पहलगाम आतंकी हमले के बाद उत्पन्न भारत-पाकिस्तान सैन्य संघर्ष की पृष्ठभूमि में विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने सोमवार को संसद की विदेश मामलों पर स्थायी समिति (Standing Committee on External Affairs) को विस्तार से जानकारी दी। यह बैठक उस समय हुई है जब भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान को करारा जवाब दिया और बाद में दोनों देशों के बीच सैन्य कार्रवाई रोकने पर सहमति बनी।
इस समिति की अध्यक्षता कांग्रेस सांसद शशि थरूर कर रहे हैं। बैठक में टीएमसी के अभिषेक बनर्जी, कांग्रेस के राजीव शुक्ला और दीपेंद्र हुड्डा, एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, और बीजेपी की अपराजिता सारंगी एवं अरुण गोविल सहित कई अन्य सदस्य उपस्थित रहे।
विदेश सचिव मिस्री ने समिति को भारत और पाकिस्तान के बीच मौजूदा विदेश नीति परिदृश्य की जानकारी सोमवार और मंगलवार को देने का कार्यक्रम तय किया है। सरकार की ओर से यह निर्णय लिया गया है कि 33 वैश्विक राजधानियों में सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भेजा जाएगा ताकि अंतरराष्ट्रीय नेताओं को यह संदेश दिया जा सके कि भारत आतंकवाद के खिलाफ कठोर और निर्णायक कदम उठा रहा है। यह कदम ऑपरेशन सिंदूर की पृष्ठभूमि में लिया गया है, जिसमें भारतीय सशस्त्र बलों ने साहसिक कार्रवाई की थी।
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भारत की संसद की विदेश मामले पर स्थायी समिति (Parliamentary Standing Committee on External Affairs), विदेश मंत्रालय की नीतियों और कार्यों की निगरानी करने वाली एक महत्वपूर्ण समिति है। इस समिति में कुल 31 सदस्य होते हैं, जिनमें से 21 लोकसभा से और 10 राज्यसभा से होते हैं। समिति की अध्यक्षता वर्तमान में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर (Shashi Tharoor) कर रहे हैं।
यह समिति विदेश मंत्रालय की नीतियों, कार्यक्रमों और विदेश नीति से संबंधित मामलों की समीक्षा करती है। समिति के सदस्य विदेश मामलों से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करते हैं और मंत्रालय को सुझाव प्रदान करते हैं। समिति की बैठकें नियमित रूप से होती हैं, और विदेश सचिव जैसे वरिष्ठ अधिकारी इन बैठकों में भाग लेते हैं।
संसद की विदेश मामलों पर स्थायी समिति उन 17 विभाग-संबंधित स्थायी समितियों (Department Related Standing Committees – DRSCs) में से एक है, जिसका कार्यक्षेत्र विदेश मंत्रालय और उससे संबंधित संस्थानों से जुड़े मामलों की समीक्षा करना है।
इस समिति में कुल 31 सदस्य होते हैं — जिनमें से 21 लोकसभा से और 10 राज्यसभा से नामित किए जाते हैं। यह नामांकन लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा सभापति द्वारा किया जाता है। किसी मंत्री को इस समिति का सदस्य नहीं बनाया जा सकता, और यदि कोई सदस्य मंत्री बन जाता है तो वह स्वतः समिति की सदस्यता छोड़ देता है।
समिति के अध्यक्ष का चयन लोकसभा से चुने गए सदस्यों में से लोकसभा अध्यक्ष द्वारा किया जाता है। समिति का कार्यकाल इसके गठन की तिथि से एक वर्ष का होता है, जब तक कि लोकसभा भंग न हो जाए।
Parliamentary Committee स्टडी ग्रुप और उप-समितियाँ
समिति की अध्यक्षता करने वाले व्यक्ति को यह अधिकार होता है कि वह किसी विशिष्ट विषय की विस्तृत जांच के लिए स्टडी ग्रुप या उप-समिति गठित कर सके। यह अध्ययन समूह समिति के ही सदस्यों में से बनाए जाते हैं, जिससे किसी विषय पर गहन रिपोर्ट तैयार की जा सके।
India-Pakistan tension पर Parliamentary Standing Committee को जानकारी देंगे विदेश सचिव विक्रम मिस्री