महंगाई के कारण घटती वाहनों की मांग से समूचा ऑटो उद्योग परेशान है।
सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्यूफैक्चरर्स (सियाम) के अध्यक्ष रवि कांत ने सियाम के सालाना सम्मेलन में कहा, ‘आज भारतीय ऑटो उद्योग के सामने एक तरफ जहां ऋण की उपलब्धता घटना, उच्च ब्याज दरों और ईंधन की कीमतों में हो रही बढ़ोतरी के कारण ग्राहकों की बेरुखी का सामना करना पड़ रहा है।
वहीं दूसरी तरफ कच्चे माल की कीमतों में भी भारी बढ़ोतरी हुई है।’ कांत ने कहा कि पिछले दो साल में इस्पात, तांबा और प्राकृतिक रबर की कीमतों में भारी बढ़ोतरी हुई है जिसने ऑटोमोबाइल उद्योग को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है।
उन्होंने कहा, ‘इसलिए मैं सरकार से आग्रह करूंगा कि वह उद्योग की खस्ता होती हालत पर ध्यान दे और इसे सुधारने के लिए कुछ कदम उठाए। जिससे ऑटोमोटिव मिशन प्लान के लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सके। पिछले पांच साल में उद्योग ने 15-27 फीसदी की दर से विकास किया है। इस बढ़ोतरी से कई उद्योगों को प्रोत्साहन मिला और करीब 78, 000 करोड़ रुपये निवेश करने की योजना भी बनाई गई है।’
उन्होंने कहा कि उद्योग वृध्दि के कारण कंपनियों ने भी बाजार में कई नए उत्पाद पेश किए हैं। उन्होंने कहा, ‘भारतीय वाहन उद्योग की कहानी बिना नैनो के जिक्र के पूरी नहीं होगी जिसने दुनिया भर में भारतीय ऑटो जगत की साख को और मजबूत किया है।’
कांत ने कहा कि भारत नैनो जैसे और उत्पाद बनाकर दुनिया भर के ऑटोमेटिव उद्योग की तस्वीर बदल सकता है। ऑटोमोटिव मिशन प्लान के बारे में उन्होंने कहा कि यह ऑटो उद्योग की ओर से 2.5 करोड़ रोजगार मुहैया कराने के लिहाज से अहम है। अगर सब योजना के मुताबिक होता है तो इससे ही 60 फीसदी रोजगार मिलेंगे।