संसद का मॉनसून सत्र गुरुवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गया। मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) मुद्दे पर चर्चा कराने की मांग को लेकर विपक्षी सदस्यों के हंगामे के कारण दोनों सदनों में लगातार गतिरोध बना रहा। संसद का मॉनसून सत्र 21 जुलाई से 21 अगस्त तक चला। इस दौरान दोनों सदन अपने निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार 21 दिनों तक चले। लेकिन का सत्र का ज्यादातर हिस्सा हंगामे की भेंट चढ़ गया।
विधायी कामकाज का विश्लेषण करने वाले थिंक टैंक पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च ने कहा कि लोक सभा में 29 प्रतिशत और राज्य सभा में 34 प्रतिशत कामकाज ही हो पाया। यह 18वीं लोक सभा के दौरान सबसे कम काम दर्ज किया गया।
लोक सभा में प्रश्नकाल निर्धारित समय के 23 प्रतिशत और राज्य सभा में 6 प्रतिशत समय तक चला। उच्च सदन में 12 दिन और निचले सदन में 7 दिन तक कोई भी प्रश्न मौखिक रूप से नहीं पूछा गया। खास बात यह भी रही कि इस सत्र में विधेयकों पर पारित होने से पहले बहुत कम चर्चा हुई।
सत्र के दौरान (विनियोग विधेयकों को छोड़कर) 13 विधेयक पेश किए गए। तीन विधेयक संयुक्त समितियों और दो लोक सभा की प्रवर समितियों को भेजे गए। जबकि अन्य 8 विधेयक सत्र के दौरान ही पारित हो गए।
लोक सभा के कामकाज का 50 प्रतिशत समय ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा करने में बीता। राज्य सभा का भी एक तिहाई से अधिक समय भी इसी में खर्च हुआ। लोक सभा में इस पर लगभग 19 घंटे और राज्य सभा में 16 घंटे चर्चा हुई। सत्र के दौरान ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बारे में दोनों सदनों में विशेष चर्चा हुई। लोक सभा में इस चर्चा का जवाब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने और राज्यसभा में गृह मंत्री अमित शाह ने जवाब दिया। लोक सभा में इस चर्चा में 73 सदस्यों और राज्य सभा में 65 सदस्यों ने भाग लिया। लोक सभा अध्यक्ष द्वारा न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा पर महाभियोग चलाने का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया गया। इस मुद्दे की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया गया है।