टाटा संस की एक सहायक कंपनी टाटा एआईजी जनरल इंश्योरेंस कंपनी रिलायंस कैपिटल की सामान्य बीमा इकाई रिलायंस जनरल इंश्योरेंस कंपनी (आरजीआईसीएल) के अधिग्रहण की दौड़ से पीछे हट गई है। कंपनी इस सौदे में हो रही देरी और उस नियम के संदर्भ में यह पहल की है जिसके तहत आरकैप की सभी बीमा इकाइयों के लिए बोली लगाने की बात कही गई है। लेनदारों ने सभी बीमा इकाइयों के लिए बोल जमा कराने का नियम इसलिए बनाया है ताकि सभी परिसंपत्तियों के लिए बेहतर बोलियां मिल सकें। इस मामले से अवगत एक बैंकर ने कहा, 'टाटा समूह को केवल सामान्य बीमा कंपनी में दिलचस्पी थी लेकिन उन्हें आठ क्लस्टर में से एक के लिए बोली लगाने के लिए कहा गया था। टाटा एआईजी जनरल इंश्योरेंस द्वारा जमा कराई गई अभिरुचि पत्र में स्पष्ट तौर पर बताया गया था कि अन्य कारोबार के लिए बोली लगाने में उसकी कोई दिलचस्पी नहीं है और इसलिए उन्होंने इस दौड़ से बाहर होने का निर्णय लिया है।' टाटा समूह ने इस मुद्दे पर कोई टिप्पणी नहीं की। लेनदारों द्वारा इन परिसंपत्तियों की बिक्री में पहले ही काफी देरी हो चुकी है क्योंकि उन्होंने रिलायंस कैपिटल की परिसंपत्तियों की बिक्री प्रक्रिया को पूरा करने के लिए नवंबर तक का समय मांगा है। रिलायंस कैपिटल की इन परिसंपत्तियों को ऋण समाधान के लिए पिछले साल दिसंबर में दिवालिया अदालत भेजा गया था। टाटा एआईजी का स्वामित्व टाटा संस और एआईजी के पास है, जिनकी कंपनी में क्रमश: 74 फीसदी और 26 फीसदी हिस्सेदारी है। अपनी मूल कंपनी एआईजी से प्राप्त विशेषज्ञता के कारण वाणिज्यिक व्यापार श्रेणी में टाटा एआईजी की मजबूत उपस्थिति है। कंपनी आरजीआईसीएल के अधिग्रहण के जरिये अपने खुदरा और लघु एवं मध्यम उद्यम (एसएमई) कारोबार को रफ्तार देना चाहती थी। वित्त वर्ष 2020-21 तक आरजीआईसीएल सामान्य बीमा क्षेत्र में लगभग 4.2 फीसदी बाजार हिस्सेदारी के साथ गैर-जीवन बीमा क्षेत्र की अग्रणी कंपनी के तौर पर उभर चुकी थी। आरजीआईसीएल का निवेश पोर्टफोलियो 31 दिसंबर 2021 तक 13,861 करोड़ रुपये था जिसमें 13,414 करोड़ रुपये की ऋण प्रतिभूतियां शामिल थीं। डेट में कुल निवेश का लगभग 50 फीसदी हिस्सा सरकारी प्रतिभूतियों में और 24 फीसदी हिस्सा उच्च रेटिंग वाले ऋण पत्रों में निवेश किया गया था। 31 दिसंबर, 2021 को समाप्त नौ महीनों के दौरान आरजीआईसीएल 197 करोड़ रुपये का लाभ कमाया और 7,200 करोड़ का सकल प्रीमियम अर्जित किया। टाटा के इस दौड़ से बाहर निकलने के साथ ही बैंकरों ने कहा कि अब पीरामल एंटरप्राइजेज और टॉरंट समूह के बीच प्रतिस्पर्धा होगी। दोनों कंपनियां फिलहाल सभी परिसंपत्तियों के लिए जांख-परख में जुटी हैं। जहां तक सामान्य बीमा कारोबार का सवाल है तो उसमें ज्यूरिख इंश्योरेंस ग्रुप और अमेरिकी निजी इक्विटी फर्म ब्लैकस्टोन ने दिलचस्पी दिखाई है जबकि चोलामंडलम समूह ने जीवन बीमा कारोबार में रुचि दिखाई है। भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) सहित कई ऋणदाताओं ने रिलायंस कैपिटल पर कुल 23,666 करोड़ रुपये के बकाये का दावा किया है। आईडीबीआई कैपिटल मार्केट्स ऐंड सिक्योरिटीज के एक विज्ञापन के अनुसार, चूंकि इन परिसंपत्तियों की बिक्री में देरी हो चुकी है, इसलिए एलआईसी ने अपने 3,400 करोड़ रुपये के ऋण को बेचने के लिए परिसंपत्ति पुनर्गठन कंपनियों (एआरसी) से बोलियां आमंत्रित की है।
