भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने 71 वर्षीय मरियम एलेक्जेंडर बेबी को रविवार को अपना अगला महासचिव या पार्टी प्रमुख चुन लिया। तमिलनाडु के मदुरै में शीर्ष पद पर बेबी के चयन और सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था 18 सदस्यीय पोलित ब्यूरो के पुनर्गठन के साथ ही पार्टी में प्रकाश करात-सीताराम येचुरी का युग समाप्त हो गया। पोलित ब्यूरो में आठ नए सदस्य शामिल किए गए हैं।
बेबी की महासचिव पद पर नियुक्ति पार्टी में पीढ़ीगत बदलाव का प्रतीक है। जनवरी 1992 में मद्रास (अब चेन्नई) में हुए इसके 14वें पार्टी कांग्रेस के बाद पार्टी संगठन में यह परिवर्तन देखने को मिला है। तीन दशक पहले हुए उस सीपीआई (एम) सम्मेलन में हरकिशन सिंह सुरजीत ने ईएमएस नंबूदरीपाद को पार्टी प्रमुख के रूप में जिम्मेदारी सौंपी थी। उस समय प्रकाश करात और येचुरी दोनों को पहली बार पोलित ब्यूरो में शामिल किया गया था। ये दोनों नेता सुरजीत के 2005 में महासचिव के पद से सेवानिवृत्त होने तक उनके प्रमुख सिपहसालार बने रहे। इसके बाद इस पर प्रकाश लाए गए।
मदुरै में रविवार को संपन्न हुई सीपीआई (एम) की 24वीं पार्टी कांग्रेस में प्रकाश, वृंदा करात, त्रिपुरा के पूर्व मुख्यमंत्री माणिक सरकार, लोक सभा की पूर्व सदस्य सुभाषिनी अली समेत अन्य सदस्य पोलित ब्यूरो से सेवानिवृत्त हो गए, क्योंकि वे सभी अब 75 वर्ष से अधिक उम्र के हो गए हैं। येचुरी का सितंबर 2024 में निधन हो गया था। प्रकाश ने 2005 से 2015 तक पार्टी के महासचिव के रूप में कार्य किया, येचुरी ने 2015 से 2024 तक सीपीआई (एम) का नेतृत्व किया। येचुरी की मृत्यु के बाद प्रकाश ने अंतरिम पार्टी प्रमुख के रूप में जिम्मेदारी को अंजाम दिया। पोलित ब्यूरो में शामिल होने वालों में किसान सभा के महासचिव विजू कृष्णन, मरियम धवाले और लोक सभा सदस्य अमरा राम शामिल हैं।
केरल के पूर्व मुख्यमंत्री ईएमएस नंबूदरीपाद के बाद बेबी केरल से आने वाले दूसरे पार्टी प्रमुख हैं। यह पार्टी पर केरल राज्य इकाई के निरंतर प्रभाव को दर्शाता है। सुरजीत के बाद बेबी अल्पसंख्यक समुदाय से आने वाले दूसरे व्यक्ति हैं, जिन्होंने सीपीआई से विभाजन के बाद 1964 में स्थापित होने के बाद सीपीआई (एम) का नेतृत्व किया है। एक सिख परिवार में जन्मे सुरजीत घोषित नास्तिक थे। बेबी ईसाई परिवार से ताल्लुक रखते हैं।
बेबी की चुनौती अप्रैल 2026 में होने वाले विधान सभा चुनाव में सीपीआई (एम) के नेतृत्व वाले एलडीएफ गठबंधन को लगातार तीसरी बार केरल की सत्ता में वापस लाना होगा। इसी के साथ येचुरी से मिली मशाल को आगे बढ़ाना भी उनकी चुनौतियों में शामिल होगा, ताकि पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा और अन्य राज्यों में पार्टी के प्रभाव वाले क्षेत्रों में खोई हुई जमीन को वापस पाया जा सके। बेबी के सामने एक और चुनौती देश के सांस्कृतिक और शैक्षिक क्षेत्रों में पार्टी की गतिविधियों को पुनर्जीवित करना भी है। बेबी ने कोच्चि-मुजिरिस बिएनले कला प्रदर्शनी और दिल्ली में स्वरालय सांस्कृतिक संगठन शुरू करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
बेबी कोल्लम जिले के प्राक्कुलम के रहने वाले हैं। स्कूली पढ़ाई के दौरान ही वह केरल छात्र संघ में शामिल हो गए थे। यह संगठन सीपीआई (एम) की छात्र विंग, स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) का पूर्ववर्ती नाम था। बाद के वर्षों में उन्होंने पार्टी के मलयालम मुखपत्र, देशाभिमानी का संपादन भी किया। वर्ष 1986 से 1998 तक वह दो बार राज्य सभा सांसद रहे। उन्होंने वीएस अच्युतानंदन के नेतृत्व वाली एलडीएफ सरकार (2006-11) में शिक्षा मंत्री के रूप में कार्य किया।