facebookmetapixel
पांच साल में 479% का रिटर्न देने वाली नवरत्न कंपनी ने 10.50% डिविडेंड देने का किया ऐलान, रिकॉर्ड डेट फिक्सStock Split: 1 शेयर बंट जाएगा 10 टुकड़ों में! इस स्मॉलकैप कंपनी ने किया स्टॉक स्प्लिट का ऐलान, रिकॉर्ड डेट जल्दसीतारमण ने सभी राज्यों के वित्त मंत्रियों को लिखा पत्र, कहा: GST 2.0 से ग्राहकों और व्यापारियों को मिलेगा बड़ा फायदाAdani Group की यह कंपनी करने जा रही है स्टॉक स्प्लिट, अब पांच हिस्सों में बंट जाएगा शेयर; चेक करें डिटेलCorporate Actions Next Week: मार्केट में निवेशकों के लिए बोनस, डिविडेंड और स्प्लिट से मुनाफे का सुनहरा मौकाEV और बैटरी सेक्टर में बड़ा दांव, Hinduja ग्रुप लगाएगा ₹7,500 करोड़; मिलेगी 1,000 नौकरियांGST 2.0 लागू होने से पहले Mahindra, Renault व TATA ने गाड़ियों के दाम घटाए, जानें SUV और कारें कितनी सस्ती हुईसिर्फ CIBIL स्कोर नहीं, इन वजहों से भी रिजेक्ट हो सकता है आपका लोनBonus Share: अगले हफ्ते मार्केट में बोनस शेयरों की बारिश, कई बड़ी कंपनियां निवेशकों को बांटेंगी शेयरटैक्सपेयर्स ध्यान दें! ITR फाइल करने की आखिरी तारीख नजदीक, इन बातों का रखें ध्यान

आरएटी जांच: दिल्ली में कोरोना संकट के सच पर पर्दा?

