पंजाब सरकार द्वारा जालंधर में प्रस्तावित मेगा फूड पार्क अभी तक केन्द्र के दिशानिर्देशों का इंतजार कर रहा है।
इस फूड पार्क की स्थापना खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय की एक योजना के तहत की जानी है। केन्द्र द्वारा गठित आर्थिक मामलों की समिति ने पार्क को अपनी मंजूरी दे दी। नई दिल्ली में कैबिनेट की बैठक में इस प्रस्ताव को स्वीकृति मिलने की संभावना है।
परियोजना की अनुमानित लागत 120 करोड़ रुपये है और इसे सार्वजनिक निजी साझेदारी के तहत विकसित किया जाएगा। केन्द्र सरकार की इस योजना के तहत पंजाब के अलावा तीन अन्य राज्यों में फूड पार्क की स्थापना की जाएगी। योजना के तहत केन्द्र सरकार 50 करोड़ रुपये की वित्तीय मदद मुहैया कराएगी और शेष राशि राज्य सरकार और निजी साझेदार जुटाएंगी।
पंजाब एग्रो इंडस्ट्रीज कारपोरेशन लिमिटेड के सूत्रों ने बताया कि ‘केन्द्र सरकार द्वारा गठित आर्थिक समिति ने जालंधर में फूड पार्क की स्थापना को अपनी मंजूरी दे दी है और हम केंद्रीय कैबिनेट के परिचालन दिशानिर्देशों का इंतजार कर रहे हैं। कैबिनेट की मंजूरी मिलने में 1 या 2 महीने का समय लग सकता है। कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद ही केन्द्रीय मदद की पहली खेप मिल सकेगी।’ फूड पार्क योजना का क्रियान्वयन एक विशेष उद्देश्यीय कंपनी करेगी। बहुत संभव है कि यह एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी होगी।
इस कंपनी के हिस्सेदारों में पार्क, उत्पादक, एजेंसियां, रिटेलर्स और सेवा प्रदाता शामिल होंगे। अनुमान है कि फूड पार्क की आपूर्ति श्रंखला से 400 से 500 किसान जुड़ेंगे। उत्पादक कंपनी या सोसाइटी फूड पार्क के क्रियान्वयन के लिए गठित एसपीवी में हिस्सेदार होगी।
योजना के मुताबिक मेगा फूड पार्क की आपूर्ति श्रृंखला में तीन स्तरीय प्रणाली होगी। इसमें 20 से 30 स्वयं सहायता समूहों के जरिए उत्पादक समूह शामिल होंगे। प्रत्येक स्वयं सहायता समूह में 10 से 20 किसान शामिल होंगे। इसमें प्रत्येक उत्पादक समूह के लिए एक संग्रह केन्द्र और उत्पाद विशेष के लिए एक प्राथमिक केन्द्र भी होगा।