उत्तराखंड में बीते महीने दो बड़ी पनबिजली परियोजनाओं का निर्माण रोकने के बाद अब जीवीके की अलकनंदा जल विद्युत परियोजना स्थानीय लोगों को निशाने पर आ गई है।
इस परियोजना की क्षमता 330 मेगावाट है। स्थानीय लोगों के विरोध के बाद कुछ दिन पहले सरकार ने बांध के निर्माण कार्य को रोक दिया है। लोगों का आरोप है कि जीवीके कंपनी गैरकानूनी तरीके से मलबे को अलकनंदा नदी में डाल रही है जो पर्यावरण के लिए हानिकारक है।
राज्य सरकार ने मामले की जांच के लिए एक समिति का गठन भी किया है। राज्य के अतिरिक्त बिजली सचिव सी भास्कर ने बताया कि ‘जब तक समिति अपनी रिपोर्ट नहीं सौंप देती है, बांध पर किसी तरह के निर्माण की इजाजत नहीं दी जाएगी।’ हालांकि श्रीनगर के उप जिलाधिकारी एम डी जोशी ने बताया कि कंपनी परियोजना स्थल पर निर्माण के अलावा दूसरे काम कर रही है।
अलकनंदा परियोजना का निर्माण पौड़ी जिले के श्रीनगर में किया जा रहा है। परियोजना की कुल लागत 1600 से 2000 करोड़ रुपये है। जीवीके परियोजना को तीन साल के भीतर पूरा करना चाहती है। दो साल पहले जीवीके ने टाटा पॉवर से अलकनंदा कंपनी में बहुलांश हिस्सेदारी खरीदी थी। इससे पहले परियोजना का नाम उत्तर डंकन हाइड्रो पॉवर कंपनी था, जिसे बाद में बदल दिया गया।