कटौती की गुंजाइश नहीं यथावत रह सकती हैं दरें
अर्थशास्त्रियों और विशेषज्ञों को 4 दिसंबर को प्रस्तावित मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दरों में किसी तरह के बदलाव की उम्मीद नहीं है। उनके अनुसार आने वाले समय में वित्तीय प्रणाली से कुछ मात्रा में नकदी समेटी जा सकती है, लेकिन दरें तब भी बदलेंगी ऐसा नहीं लग रहा है। बिजनेस स्टैंडर्ड ने 12 अर्थशास्त्रियों […]
अतिरिक्त नकदी से नहीं बढ़ेगी महंगाई
बैंकिंग व्यवस्था में अतिरिक्त नकदी बनी हुई है और भारतीय रिजर्व बैंक इसे सामान्य करने की जल्दबादी में नहीं है। ज्यादा नकदी सामान्यतया चिंता की बाद होती है, क्योंकि इससे महंगाई बढ़ सकती है। लेकिन अभी स्थिति अलग है। इससे महंगाई बढऩे के बजाय बड़ी मात्रा में नकदी से नीतिगत दरों के प्रेषण और सरकार […]
वृहद-आर्थिक स्थायित्व की चुनौतियां
कोविड-19 संकट ने भारतीय अर्थव्यवस्था के नीतिगत परिवेश को बेहद जटिल बना दिया है। अगली कुछ तिमाहियों में मौद्रिक नीति, वित्तीय क्षेत्र नियमन और राजकोषीय नीति से संबंधित निर्णयों का अर्थव्यवस्था पर स्थायी प्रभाव देखने को मिलेगा। जहां तक मौद्रिक नीति का सवाल है तो कुल मुद्रास्फीति कई महीनों से निर्धारित लक्ष्य के ऊपरी दायरे […]
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने आज पूरी तरह साफ कर दिया कि वह सहज दायरे से ज्यादा बाजार दरों को बढऩे देने के पक्ष में नहीं हैं। यही वजह रही कि उसने 10 वर्षीय बेंचमार्क बॉन्ड के तकरीबन पूरे स्टॉक को बेचने से इनकार कर दिया क्योंकि उसके लिए ज्यादा ब्याज दरों की मांग की […]
महामारी के दौर में मौद्रिक नीति
मौद्रिक नीति की दिशा को लेकर काफी चिंताएं हैं। पिछले आठ में से सात महीनों में कुल मुद्रास्फीति 2 से 6 फीसदी सीपीआई मुद्रास्फीति के जरूरी दायरे से बाहर रही है। हालांकि मुद्रास्फीति आंकड़ा अप्रैल 2020 में कीमतों में तेजी दिखाता है जब लॉकडाउन ने आपूर्ति को बाधित कर दिया था। आपूर्ति बाधाओं के कमजोर […]
अप्रत्याशित समय में अपारंपरिक उपाय
वैश्विक वित्तीय संकट ने मौद्रिक नीति के एक नए युग का मार्ग प्रशस्त किया जहां नीतिगत दरों केे पारंपरिक तौर तरीकों के बजाय केंद्रीय बैंक के परिसंपत्ति खरीद कार्यक्रम, अग्रगामी दिशानिर्देश, कॉर्पोरेट डेट और वाणिज्यिक पत्र समेत निजी परिसंपत्ति खरीद जैसे गैर पारंपरिक तौर तरीके अपनाए जाने लगे। क्वांटिटेटिव ईजिंग के कार्यक्रम ने जोखिम अवधि […]