विविध क्षेत्रों में कारोबार करने वाली कंपनी आईटीसी कोविड-19 के संक्रमण से बचाव के लिए एक नेजल स्प्रे विकसित कर रही है। कंपनी ने उसका क्लीनिकल परीक्षण शुरू कर दिया है। कंपनी के प्रवक्ता ने इस खबर की पुष्टि करते हुए कहा, 'फिलहाल हम इस संबंध में अधिक जानकारी साझा करने में असमर्थ हैं क्योंकि उसका क्लीनिकल परीक्षण चल रहा है।' सूत्रों ने संकेत दिया कि इसका विकास बेंगलूरु के आईटीसी लाइफ साइंसेज ऐंड टेक्नोलॉजी सेंटर (एलएसटीसी) द्वारा किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इसे कोविड-19 से बचाव के साथ-साथ संक्रमण को रोकने में भी प्रभावी होने की संभावना है। आंतरिक परीक्षण में यह भी पाया गया कि यह सर्दी-जुकाम के सामान्य वायरस के खिलाफ भी प्रभावी है। उन्होंने कहा कि परीक्षण में करीब तीन महीने का समय लग सकता है। कंपनी को इसके लिए आचार समिति से मंजूरी मिल गई है और इसे क्लीनिकल ट्रायर रजिस्ट्री- इंडिया (सीटीआरआई) में पंजीकृत कराया गया है। इस बीच, हाल के महीनों में एंटीमाइक्रोबायल नेजल एवं माउथ स्प्रे की लोकप्रियता बढ़ रही है। सिप्ला, ग्लेनमार्क जैसी प्रमुख दवा कंपनियों ने इसके लिए पहल की है। उदाहरण के लिए, सिप्ला ने प्रोविडोन आयोडीन के साथ एंटीवायरल नेजल स्प्रे नेजलिन को बाजार में उतारा है। यह सार्स-सीओवी-2 वायरस के खिलाफ पहली पंक्ति की सुरक्षा है। इस नेजल स्प्रे में एंटीवायरल, एंटीवैक्टेरियल और एंटीफंगल गुण मौजूद हैं जो वायरस एवं अन्य संक्रामक रोगाणुओं से सुरक्षा प्रदान कर सकते हैं। ग्लेनमार्क ने भाारत एवं अन्य एशियाई बाजार में कोविड-19 के उपचार के लिए अपने एनओएनएस के उत्पादन, विपणन एवं वितरण के लिए कनाडाई बायोटेक फर्म सैनोटाइज के साथ करार किया है। ग्लेनमार्क चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में फैबिस्प्रे ब्रांड नाम से एनओएनएस को बाजार में उतारने की तैयारी कर रही है। फिलहाल कंपनी भारत में उसका तीसरे चरण का क्लीनिकल परीक्षण कर रही है। कैडिला हेल्थकेयर ने वायरोशील्ड नाम से एक उत्पाद विकसित किया है जो एंजाइम आधारित माउथ स्प्रे है। कंपनी उसका परीक्षण कर रही है और उसे वाणिज्यिक तौर पर बाजार में उतारना अभी बाकी है। इसमें मौजूद एंजाइम वायरस के प्रोटीन को नष्ट करता है और मुंह एवं गले को विभिन्न वायरस के संक्रमण से सुरक्षित रखता है। आईटीसी एलएसटीसी के पास करीब 350 वैज्ञानिक मौजूद हैं जो छह अनुसंधान प्लेटफॉर्म पर व्यापक तरीके से काम कर रहे हैं। इनमें स्वास्थ्य एवं तंदुरुस्ती, सौंदर्य एवं स्वच्छता, कृषि वानिकी एवं फसल विज्ञान, टिकाऊ पैकेजिंग, उपभोक्ता एवं सेंसर विज्ञान और माप विज्ञान शामिल हैं।
