इस पर भरोसा करना भले थोड़ा कठिन है मगर यह सच्चाई है कि एशियाई खेलों (Asian Games) के इतिहास में भारत के एक टेनिस खिलाड़ी ने किसी एथलीट या निशानेबाज की तुलना में ज्यादा गोल्ड पदक (Gold Medal) जीते हैं।
जब महाद्वीपीय प्रतियोगिता में भारत के टॉप पांच पदक विजेताओं में सबसे सफल एथलीट होने की बात आती है तो लिएंडर पेस (Leander Paes) इस रेस में सभी को पछाड़ते नजर आते हैं।
एशियाई खेल शुरू होने से पहले आईए जानते हैं भारत के शीर्ष पांच पदक विजेताओं के बारे में…
लिएंडर पेस
ओलिंपिक में टेनिस में भारत के एकमात्र पदक विजेता पेस ने एटीपी टूर की तुलना में एशियाई खेलों में टेनिस के निचले मानकों का सबसे अच्छा उपयोग किया। टेनिस के उस्ताद माने जाने वाले पेस ने पांच स्वर्ण पदक जीते हैं।
उन्होंने पुरुष युगल में तीन साल 1994, 2002 2006 में अपने नाम किए हैं और एक बार वह 1994 के एशियाई खेलों में भी अव्वल रहे हैं। पेस ने आखिरी बार साल 2006 में दोहा में खेले गए एशियाई खों के दौरान सानिया मिर्जा के साथ मिश्रित युगल में स्वर्ण पदक पर कब्जा जमाया था। पांच स्वर्ण पदकों के अलावा पेस की झोली में तीन कांस्य पदक भी हैं।
पीटी उषा
पिलावुल्लाकांडी थेक्केपराम्बिल उषा या पीटी उषा हमारे देश की सबसे सफल एथलीट रही हैं। उन्होंने साल 1986 के सियोल एशियाई खेलों के दौरान एक ही प्रतियोगिता में 400 मीटर स्प्रिंट में चार स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास बनाया था।
उन्होंने महिलाओं की 400 मीटर, महिलाओं की 400 मीटर बाधा दौड़, 4×400 मीटर महिला रिले और साथ ही महिलाओं की 200 मीटर दौड़ में सफलता हासिल की हैं। उषा ऐसी फॉर्म में थीं कि उन्हें 100 मीटर दौड़ में जो रजत पदक मिला वह उनके लिए बिल्कुल उपयुक्त नहीं था।
इससे पहले उन्होंने 1982 में नई दिल्ली में आयोजित एशियाई खेलों में महिलाओं की 100 मीटर और 200 मीटर दौड़ में दो रजत पदक जीते थे और 1990 के बीजिंग एशियाई खेलों में महिलाओं की 4×100 मीटर रिले, महिलाओं की 400 मीटर, महिलाओं की 400 मीटर बाधा दौड़ में चार रजत पदक जीते थे। उषा के लिए आखिरी पदक 1994 में हिरोशिमा में आयोजित एशियाई खेलों में आया था जहां उन्होंने महिलाओं की 4×400 मीटर रिले दौड़ में रजत पदक जीता था। उषा ने चार स्वर्ण और सात रजत पदक जीतकर अपने व्यक्तिगत पदकों की संख्या 11 कर ली।
एशियाई खेलों के इतिहास में भारत के शीर्ष पांच पदक विजेता
रैंक खिलाड़ी स्वर्ण रजत कांस्य कुल
1. लिएंडर पेस (टेनिस) 5 0 3 8
2. पीटी उषा (एथलेटिक्स) 4 7 0 11
3. जसपाल राणा (निशानेबाजी) 4 2 2 8
4. मिल्खा सिंह (एथलेटिक्स) 4 0 0 4
5. प्रद्युमन सिंह बरार (एथलेटिक्स) 3 1 1 5
जसपाल राणा
सूची में तीसरे स्थान पर भारत की निशानेबाजी सनसनी जसपाल राणा हैं। फिलहाल लोग उन्हें मनु भाकरे के कोचिंग विवाद के कारण लोग उन्हें जान रहे हैं। राणा एशियाई खेलों के इतिहास में भारत के लिए सर्वश्रेष्ठ एथलीटों में से एक रहे हैं। 25 मीटर सेंटर फायर पिस्टल निशानेबाज ने 1994 में पहली बार एशियाई खेलों में अपना स्वर्ण पदक जीता था।
हालांकि, राणा ने अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन साल 2006 में दोहा में आयोजित एशियाई खेलों के दौरान किया था। उस वक्त उत्तराखंड के निशानेबाज ने 25 मीटर सेंटर फायर पिस्टल, 25 मीटर स्टैंडर्ड पिस्टल और 25 मीटर सेंटर फायर पिस्टल टीम स्पर्धा में तीन स्वर्ण पदक जीते थे। राणा ने एशियाई खेलों में चार स्वर्ण पदकों के साथ-साथ दो रजत और दो कांस्य पदक भी जीते हैं।
मिल्खा सिंह
फ्लाइंग सिख के नाम से मशहूर मिल्खा सिंह ने 1958 टोक्यो और 1962 जकार्ता एशियाई खेलों में चार स्वर्ण पदक जीते। मिल्खा ने टोक्यो में पुरुषों की 200 मीटर और 400 मीटर दौड़ में और जकार्ता में पुरुषों की 400 मीटर और 4×400 मीटर रिले दौड़ में स्वर्ण पदक हासिल किया था।
प्रद्युमन सिंह बरार
पंजाब के बठिंडा में जन्मे प्रद्युमन सिंह बरार एकमात्र ऐसे भारतीय खिलाड़ी हैं जिन्होंने एक ही एशियाई खेल प्रतियोगिता में दो अलग-अलग खेलों में दो स्वर्ण पदक जीते हैं। बरार ने 1954 में फिलीपींस के मनीला में आयोजित एशियाई खेलों में शॉटपट और डिस्कस थ्रो दोनों स्पर्धाओं में स्वर्ण पदक जीता था।
नौकरी करने वाले बरार ने 1958 के टोक्यो एशियाई खेलों में में स्वर्ण पदक जीता। यहां उन्होंने डिस्कस थ्रो में भी कांस्य पदक जीता। 2007 में अपने पैतृक गांव में गरीबी से जूझते हुए काल के गाल में समाने वाले बरार ने अपना आखिरी पदक 1962 के जकार्ता एशियाई खेलों में जीता था। उन्होंने रजत पदक जीता था।