मंदी के दौर में रियल एस्टेट के कारोबार में तेजी लाने के लिए उत्तर प्रदेश आवास विकास परिषद ने अपनी अनिस्तारित संपत्ति को बेचने की योजना बनायी है।
इस योजना के तहत परिषद के अनिस्तारित 900 भवनों को नीलामी के जरिए बेचा जाएगा। इस फैसले से परिषद की आय में खासा इजाफा होने का अनुमान है।
परिषद के आला अधिकारियों की बैठक में लिए गए फैसले के मुताबिक अनिस्तारित संपत्ति को जमीन के वास्तविक दाम और भवन की लागत के गिरते दाम पर बेचा जाएगा।
अभी यह तय नहीं किया गया है कि इन भवनों में काबिज लोगों को मकान बेचते समय प्राथमिकता दी जाएगी या नहीं।परिषद ने अपने आवंटियों से ली जाने वाली ब्याज दरें भी घटाने का फैसला किया है।
जो नई ब्याज दरें तय की गई हैं, उन्हें बैंकों की दरों के आस-पास ही रखा जाएगा। इस समय परिषद अपनी अलग-अलग योजनाओं के लिए 13 से 15 फीसदी की ब्याज दर वसूलता रहा है। परिषद के नए फैसले के बाद ब्याज दरों में 3 से 4 फीसदी की कटौती संभव है।
आवास विकास परिषद ने बीते साल भी अपनी ब्याज दरें घटाने का फैसला किया था पर इसे लागू नहीं किया जा सका था। महंगी ब्याज दर के चलते परिषद के मकानों के लिए लोग कर्ज लेने के वास्ते व्यावसायिक बैंको की तरफ रुख करते हैं।
कर्ज के लिए ब्याज दरों में कटौती का भारी फायदा ऐसे लोगों को मिलने वाला है जिन्हें कांशीराम शहरी आवास योजना में आवास मिलना है। राज्य सरकार एक विशेष योजना के तहत प्रदेश के 60 शहरों में 1.01 लाख आवास बना कर उन्हें शहरी गरीबों को देने वाली है।
इन सभी 60 शहरों में 1500-1500 दो कमरे के आवास और बाकी के छोटे 11 शहरों में 1000-1000 आवास बना रही है। लाभार्थियों का चयन इसी महीने के अंत तक कर लिया जाएगा और आवास आवंटन का काम फरवरी अंत तक पूरा कर लिया जाएगा।