालों में प्रदान किए गए 40 से 42 दिनों के काम के मुकाबले काफी ज्यादा रहे।
हैरानी की बात है कि केंद्रीय योजनाओं को लागू नहीं करने के मामले में चुनाव के दौरान चौतरफा आलोचनाओं का सामना करने वाले पश्चिम बंगाल ने वित्त वर्ष 21 में मनरेगा के क्रियान्वयन या इसके लिए आवंटित धन का व्यय करने के मामले में सराहनीय प्रदर्शन किया है।
वित्त वर्ष 21 में राज्य ने देश में सबसे ज्यादा 1.18 करोड़ लोगों को काम प्रदान किया तथा यह वित्त वर्ष 21 में इस योजना के तहत पैसा खर्च करने वाले शीर्ष राज्यों में शामिल रहा। इस योजना के अंतर्गत आवंटित किए गए धन के व्यय के मामले में इसने उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश के बाद मनरेगा में लगभग 10,403.13 करोड़ रुपये खर्च किए।
वर्ष 2021-22 में मनरेगा के लिए वित्त वर्ष 22 के आम बजट में 73,000 करोड़ रुपये आवंटित किए थे। विशेषज्ञों ने कहा कि इसमें से कम से कम 24 प्रतिशत लंबित बकाया निपटाने में लग जाएगा।
