एचसीएल टेक्नोलॉजिज के सह-संस्थापक और ईपीआईसी फाउंडेशन के चेयरमैन अजय चौधरी ने शुक्रवार को आयोजित बिज़नेस स्टैंडर्ड के वार्षिक मंथन कार्यक्रम के दौरान कहा कि भारत को महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढांचे, वित्तीय प्रणालियों और राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा के लिए क्वांटम सुरक्षा को प्राथमिकता देनी चाहिए।
चौधरी ने कहा कि फिनलैंड और सिंगापुर जैसे छोटे देश क्वांटम रिसर्च पर भारी निवेश कर रहे हैं जिनका वित्तपोषण 40 करोड़ डॉलर से 1 अरब डॉलर तक है। उन्होंने आगाह किया कि एक बार क्वांटम कंप्यूटर सही रफ्तार के साथ उभरकर सामने आ जाएगा तो इससे हर देश को साइबर सुरक्षा संबंधी अच्छा-खासा जोखिम होगा।
चौधरी ने कार्यक्रम के दौरान कहा कि भारत में स्टार्टअप ने पहले ही क्वांटम तकनीक पर आधारित उत्पाद विकसित कर लिए हैं जिनका इस्तेमाल वित्तीय व्यवस्था, रक्षा और सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में किया जा सकता है। चौधरी ने कहा, ‘अगर हम देश में जल्द, क्वांटम की डिस्ट्रीब्यूशन जल्द लागू करते हैं तो हम क्वांटम सिक्योर हो जाएंगे।
क्योंकि अगर क्वांटम संबंधी खतरा हुआ तो हमारी वित्तीय प्रणाली के ठप होने या हमारे विद्युत ग्रिड के ठप होने जैसी स्थिति नहीं होगी। इसलिए पहला कदम भारत के महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढांचे पर हमले को रोकना है।’
उन्होंने कहा कि क्वांटम तकनीक भारत जैसे देशों की मदद कर सकती है जो दवाओं का प्रमुख उत्पादक है। समय बीतने के साथ देश को जेनेरिक दवाओं से बाहर निकलकर अपना पेटेंट और अपने मॉलीक्यूल्स का मालिकाना हासिल करना होगा, जिससे फार्मास्यूटिकल्स के वैल्यू चेन में ऊपर जाया जा सके।
उन्होंने कहा कि क्वांटम कंप्यूटिंग जैसी तकनीकों का इस्तेमाल न सिर्फ खोज की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए किया जा सकता है, बल्कि इससे नए मॉलीक्यूल्स को खोजने की लागत भी कम होगी। उन्होंने कहा कि इन मॉलीक्यूल्स की खोज में लगने वाले जरूरी वक्त को वर्तमान 15 वर्ष की सीमा से घटाकर कुछ वर्ष किया जा सकता है।
उन्होंने कहा, ‘कई शुरुआती यूजर्स ने समय से आगे सोचना और क्वांटम कंप्यूटर्स पर काम करना शुरू कर दिया है ताकि वे सीख सकें कि कैसे काम करना है। वे पारंपरिक कंप्यूटरों की जगह नहीं लेंगे। उनका इस्तेमाल नए अप्लीकेशंस के लिए जारी रहेगा।’
इसके बजाय आने वाले दिनों में क्वांटम कंप्यूटर्स का इस्तेमाल फाइैंशियल मॉडलिंग, विनिर्माण और डिजाइन जैसे विशेषीकृत एप्लीकेशनों में होगा। चौधरी ने कहा कि हालांकि मौजूदा चरण में यह तकनीक पूरी तरह से त्रुटि मुक्त नहीं है और इसे स्थापित होने में अभी कुछ और साल लगेंगे।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 19 अप्रैल 2023 को नैशनल क्वांटम मिशन (एनक्यूएम) को मंजूरी दी थी। 2031 तक के व्यय के लिए 6,003.65 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। मिशन का मकसद क्वांटम तकनीक में वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान एवं विकास तथा नवोन्मेषी पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देना, उसका पोषण करना और उसे विस्तृत करना है।
एनक्यूएम के गवर्निंग बोर्ड के चेयरमैन चौधरी ने कहा कि कुल 6,000 करोड़ रुपये में से करीब 2,000 करोड़ रुपये अंतरिक्ष, परमाणु ऊर्जा और रक्षा विभाग के लिए हैं। गवर्निंग बोर्ड ने शोधकर्ताओं और संस्थानों से अनुरोध प्रस्ताव मांगे हैं, जिन्हें क्वांटम कंप्यूटिंग, क्वांटम कम्युनिकेशन, क्वांटम सेंसिंग और क्वांटम मैटेरियल पर काम करने के लिए धन की जरूरत है।
नैशनल क्वांटम मिशन के तहत सरकार का लक्ष्य सुपरकंडक्टिंग और फोटोनिक तकनीक जैसे विभिन्न प्लेटफार्मों पर 8 वर्षों में 50-1000 भौतिक क्यूबिट के साथ मध्यवर्ती स्तर के क्वांटम कंप्यूटर विकसित करना भी है। उन्होंने कहा, ‘अब हम शोधपत्र लिखने पर बात नहीं कर रहे हैं। अब हम उत्पाद बनाने पर बात कर रहे हैं।
मशीन के हर पार्ट से जुड़े उत्पाद बनाने का लक्ष्य है। हमने 4 जगहें चिह्नित की है, जहां हमारे केंद्र होंगे और 80 शोधकर्ता इस (क्वांटम) तकनीक के विभिन्न पार्ट्स पर काम करेंगे।’
कंप्यूटिंग लाभों के अलावा नैशनल क्वांटम मिशन का मकसद भारत के भीतर 2,000 किलोमीटर की दूरी पर ग्राउंड स्टेशनों के बीच उपग्रह आधारित सुरक्षित क्वांटम संचार विकसित करना, अन्य देशों के साथ लंबी दूरी की सुरक्षित क्वांटम संचार व्यवस्था विकसित करना, 2,000 किलोमीटर से अधिक इंटर सिटी क्वांटम की डिस्ट्रीब्यूशन के साथ-साथ मल्टी-नोड क्वांटम नेटवर्क और क्वांटम मेमोरी विकसित करना भी है।
उन्होंने कहा कि शोध में हमने टीआरएल (टेक्नोलॉजी रेडीनेस लेवल) 1 से टीआरएल 9 के बारे में बात की है। टीआरएल 9 वह है, जब उत्पाद बाजार में जाता है। हम हर शोधकर्ता को प्रेरित कर रहे हैं कि वे कम से कम टीआरएल 7 तक उत्पाद का विकास करें, जब वे अपना वेंचर शुरू करने का फैसला करते हैं।