facebookmetapixel
पांच साल में 479% का रिटर्न देने वाली नवरत्न कंपनी ने 10.50% डिविडेंड देने का किया ऐलान, रिकॉर्ड डेट फिक्सStock Split: 1 शेयर बंट जाएगा 10 टुकड़ों में! इस स्मॉलकैप कंपनी ने किया स्टॉक स्प्लिट का ऐलान, रिकॉर्ड डेट जल्दसीतारमण ने सभी राज्यों के वित्त मंत्रियों को लिखा पत्र, कहा: GST 2.0 से ग्राहकों और व्यापारियों को मिलेगा बड़ा फायदाAdani Group की यह कंपनी करने जा रही है स्टॉक स्प्लिट, अब पांच हिस्सों में बंट जाएगा शेयर; चेक करें डिटेलCorporate Actions Next Week: मार्केट में निवेशकों के लिए बोनस, डिविडेंड और स्प्लिट से मुनाफे का सुनहरा मौकाEV और बैटरी सेक्टर में बड़ा दांव, Hinduja ग्रुप लगाएगा ₹7,500 करोड़; मिलेगी 1,000 नौकरियांGST 2.0 लागू होने से पहले Mahindra, Renault व TATA ने गाड़ियों के दाम घटाए, जानें SUV और कारें कितनी सस्ती हुईसिर्फ CIBIL स्कोर नहीं, इन वजहों से भी रिजेक्ट हो सकता है आपका लोनBonus Share: अगले हफ्ते मार्केट में बोनस शेयरों की बारिश, कई बड़ी कंपनियां निवेशकों को बांटेंगी शेयरटैक्सपेयर्स ध्यान दें! ITR फाइल करने की आखिरी तारीख नजदीक, इन बातों का रखें ध्यान

दमदार मुकाबले का आगाज

Last Updated- December 10, 2022 | 9:09 PM IST

अगर आप आंकड़ों में खासी दिलचस्पी रखते हैं तो आपको यह लेख और रोड टेस्ट के बारे में पढ़ने की जरूरत नहीं है।
अगर आप टोयोटा के बही खातों पर नजर डालें तो आपको पता चल जाएगा कि उनको कार बेचने का हुनर भी मालूम है। महिंद्रा के आंकड़ों को भी देख कर आप महसूस करेंगे कि उनके खाते में भी इससे कुछ ज्यादा दिलचस्प चीजें हैं जो आपका ध्यान आकर्षित कर सकती हैं।
वैसे टोयोटा को पता है कि शोध और विकास के लिए कितना ज्यादा खर्च करना होगा ताकि वह दुनिया की बेहतरीन कार बनाने का माद्दा रख सके। वह इस हुनर में इतनी माहिर है कि वह दूसरी कार कंपनियों को यह कला सिखाने के लिए न्योता देती है। कई कार कंपनियों ने इस हुनर को सीखने की कोशिश भी की लेकिन यह बात पल्ले नहीं पड़ी। वैसे यह एक खराब मजाक था।
लेकिन यह सच है कि महिंद्रा या दुनिया की कोई भी कार निर्माता कंपनी ऐसी बेहतर कार डिजाइन नहीं कर सकती जो टोयोटा की नई इनोवा को मात दे सके।  महिंद्रा कम खर्च वाली इंजीनियरिंग पर भरोसा करती है लेकिन टोयोटा इन चीजों पर ध्यान नहीं देती। शायद इन दोनों कंपनियों के सोचने की प्रक्रिया में ही मौलिक फर्क है।
तुलनात्मक जायजा
इन दोनों कारों में क्या फर्क है, इसे आप इस लेख के जरिए समझ सकते हैं- महंगी कार जाइलो और ताम-झाम से लैस इनोवा की कीमतों में करीब 4 लाख रुपये का फर्क है। इनोवा का सबसे सस्ता मॉडल भी जाइलो के महंगे और खर्चीले मॉडल से भी ज्यादा महंगा है। एक बात और कि महंगी जाइलो में भी एयरबैग और एंटी ब्रेकिंग सिस्टम की सुविधा नहीं है।
इसके अलावा बाकी वे सारी चीजें हैं जो टोयोटा की कार में हैं। टोयोटा ने खुद को कड़े मुकाबले के दांव लगाने के लिए तैयार कर लिया है इसीलिए हाल ही में इस कार को नया रूप दिया गया। नई ग्रिल के साथ कार के सामने का हिस्सा भी नया-नवेला भी दिखता है। इसके अलावा गाड़ी में लाइटिंग के लिए बेहतरीन डिजाइनिंग भी इनोवा पर खूब फबती है।
फिलहाल इनोवा के चार शेड बाजार में पेश किए गए हैं। इसमें से खासतौर पर मेटलिक ग्रे और गहरे लाल रंग इनोवा की बला की खूबसूरती देखकर आप भी अपना दिल थाम लेंगे। अब इनोवा के अंदरूनी हिस्से का जायजा लेते हैं। इसमें नए उपकरण मसलन मल्टी इनफॉर्मेशन डिस्प्ले, 12 वॉल्ट की चार्जर यूनिट है।
इसके अलावा आप इसके स्टियरिंग के जरिए ही ऑडियो सिस्टम पर भी अपना पूरा नियंत्रण कर सकते हैं यानी आपको अपना कोई मनपसंद गाना सुनना है तो बस स्टियरिंग के सहारे यह काम हो सकता है। इसके रिवर्स असिस्ट की मदद से गाड़ी को पार्क करने में सहूलियत होगी।इनोवा को देखने पर ही यह अंदाजा लगने लगता है कि यह सारी खूबियों से लैस बेहतरीन कार है।
जबकि जाइलो को देखकर यकीनन आपको ऐसा लगेगा कि यह कार कई तरह की सोच प्रक्रिया और डिजाइन स्कूलों के डिजाइन से प्रभावित है। संक्षेप में यह कहा जा सकता है कि इनोवा एक बेहतरीन वैन की तरह नजर आती है लेकिन जाइलो एक साथ एसयूवी और एमपीवी की तरह बनने की कोशिश में है लेकिन सही मायने में यह इन दोनों में से किसी की शक्ल अख्तियार नहीं कर पाती।
 
