उत्तराखंड सरकार ने राज्य की जर्जर पन बिजली परियोजनाओं के आधुनिकीकरण और पुनरुद्धार के लिए निजी क्षेत्र की कंपनियों की मदद लेने का फैसला किया है।
पहले चरण के तहत राज्य में 35 साल से पुरानी 19 परियोजनाओं और 4 अन्य बंद पड़ी परियोजनाओं को निजी क्षेत्र के सुपुर्द किया जाएगा। इन परियोजनाओं की कुल उत्पादन क्षमता 500 मेगावाट है। इस बात का फैसला मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी की अध्यक्षता में राज्य कैबिनेट ने लिया।
सरकार का यह फैसला इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योकि बीते महीने उसने 480 मेगावाट की पाला मनेरी और 400 मेगावाट की भैरो घाटी परियोजना के निर्माण कार्य को रोकने का फैसला किया था। राज्य के मुख्य सचिव एस के दास ने बताया कि सभी 23 हाइड्रो परियोजनाएं सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) के आधार पर निजी कंपनियों को सौंपी जाएंगी।
इस सभी परियोजनाएं 35 साल से अधिक पुरानी हैं। इस इस बारे में जल्द ही निजी कंपनियों से अभिरुचि पत्र (ईओआई) मंगाए जाएंगे। फिलहाल ये सभी परियोजनाएं उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड (यूजेवीएनएल) द्वारा संचालित की जा रही हैं। उल्लेखनीय है कि पाला मनेरी और भैरो घाटी परियोजना भी यूजेवीएनएल द्वारा ही विकसित की जा रही थी, जिन्हें पर्यावरण कार्यकर्ता जी डी अग्रवाल के आन्दोलन के बाद रोक दिया है। यूजेवीएनएल के अध्यक्ष योगेन्द्र प्रसाद से संपर्क करने पर उन्होंने कहा कि उन्हें सरकार द्वारा लिए गए इस फैसले की जानकारी नहीं है।
प्रसाद ने कहा कि ‘मैं फैसले का अध्ययन करने के बाद ही कुछ कह सकता हूं।’ इस फैसले का यह अर्थ है कि यूजेवीएनएल से अब पुरानी परियोजनाओं को छोड़कर नई परियोजनाओं पर फोकस करने के लिए कहा जाएगा। सरकार ने यह फैसला इसलिए भी किया क्योंकि इन परियोजनाओं के जीर्णोद्धार और आधुनिकीकरण के लिए उसके पास पर्याप्त वित्तीय संसाधन नहीं थे। निजी कंपनियों के साथ इसे अमलीजामा पहनाया जा सकेगा।
पुराने संयंत्रों में आएगी नई जान
उत्तराखंड में 35 से अधिक पुरानी 23 जल विद्युत परियोजनाओं का निजी क्षेत्र के सहयोग से होगा आधुनिकीकरण