सिनेमा हालों से मिलने वाले मनोरंजन कर मे कमी को देखते हुए अब उत्तर प्रदेश सरकार केबल ऑपरेटरों पर शिकंजा कसने की तैयारी में है।
लगातार कोशिशों के बाद भी कनेक्शनों की सही गिनती बताने में आनाकानी कर रहे केबल ऑपरेटरों को मनोरंजन कर विभाग और जिला प्रशासन के अलावा शहरी निकायों के अधिकारियों का भी सामना करना पड़ेगा।
मायावती सरकार में मनोरंजन कर मंत्री नकुल दुबे ने केबल कनेक्शनों की सही गिनती कराने के लिए अब गृह कर विभाग के निरीक्षकों की मदद लेने का फैसला किया है। शहरी निकायों मे गृहकर निर्धारण और वसूली का काम देख रहे निरीक्षक अब घर-घर जा कर केबल कनेक्शनों का भौतिक सत्यापन करेंगे।
गृहकर निरीक्षकों को केबल ऑपरेटरों से मंनोरंजन कर वसूलने का अधिकार नहीं होगा पर कनेक्शनों की सही गिनती के लिए वे सभी जरुरी पूछताछ कर सकेंगे। मंत्री ने कहा कि गृहकर निरीक्षकों और मनोरंजन कर विभाग दोनो के सामांनातर सर्वे चलेगें और दोनो सर्वे में मिली जानकारी का मिलान करने के बाद केबल कनेक्शनों की सही गिनती का निर्धारण होगा।
दुबे के मुताबिक सरकार की कई चेतावनियों के बाद भी केबल ऑपरेटरों ने अभी भी कुल कनेक्शनों की सही जानकारी नहीं दी है। लखनऊ जैसे बड़े शहर में केबल ऑपरेटरों से मिलने वाला कर पिछले साल 14000 रुपये था जो कि इस साल बढ़कर 16000 रुपये हो पाया है। माना जा रहा है कि अकेले लखनऊ शहर में 1.5 लाख केबल कनेक्शन हैं पर ऑपरेटर इसकी जानकारी नहीं दे रहे हैं।
गौरतलब है कि बीते दस सालों में उत्तर प्रदेश में 475 के करीब सिनेमा हाल बंद हो चुके हैं और भी कई सिनेमा हाल बंदी के कगार पर हैं। बीते पांच सालों में प्रदेश में कोई भी नया सिनेमा हाल नहीं खुला है। इस दौरान प्रदेश भर में मल्टीप्लेक्स की गिनती में खासा इजाफा हुआ है। कई स्क्रीन वाले इन मल्टीप्लेक्सों को सरकार करों में भारी छूट देती है।