कैसी है बनावट
दोनों कार के फीचर बहुत अच्छे हैं  और इनकी बनावट भी काफी जबरदस्त लगती है जिसकी दाद दी जा सकती है। यूं कह सकते हैं कि महिंद्रा ने भी अपनी कार में मेहनत की है ताकि यह टोयोटा के सामने खड़ा रह सके। टोयोटा का अंदरूनी हिस्सा बहुत साधारण ही दिखता है लेकिन आप इसकी क्वालिटी का स्तर हर जगह मौजूद पाएंगे।
इसकी तुलना अगर जाइलो के अंदरुनी हिस्से से करें तो पाएंगे कि इस पर बहुत ज्यादा डिजाइन की गई है और इसमें वह क्वालिटी भी नजर नहीं आती। इस कार का आर्म-रेस्ट भी एक दूसरे के साथ संतुलित स्तर पर नहीं है जो सही नहीं है। हालांकि एक खूबी इसमें जरूर है कि इसमें आपको स्पेस मिलेगा।
इनोवा के विपरीत जाइलो में तीसरी पंक्ति में बैठे बड़े लोगों के लिए आराम से बैठने के लिए पर्याप्त जगह होगी जबकि इनोवा में तीसरी पंक्ति में केवल बच्चे या छोटे कद वाले लोग ही सहूलियत से बैठ पाएंगे। लंबी दूरी तय करने के लिहाज से इनोवा और जाइलो दोनों की सीट बहुत आरामदायक है और दोनों में डीजल इंजन है। इन दोनों गाड़ियों में लंबे समय तक आराम फरमाया जा सकता है।
अगर विश्वसनीयता और बेहतर बनावट के लिहाज से बात करें तो इनोवा एक लेजर प्रूफ गाड़ी है और इसकी क्षमता 102 बीएचपी है। इसमें 2494 सीसी का डीजल इंजन है। जाइलो बड़ी आसानी से 2 लाख किलोमीटर तक चल सकती है। इसमें 2498 सीसी का इंजन लगा हुआ है और इसकी क्षमता 112 बीएचपी है।
 
