लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला को लिखे पत्र में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने मंगलवार को आरोप लगाया कि सदन में सोमवार को दिए गए उनके भाषण के कुछ चुनिंदा अंश कार्यवाही से निकाल दिए गए। उन्होंने कहा कि यह कदम संसदीय लोकतंत्र के सिद्धांतों के खिलाफ है। उनके भाषण के निकाले गए भाग को पुन: शामिल किया जाए।
अपने पत्र में कहा कि अध्यक्ष के पास सदन की कार्यवाही से किसी भी भाषण के अंश हटाने की शक्ति होती है, लेकिन उसके लिए कुछ शर्त होती है, जिसकी व्याख्या लोक सभा में प्रक्रिया एवं व्यवहार की नियमावली में नियम संख्या 380 में की गई है। लोक सभा में नेता विपक्ष के रूप में सोमवार को अपना पहला भाषण देने वाले राहुल ने बिरला को संबोधित पत्र में कहा, ‘मैं यह देखकर स्तब्ध हूं कि मेरे भाषण का काफी हिस्सा लोक सभा की कार्यवाही से हटा दिया गया।’
कांग्रेस की सोशल मीडिया विभाग की अध्यक्ष सुप्रिया श्रीनेत के अनुसार राहुल गांधी के भाषण के 13 अंश कार्यवाही से निकाल दिए गए। भाषण के जिन अंशों को सदन की कार्यवाही से निकाला गया हैं उनमें भाजपा की कथित विभाजनकारी राजनीति, अग्निपथ योजना, नोटबंदी, जीएसटी और पूंजीवाद आदि पर टिप्पणियां हैं।
राहुल ने यह भी कहा कि मैं यह कहने के लिए विवश हूं कि भाषण के अंशों को हटाते समय नियम 380 का पालन नहीं किया गया है। मैंने सदन में जो मुद्दे उठाए, वह सच्चाई है और वही वास्तविक स्थिति है।
राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी को पत्र लिखा और बुधवार को नीट के मुद्दे पर चर्चा कराने की मांग की। हालांकि मंगलवार शाम को प्रधानमंत्री के भाषण के बाद लोक सभा की कार्यवाही टाल दी गई। पिछले 24 घंटों के दौरान संघ परिवार और कई हिंदू संगठनों ने राहुल गांधी के भाषण की आलोचना की और कई जगह प्रदर्शन हुए। हालांकि कांग्रेस सांसदों और शिव सेना (उद्धव) ने उनका बचाव किया।