प्रमुख वाहन निर्माताओं ने अक्टूबर से 6 एयर बैग नियम क्रियान्वयन का विरोध किया है। बिजनेस स्टैंडर्ड को पता चला है कि सोसायटी ऑफ इंडिया ऑटोमोबाइल मैन्युफेक्चरर्स (सायम) की ताजा बैठक में सदस्य कंपनियों ने कहा कि 1 अक्टूबर से 6 एयर बैग नियम पर अमल होना है।
सूत्रों का कहना है कि वाहन निर्माताओं का मानना है कि उद्योग की घरेलू क्षमता प्रत्येक वाहन में 6 एयरबैग का उत्पादन करने में सक्षम नहीं है और क्षमता बढ़ाने के लिए काफी समय की जरूरत होगी। लॉबी समूह सभी प्रमुख वाहन निर्माताओं की तरफ से अब सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय (एमओआरटीएस) के साथ चर्चा में है और वह इस नियम पर पुनर्विचार चाहता है कि देश में ऐसा नियम अनिवार्य नहीं हो।
एमओआरटीएच ने एम-1 श्रेणी में आने वाली कारों के लिए 6 एयरबैग अनिवार्य बनाने के संदर्भ में मसौदा सूचना जारी की है। इस श्रेणी में खासकर ऐसी कारें शामिल हैं जिनमें आठ यात्रियों तक के लिए सीटें हो सकती हैं। यह आदेश 1 अक्टूबर 2022 से निर्मित सभी कारों के लिए प्रभावी होगा।
मसौदा सूचना में कहा गया है कि एम-1 श्रेणी की कारों में दो साइड के टोरसो एयरबैग लगाए जाने चाहिए, जिनमें सामने प्रत्येक व्यक्ति के लिए एक-एक और दो कर्टेन एयरबैग।
सायम की सदस्य एक कंपनी के अधिकारी ने कहा, ‘मौजूदा समय में जरूरत दो एयरबैग की है और अचानक जरूरत प्रति वाहन बढ़कर चार एयरबैग तक हो रही है। इसलिए इतना उत्पादन कहां से होगा।’
साथ ही, सेमीकंडक्टर चिप की किल्लत भी एयरबैग उत्पादन को प्रभावित करेगी। एयरबैग को ऐसे सेमीकंडक्टर की जरूरत होती है जिनका इस्तेमाल सेंसर बनाने में किया जाता है, जो एयरबैग को जरूरत पडऩे पर फूलने का संकेत दे सकें।
दूसरी बात यह भी है कि वाहन निर्माताओं का मानना है कि वाहनों में डिजाइन बदलाव के लिए 6 एयरबैग को शामिल करना एक बड़ा परिवर्तन होगा। सभी वाहन 6 एयरबैग लगाने के लिए अतिरिक्त लोडिंग में सक्षम नहीं हैं। इसलिए, कई कंपनियों को 6 एयरबैग लगाने के लिए अपने वाहनों में बड़े और ढांचागत बदलाव लाने होंगे। एक अन्य अधिकारी ने कहा, ‘जहां 6 एयरबैग के लिए जरूरी बदलावों को ध्यान में रखते हुए नए मॉडलों को ध्यान में रखा जा सकेगा, वहीं मौजूदा मॉडलों की डिजाइन में बदलाव लाने की प्रक्रिया में लंबा समय लगेगा।’
