मुंबई सहित समूचे महाराष्ट्र में दुकानों व संस्थानों के साइन बोर्ड मराठी में अनिवार्य रूप से लगाने के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका बंबई उच्च न्यायालय ने बुधवार को खारिज कर दी। हाईकोर्ट ने कहा कि इस आदेश से संविधान के अनुच्छेद 14 के प्रावधानों का उल्लंघन नहीं होता। इसके साथ ही अदालत ने याचिकाकर्ता पर 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया।
बंबई उच्च न्यायालय ने बुधवार को महाराष्ट्र सरकार के उस नियम को उचित करार देते हुए रद्द करने से इनकार कर दिया, जिसमें राज्य सरकार ने दुकानों और प्रतिष्ठानों के बोर्ड पर उनका नाम मराठी भाषा में अनिवार्य रूप से प्रदर्शित करने का नियम बनाया है। न्यायमूर्ति गौतम पटेल और न्यायमूर्ति माधव जामदार की खंडपीठ ने इस मुद्दे पर फेडरेशन ऑफ रिटेल ट्रेडर्स की याचिका को खारिज कर दिया और उस पर 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि दुकानों पर उनके बोर्ड में किसी अन्य भाषा के इस्तेमाल पर कोई रोक नहीं है और नियम के अनुसार दुकान का नाम मराठी में प्रदर्शित होना अनिवार्य है।
अदालत ने जुर्माना की राशि संगठन को मुख्यमंत्री सहायता कोष में जमा कराने को कहा गया है। याचिका में महाराष्ट्र दुकान व प्रतिष्ठान (रोजगार और सेवा की शर्तों का विनियमन) अधिनियम, 2017 में संशोधन को चुनौती दी गई थी, जिसके अनुसार सभी दुकानों और प्रतिष्ठानों के बोर्ड पर मराठी में अपने नाम प्रदर्शित करने होंगे। साथ ही नियमानुसार, मराठी में लिखे नाम के अक्षरों का आकार, दूसरी लिपि में लिखे अक्षरों के आकार से छोटा नहीं होना चाहिए। मराठी साइन बोर्ड अनिवार्य करने को लेकर राज्य सरकार ने कैबिनेट में प्रस्ताव पारित किया था।