इम्तहान का वक्त
जाइलो ने टेस्ट ड्राइव में 6.2 सेकंड में 60 किलोमीटर प्रति घंटा के हिसाब से दूरी तय करनी शुरू की और महज 16.4 सेकंड में 100 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार पकड़ ली। एक डीजल वैन के लिहाज से इन्हें बेहतर आंकड़े कहा जा सकता है। दूसरी ओर इनोवा रफ्तार के हिसाब से जाइलो से पीछे रही।
इनोवा को 60 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार के लिए 7.4 सेकंड लगे और 100 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार तक पहुंचने में इसे 20.1 सेकंड लग गए। अगर आप इन दोनों कार को एक ही जगह से स्टार्ट करते हैं तो आपको यह महसूस होगा कि इनोवा के मुकाबले जाइलो की टॉप स्पीड बहुत जल्दी 164.9 किलोमीटर प्रति घंटे की जबरदस्त रफ्तार पकड़ लेती है।
जबकि इनोवा में अगर ज्यादा कोशिश भी की जाए तो यह महज 150 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार पकड पाती है। वैसे बाजार में इसकी बेहतर रफ्तार और गति बेहद महत्त्वपूर्ण नहीं होता बल्कि  ओवरटेक करने की क्वॉलिटी ही महत्त्वपूर्ण होती है। इस मामले में जाइलो और इनोवा दोनों एक ही स्तर पर खरा उतरती हैं। 
वैसे इनोवा गति और ज्यादा रफ्तार के मोर्चे पर खरी नहीं उतरती लेकिन यह जाइलो के मुकाबले मुश्किल रास्तों पर भी बहुत आसानी से चल पाती है। हमारे टेस्ट ड्राइव में यह नतीजा निकला कि दोनों कार 9-13 किलोमीटर प्रति लीटर के हिसाब से चलती हैं हालांकि यह सड़क पर भी निर्भर करता है। हाइवे पर इन दोनों कारों की माइलेज बेहतर रहती है।
इनोवा डायनेमिक्स के लिहाज से जाइलो पर भारी पड़ती है। इसकी बॉडी को देखकर ऐसा लगता है मानो यह वैन के बजाए एक सेडान हो। इसकी बॉडी में आपको कोई ऐसी बात नजर नहीं आएगी जिसे देखकर आप शिकायत कर सकेंगे। जबकि जाइलो कभी-कभी हल्के ब्रेक लगाने पर भी एक झूले के माफिक लगती है। वहीं इनोवा की चाल एक रियर व्हील ड्राइव सेडान की तरह ही है।
वैसे इसके टयूबलेस पहिए इतने मजबूत हैं कि यह किसी भी तरह की सड़क पर 8 भारी भरकम सवारियों और सामान के बावजूद बेहतर औसत रफ्तार से चल जाती है। आपको यह समझ में आ जाना चाहिए कि लंबे सफर के लिए लोग इनोवा किराए पर क्यों लेते हैं। वैसे जाइलो बनावट के लिहाज से स्कॉर्पियो की तुलना में काफी हद तक सुलझी हुई है।
 
क्या है फैसला
हमने यह सोचा था कि टेस्ट ड्राइव के जरिए यह देखा जाए कि इन दोनों गाड़ियों में से कौन सी महाराष्ट्र के सिद्धेश्वर मंदिर के जोखिम भरे रास्ते को पार कर पहले वहां तक पहुंचती है। सड़क खराब थी और इनोवा ने ऊंचाई पर पहुंचने के लिए काफी मशक्कत की। लेकिन जाइलो को ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ी।
वैसे पूरे संदर्भ के हिसाब से इनोवा को ही इस टेस्ट ड्राइव का विजेता होना चाहिए। वैसे जाइलो की कीमत कम है, इसमें ज्यादा लोग बैठ सकते हैं और रफ्तार के लिहाज से भी इसका प्रदर्शन बेहतर है। लेकिन अगर आप सेडान का विकल्प ढूंढ रहे हैं तो आपको इनोवा खरीदने का ही फैसला करना चाहिए क्योंकि इसके सेफ्टी फीचर्स अच्छे हैं।

First Published - March 23, 2009 | 5:45 PM IST

संबंधित पोस्ट