फिक्की-आईबीए के एक सर्वे के अनुसार सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम की ऋण की संपत्ति गुणवत्ता पर दबाव बढ़ेगा, क्योंकि इस क्षेत्र की गैर निष्पादित परिसंपत्तियां अगले छह महीने में बढ़ेगी। सर्वे में उत्तरदाता बैंकर्स ने कुछ उच्च एनपीए जोखिम वाले क्षेत्रों की पहचान की है, जिसमें विमानन, पर्यटन और आतिथ्य, बिजली और खुदरा व्यापार शामिल हैं। उत्तरदाता बैंकों में 65 फीसदी का अनुमान है कि एमएसएमई क्षेत्र में अगले छह महीनों में एनपीए बढ़ेगा। भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की) और इंडियन बैंक एसोसिएशन के सर्वे का 15वां दौर इस वर्ष जनवरी से जून की अवधि का है। सर्वे में सार्वजनिक क्षेत्र, निजी क्षेत्र और विदेशी बैंकों ने हिस्सा लिया था। संपत्ति के आधार पर वर्गीकृत करें तो यह सभी बैंकों की बैंकिंग उद्योग में 76 फीसदी की हिस्सेदारी है। रेटिंग एजेंसी इक्रा के अनुसार, बढ़ती ब्याज दरें और इनपुट लागत मुद्रास्फीति वित्त वर्ष 2023 में उधारकर्ताओं के ऋण चुकाने की क्षमता को प्रभावित कर सकती है। दीर्घकालीन ऋण लेने वाले उधारकर्ता रीपो रेट बढ़ने के कारण अपने समान मासिक किस्तों में वृद्धि देख सकते हैं। इससे खुदरा और एमएसएमई उधारकर्ताओं के ऋण चुकाने की क्षमता को भी प्रभावित करने की आशंका है। आधे से अधिक उत्तरदाताओं का अनुमान है कि दिसंबर 2022 के अंत तक सकल एनपीए का स्तर आठ फीसदी से कम रहेगा। जबकि 33 फीसदी का कहना है कि सकल एनपीए का स्तर आठ से नौ फीसदी के बीच रह सकता है। कोविड-19 के झटकों के बाद उबरी अर्थव्यवस्था, उच्च ऋण वृद्धि, उद्योगों का बेहतरीन प्रदर्शन, पूंजी की स्थिति में सुधार और रिकवरी एजेंसियों के उपयोग से जीएनपीए का स्तर भी ठीक हो रहा है।
