कोलकाता में लोगों के बीच मोबाइल फोन की पहुंच दूसरे मेट्रो शहरों की तुलना में कम है और इसे देखते हुए दूरसंचार कंपनियां ग्राहकों को लुभाने के लिए नए ऑफर लाने की योजना बना रही हैं।
कंपनियां टैरिफ दरें घटाने, बेहतर बुनियादी सेवाएं तैयार करने समेत तमाम ऐसे तरीकों पर विचार कर रही हैं जिससे शहर में ग्राहकों की संख्या बढ़ाई जा सके।
सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) के आंकड़ों के अनुसार चेन्नई की कुल आबादी में मोबाइल उपभोक्ताओं की संख्या 111 फीसदी है जबकि मुंबई में यह संख्या 90 फीसदी और दिल्ली में 83 फीसदी है।
इस दौड़ में कोलकाता काफी पीछे है जहां की कुल आबादी में मोबाइल उपभोक्ताओं की संख्या 67 फीसदी ही है। ये आंकड़े फरवरी में कुल जीएसएम और सीडीएम मोबाइल उपभोक्ताओं के आधार पर जारी किए गए हैं।
दरअसल, चारों मेट्रो शहर दूरसंचार कंपनियों के लिए इस वजह से भी खास मायने रखते हैं क्योंकि देश के कुल मोबाइल धारकों में से 16 फीसदी इन्हीं शहरों की होती है और मोबाइल ऑपरेटरों के राजस्व का 16 फीसदी यहीं से आता है। अगर विश्लेषकों की रिपोर्ट पर नजर डालें तो पता चलता है कि ये आंकड़ें खासतौर पर इन शहरों में नए मोबाइल ऑपरेटरों के लिए बड़ी चुनौती है।
ऐसे मोबाइल ऑपरेटर जो इन शहरों में पहली बार अपनी सेवाएं लॉन्च करने जा रहे हैं उनके पास सिर्फ दो ही विकल्प हैं। या तो उन्हें दूसरे ऑपरेटरों के मोबाइल उपभोक्ताओं को अपनी ओर खींचना होगा या फिर उन्हें उपभोक्ताओं को इस तरह तैयार करना होगा कि वे एक दूसरा मोबाइल कनेक्शन भी अपने पास रखें।
भारतीय संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) के मुख्य महाप्रबंधक अब्दुल माजिद ने बताया कि वित्त वर्ष 2009-10 के लिए कंपनी ने 224 करोड़ रुपये का वित्तीय लक्ष्य तैयार किया है।
वहीं वोडाफोन के पूर्वी क्षेत्र के सीईओ श्रीधर राव ने बताया कि कंपनी बेहतर बुनियादी सेवाओं के जरिए उपभोक्ताओं की संख्या बढ़ाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि कंपनी इस कोशिश में जुटी है कि ग्राहक को कुछ ऐसी सुविधाएं दी जाएं कि वे ज्यादा खर्च कर सकें।
