कांग्रेस नेता राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे समेत विपक्षी सांसदों ने बिहार में मतदाता सूची में विशेष संशोधन के खिलाफ सोमवार को संसद भवन से चुनाव आयोग के मुख्यालय निर्वाचन तक विरोध मार्च निकाला और ‘वोट चोरी’ का आरोप लगाया, लेकिन पुलिस ने उन्हें बीच में ही रोक दिया। भारी हंगामे के बीच कई सांसदों को हिरासत में ले लिया।
पुलिस ने प्रदर्शन कर रहे सांसदों को रोकने के लिए जगह-जगह बैरिकेड लगाए थे। जैसे ही सांसदों को रोका गया, उनमें से कई सड़क पर बैठ गए और नारेबाजी करने लगे, जबकि कुछ महिला सांसद बैरिकेड पर चढ़ गईं और चुनाव आयोग के खिलाफ नारेबाजी की। बाद में उन्हें पुलिस सड़क किनारे खड़ी बसों में भरकर संसद मार्ग पुलिस स्टेशन ले गई। बाद में सभी सांसदों को रिहा कर दिया गया।
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने पहले चुनाव आयोग को पत्र लिखकर उनसे मिलने और अन्य मुद्दों के साथ एसआईआर पर चर्चा करने की अनुमति देने का आग्रह किया था। विपक्ष के मार्च पर केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि चुनाव आयोग ने इस मुद्दे पर उनसे मिलने के लिए प्रत्येक पार्टी से दो सदस्यों वाले 30 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल को बुलाया था।
रिजिजू ने पूछा, ‘अगर वे अपने नेताओं या प्रतिनिधियों की ओर से निर्णय नहीं ले सकते हैं, तो चुनाव आयोग से मिलने का समय क्यों मांग रहे हैं? क्या विपक्ष के सभी 150 सदस्य बैठक के लिए मुख्य चुनाव आयुक्त के कमरे में जाएंगे?’ रिजिजू ने संसद के दोनों सदनों में बार-बार व्यवधान डालने के लिए विपक्षी दलों की आलोचना की और ऐलान किया कि सरकार उनकी भागीदारी के बिना विधायी एजेंडे के साथ आगे बढ़ेगी। सोमवार को भी संसद ने 8 विधेयकों को पारित किया है। संसदीय कार्य मंत्री रिजिजू ने इस बात से भी इनकार नहीं किया कि मॉनसून सत्र तय समय से पहले समाप्त हो सकता है।