रीपो दर 50 आधार अंक बढ़ी, महंगा होगा कर्ज | सुब्रत पांडा और मनोजित साहा / मुंबई August 06, 2022 | | | | |
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की छह सदस्यों वाली मौद्रिक नीति समिति ने आज रीपो दर में 50 आधार अंक का इजाफा कर दिया। इसके साथ ही रीपो दर 5.4 फीसदी हो गई, जो पिछले तीन साल में इसका सबसे बड़ा स्तर है। मुद्रास्फीति की चिंता और विनिमय दर में उतार-चढ़ाव देखते हुए आरबीआई ने रीपो दर बढ़ाई है।
रीपो दर में बढ़ोतरी से भारतीय स्टेट बैंक जैसे प्रमुख ऋणदाताओं का आवास ऋण महंगा हो जाएगा क्योंकि उनकी ब्याज दर बढ़कर 8 फीसदी के पार पहुंच जाएगी। ज्यादातर ऋणदाताओं के आवास ऋण अभी 7.55 फीसदी ब्याज पर हैं, जो बाह्य बेंचमार्क या रीपो दर से जुड़े हैं।
मौद्रिक नीति समिति के छहों सदस्यों ने एकमत से दर बढ़ाने का निर्णय लिया। समिति ने नरमी या राहत वापस लेने पर जोर दिया मगर बाहरी सदस्य जयंत वर्मा इस रुख से असहमत नजर आए।
दर में वृद्धि अनुमान के मुताबिक ही रही लेकिन आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास के सतर्क और आक्रामक रुख ने बॉन्ड बाजार को भौंचक्का कर दिया। इस हफ्ते बॉन्ड बाजार में इस उम्मीद में तेजी आई थी कि शायद केंद्रीय बैंक अगस्त के बाद दरों में ज्यादा बढ़ोतरी नहीं करने का इशारा करेगा। मगर ऐसा नहीं हुआ और पिछले चार दिन में 17 आधार अंक घटने वाला 10 वर्षीय सरकारी बॉन्ड का प्रतिफल आज 14 आधार अंक उछलकर 7.30 फीसदी पर बंद हुआ।
एचडीएफसी बैंक में मुख्य अर्थशास्त्री अभीक बरुआ ने कहा, ‘हमें लगता है कि केंद्रीय बैंक आगे की नीतिगत बैठकों में भी दर बढ़ाता रहेगा और साल के अंत तक रीपो दर 5.75 फीसदी पर पहुंच सकती है। बॉन्ड बाजार में पिछले कुछ दिनों से जो तेजी आई थी, वह उलट जाएगी और 10 वर्षीय बॉन्ड का प्रतिफल इस तिमाही के अंत तक 7.3 से 7.4 फीसदी के करीब रह सकता है।’
दास ने कहा कि खुदरा मुद्रास्फीति का 7 फीसदी पर रहना अस्वीकार्य है और इसे वापस 4 फीसदी के स्तर पर लाने की जरूरत है। सरकार ने मुद्रास्फीति को इसी दायरे में रखने का लक्ष्य एमपीसी को दिया है।
आरबीआई गवर्नर ने कहा, ‘बाह्य कारकों की अड़चनों के बावजूद वृद्धि की गति मजबूत रहने की उम्मीद है और मध्यम अवधि में मुद्रास्फीति को 4 फीसदी के लक्ष्य तक लाने के लिए मौद्रिक नीति का रुख सख्त रखना ही होगा।’ मौद्रिक नीति समिति ने कहा कि मुद्रास्फीति लंबे समय तक ऊंची बनी रही तो मध्यम अवधि में वृद्धि प्रभावित हो सकती है।
भारतीय स्टेट बैंक समूह के मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष ने कहा, ‘रीपो दर में 50 आधार अंक की बढ़ोतरी से संकेत मिलता है कि आरबीआई को रुपये और बाहरी परिस्थितियों से ज्यादा चिंता है तथा रुपये में कमजोरी रोकने के लिए वह ब्याज दरों का इस्तेमाल कर रहा है।’ केंद्रीय बैंक ने कहा कि जुलाई के अंत में बैंकिंग प्रणाली में नकदी को घटाने के जो उपाय किए थे, उससे मनी मार्केट में दरें रीपो से ऊपर पहुंच गई हैं।
आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि आरबीआई तरलता के मोर्चे पर सजग है और जरूरत पड़ने पर अलग-अलग अवधियों के वेरिएबल दर रीपो (वीआरआर) और वेरिएबल दर रिवर्स रीपो (वीआरआरआर) ऑपरेशन किए जाएंगे।
वृद्धि के मोर्चे पर केंद्रीय बैंक ज्यादा आशान्वित दिखा। दास ने कहा कि शहरी मांग बढ़ी है और ग्रामीण बाजार से भी मिले-जुले संकेत आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि विनिर्माण क्षेत्र में क्षमता उपयोग दीर्घावधि के औसत से ऊपर है और अब अतिरिक्त क्षमता निर्माण के लिए नए निवेश की जरूरत है। उन्होंने कहा कि बैंक की उधारी वृद्धि साल भर पहले के मुकाबले 14 फीसदी बढ़ी है।
उधारी मांग में अच्छी वृद्धि देखी जा रही है, लेकिन जमा वृद्धि कम है। ऐसे में बैंकों को जमा पर ब्याज दरें बढ़ाकर उसे आकर्षक बनाने की जरूरत है। दास ने कहा, ‘जब कर्ज की मांग बढ़ रही हो तब उसे पूरा करने के लिए जमा भी बढ़नी चाहिए। वे उधारी मांग के लिए पूंजी जुटाने की खातिर केंद्रीय बैंक पर निर्भर नहीं रह सकते। उन्हें अपने संसाधनों से पूंजी जुटानी होगी।’
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