Last Updated- December 15, 2022 | 5:31 AM IST

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपराज्यपाल अनिल बैजल के साथ 14 जून को हुई मुलाकात के बाद से ही दिल्ली में कोविड-19 की जांच रणनीति और संक्रमण के आंकड़ों के साथ कुछ असामान्य सा होता प्रतीत हो रहा है। राष्ट्रीय राजधानी में जांच की तादाद में उस दिन 27 प्रतिशत की तेजी आई और पहली बार एक दिन में 7,000 से अधिक जांच हुई। इसके अगले दिन 1.9 करोड़ की आबादी वाले इस शहर में जांच की तादाद और बढ़ी और 13,000 से अधिक जांच की सूचना मिली।
दिल्ली सरकार ने ही देश में पहली बार तथाकथित रोकथाम वाले क्षेत्रों (कंटेनमेंट जोन) में कोरोनावायरस के लिए रैपिड ऐंटीजन टेस्ट (आरएटी) के इस्तेमाल की अनुमति दी। नमूना संग्रह के लिए इस्तेमाल की जाने वाली किट, शहर के बाहर हरियाणा में दक्षिण कोरिया की एक कंपनी तैयार कर रही थी। इस हरेक किट में एक कोविड-19 ऐंटीजन जांच उपकरण, एक वायरल लाइसिस बफर के साथ एक वायरल एक्सट्रैक्शन ट्यूब और स्टराइल स्वैब होता है। दिल्ली सरकार के आंकड़ों के मुताबिक अब शहर में कराए जा रहे सभी परीक्षणों में से 40 प्रतिशत आरएटी हैं।
शाह की केजरीवाल से मुलाकात और बड़े पैमाने पर आरएटी की शुरुआत ने दिल्ली में कोरोनावायरस के बढ़ते मामलों के बावजूद यहां कमाल दिखाया है। शहर में कुल जांच में से कोविड 19 के पॉजिटिव मामले यानी जांच की पॉजिटिव दर 13 जून के 37 फीसदी से कम होकर 30 जून को 12.8 फीसदी तक रह गई। हालांकि दिल्ली में होने वाली रोजाना जांच की तादाद लगभग तीन गुना बढ़कर 20,000 से अधिक हो गई है। ऐसा लगता है कि इस अवधि के दौरान शहर में रोजाना सामने आने वाले कोरोनावायरस के मामले की तादाद में महज एक-तिहाई की बढ़ोतरी हुई है। इन सबके बीच 22 जून को दिल्ली उच्च न्यायालय ने केजरीवाल सरकार से कहा कि वह आरएटी जांच को और बढ़ाएं। दिल्ली में अब जुलाई में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के सभी हिस्सों में सबके घर जाकर आरएटी जांच की योजना है।
भले ही दिल्ली में पॉजिटिव मामले की जांच दर में तेजी से कमी आई है लेकिन यह अब भी ज्यादा ही है और यह 30 जून को राष्ट्रीय औसत का डेढ़ गुना था। हालांकि इससे पहले महाराष्ट्र की तुलना में यहां पॉजिटिव मामले सामने आने की दर अधिक थी (वहीं मुंबई और पुणे में एक साथ ज्यादा मामले रोजाना आ रहे हैं), लेकिन अब ऐसा लगता है कि दिल्ली में अब प्रति व्यक्ति जांच में पॉजिटिव की तादाद कम ही है। हालांकि इस बात पर गौर किया जाना चाहिए कि महाराष्ट्र सरकार ने 23 जून तक आरएटी की अनुमति नहीं दी थी जिसके जरिये गंभीर रूप से बीमार मरीजों, गर्भवती महिलाओं या जिन लोगों को पहले से कोई और बीमारी है उन लोगों के लिए आधे घंटे में रिपोर्ट दी जा सकती है। आरएटी के तहत यह देखा जाता है कि जांच किए गए व्यक्ति के श्वसन तंत्र में ऐंटीजन है या नहीं और जांच के 30 मिनट के भीतर ही इस बात की पुष्टि की जाती है कि वे कोविड-19 से संक्रमित हैं या नहीं। हालांकि, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा है कि इस तरह की तेजी से जांच वाली प्रक्रिया में ऐंटीजन का पता तभी लगाया जा सकता है जब वायरस सक्रिय हो यानी कि शुरुआती स्तर पर हो या फिर संक्रमण ज्यादा हो। डब्ल्यूएचओ ने अप्रैल में स्पष्ट रूप से कहा कि ‘इस तरह की जांच में मुमकिन है कि आधे या इससे अधिक कोविड-19 संक्रमित मरीजों का पता न चले और यह जांच किए गए मरीजों के समूह के आधार पर निर्भर करता है’। इसका मतलब है कि आरएटी कई मामलों में वायरस का पता नहीं लगा सकता है, भले ही जांच किया गया व्यक्ति संक्रमित हो और उनमें सैकड़ों दूसरे लोगों को संक्रमित करने की क्षमता हो। यहां तक कि भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन पॉलिमरेज चेन रिएक्शन (आरटी-पीसीआर) को कोविड-19 टेस्टिंग के लिए सबसे बेहतर मानक मानता है। इसमें पहले कहा गया था कि आरएटी जांच में जिनकी रिपोर्ट निगेटिव आ रही है उनकी जांच निश्चित रूप से आरटी-पीसीआर द्वारा कराई जानी चाहिए।
हालांकि, भारत की आबादी के लिहाज से आरएटी जांच की अहमियत काफी है क्योंकि इसमें रिपोर्ट जल्दी मिल जाती है और लागत भी कम है। दिल्ली स्थित हमदर्द इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज की डॉ सबीना खान कहती हैं, ‘हमारे देश की आबादी ज्यादा है और आरटी-पीसीआर के लिए कुशल तकनीशियनों और मॉलेक्यूलर टेस्ट के लिए विशेष प्रयोगशालाओं की आवश्यकता है। हमने पहले भी ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस (एचआईवी) के लिए तेज जांच की है। मुझे कोविड-19 के लिए भी ऐसा करने में कोई बुराई नहीं दिखती है।’
स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है, ‘आपको एक नीति निर्माता की तरह सोचना है, न कि सिर्फ एक महामारी विज्ञानी की तरह सोचना है। अगर आप इसकी तुलना आरटी-पीसीआर से करते हैं तो रैपिड टेस्टिंग जरूरत थोड़ा कमतर नजर आएगा। लेकिन आप भारत की घनी आबादी वाले इलाकों में आरटी-पीसीआर नहीं कर सकते। यह जांच पूरे देश में करने पर काफी महंगी साबित होगी और हम इसका बोझ नहीं उठा सकते हैं। अगर हमारा मकसद अधिक लोगों की जांच करना है, तो आरटी-पीसीआर का लॉजिस्टिक्स भी काफी बोझिल है। ऐसे में आगे रैपिड टेस्टिंग ही एक रास्ता बचता है।’ दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज की पूर्व प्रधानाचार्य डॉ जयश्री भट्टाचार्य कहती हैं, ‘हम गर्भावस्था और दिल की बीमारी वाले लोगों का रैपिड टेस्ट करते हैं। छात्रों को परीक्षा देनी है, लोगों को काम पर वापस जाना पड़ता है। रैपिड टेस्ट भले ही ज्यादा गलत निगेटिव रिपोर्ट दे लेकिन इससे ज्यादा आबादी वाले देश में तेजी से फैल रहे संक्रमण की जांच के लिए समय और पैसे की बचत होती है।’
बिजऩेस स्टैंडर्ड ने फोन पर दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन से संपर्क करने की कोशिश की लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो पाया।

दिल्ली में पहले प्लाज्मा बैंक का उद्घाटन
कोरोनावायरस के इलाज के लिए गुरुवार को दिल्ली में पहले प्लाज्मा बैंक की शुरुआत होने के साथ मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि कोविड-19 के मरीज ठीक होने के 14 दिन बाद प्लाज्मा दान कर सकते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्लाज्मा दान देने के लिए तय किए गए मानदंड ‘बेहद कड़े’ हैं और साथ ही उन्होंने बैंक की स्थापना के बाद दिल्ली में कोविड-19 से मरने वालों की संख्या कम होने की उम्मीद जतायी। इसके बाद उन्होंने ‘प्लाज्मा बैंक’ का उद्घाटन किया।
फाइजर-बायोएनटेक को टीके में आधी सफलता

अमेरिकी फार्मा कंपनी फाइजर और यूरोपीय जैव प्रौद्योगिकी कंपनी बायोएनटेक एसई ने कोविड-19 के एक टीके का प्रायोगिक परीक्षण किया है जिसके नतीजे में टीके को सुरक्षित और मरीजों में एंटीबॉडी बनाने में सक्षम मिला। विशेषज्ञों द्वारा अध्ययन की समीक्षा किया जाना अभी बाकी है। अध्ययन के अनुसार मरीजों को टीके की दो खुराक दिए जाने के बाद उनके भीतर बनने वाले एंटीबॉडी की संख्या उन मरीजों में पैदा हुए एंटीबाडी से अधिक पाई गई जिन्हें कोविड-19 से ठीक हो चुके लोगों का प्लाज्मा दिया गया था। भाषा

First Published - July 2, 2020 | 11:52 PM IST

संबंधित पोस्ट