भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ता व्यापार निश्चित तौर पर दोनों देशों के सुधरते हालातों को दिखाता है। अब तो दोनों देशों के बीच मालवाहक रेलगाड़ियों की आवाजाही में भी बढ़ोतरी हो रही है।
आकड़ों के मुताबिक वाघा बार्डर से दोनों देशों की सीमाओं में प्रतिदिन प्रवेश करने वाले ट्रकों की संख्या 15 से बढ़कर लगभग 30 हो गई हैं।विश्लेषकों का मानना है कि भारत और पाकिस्तान के बीच अत्याधुनिक इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट लग जाने के बाद दोनों देशों के बीच होने वाला व्यापार निश्चित तौर पर स्वर्णिम ऊंचाइयों पर जा पहुंचेगा। दोनों देशों के बीच ट्रकों के जरिए 1 अक्टूबर 2007 को व्यापार शुरु हुआ था।
इसके पहले व्यापार विनिमय पर आधारित था। रेडक्लिफ लाइन पर दोनों तरफ से आए हुए माल को कुली समान वजन तौल के अदल-बदल लेते थे। अक्टूबर 2007 में ही लगभग 14,717 मीट्रिक टन सब्जी का निर्यात वाघा बार्डर के जरिए हुआ था जो पिछले वर्ष इसी महीने के 4,701 मीट्रिक टन से 10,016 मीट्रिक टन ज्यादा रहा।
इसी तरह 2006 के नवंबर महीने में किए गए 3,207 मीट्रिक टन ताजी सब्जी के निर्यात की तुलना में नंवबर 2007 में 6,422 मीट्रिक टन सब्जी का निर्यात किया गया। दिसंबर 2006 और जनवरी 2007 में किए गए 7,965 मीट्रिक टन और 1,849 मीट्रिक टन ताजी सब्जी के निर्यात की तुलना में दिसंबर 2007 और जनवरी 2008 में 11,097 टन और 17,265 टन ताजी सब्जी का निर्यात किया गया।
यह आंकडें साफ तौर पर बताते हैं कि दोनों देशों के बीच ट्रकों की आवाजाही बढ़ने से पाकिस्तान को होने वाले ताजी सब्जी के निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। लेकिन इस दौरान पाकिस्तान के साथ होने वाले मीट के निर्यात में कमी आई हैं। दोनों देशों के मध्य बढ़ते व्यापार को देखते हुए सरकार ने एक इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट बनाने का निर्णय लिया हैं। यह इंटिग्रेटेड चेक पोस्ट 120 एकड़ में 300 करोड़ रुपये की लागत से बनाया जाएगा।
कुछ दिनों पहले पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने भी कहा था कि अटारी बार्डर के खुलने से निश्चित तौर पर दोनों देशों के पंजाबियों के मध्य होने वाले व्यापार में वृद्धि होगी और नए रोजगारों का सृजन होगा।
भारत में तैयार खेल के सामानों, हौजरी, मशीन यंत्रो, इंजीनियरिंग यंत्रों और खाद्य पदार्थो की पाकिस्तान में विशेष मांग रहती है। इसी तरह भारत में पाकिस्तान में तैयार कॉटन के उत्पादों की विशेष मांग रहती है। व्यापार के लिए रास्ता खुलने से निर्यात में बढ़ोतरी होना तय है। इसके अलावा दोनों देशों की कृषि पर आधारित अर्थव्यवस्था में भी पारस्परिक व्यापार से विकास किया जा सकता है। इससे दोनों देशों के किसानों के लिए नए बाजार तैयार होंगे और उन्हें उपज की बेहतर कीमत हासिल हो सकेगी।