महाराष्ट्र में कोरोना संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए राज्य सरकार ने नए नियम और कई पाबंदियां लगाई हैं। इससे राज्य में अगले 15 दिन तक करीब आधी विनिर्माण इकाइयों पर ताला जड़ सकता है। इन इकाइयों में घरेलू उपकरण और परिधान बनाने वाली इकाइयां भी शामिल हैं, जो गैर-आवश्यक श्रेणी में आती हैं।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्घव ठाकरे ने बीते मंगलवार को राज्य में 15 दिन के लिए कफ्र्यू लगाने और कई तरह की पाबंदियों की घोषणा की थी। इस आदेश के अनुसार आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं से जुड़े कारखाने-कार्यालय पूरी क्षमता से परिचालन में रहेंगे। निर्यातोन्मुख इकाइयां भी ऑर्डर को पूरा करने के लिए चालू रहेंगे। निरंतर विनिर्माण की जरूरत वाले 50 फीसदी क्षमता के साथ चल सकते हैं। लेकिन अन्य सभी कारखानों को अगले 15 दिनों तक बंद रहेंगे।
महाराष्ट्र चैंबर ऑफ कॉमर्स, इंडस्ट्री ऐंड एग्रीकल्चर (एमसीसीएआई) के अध्यक्ष सुधीर मेहता ने कहा, ‘उद्योगों पर नई पाबंदियों से महाराष्ट्र की करीब 50 फीसदी विनिर्माण इकाइयां बंद हो सकती हैं। उद्योग को इस तरह की पाबंदियों से अलग रखना चाहिए और सुरक्षा मानदंड का ध्यान रखते हुए उन्हें परिचालन की अनुमति देनी चाहिए थी। पिछले साल लॉकडाउन का असर बहुत व्यापक हुआ था। अगर इस बार फिर से उद्योग प्रभावित होते हैं तो कर संग्रह और रोजगार पर प्रतिकूल असर पड़ेगा।’
घरेलू उपकरण विनिर्माताओं ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि वे राज्य सरकार से इस बारे में स्पष्टता का इंतजार कर रहे हैं कि वे महाराष्ट्र में अपनी इकाइयां चालू रख सकते हैं या नहीं। कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स ऐंड अप्लाइंसेस मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष और गोदरेज अप्लाइंसेस के कार्यकारी उपाध्यक्ष कमल नंदी ने कहा, ‘इस बारे में चर्चा चल रही है और हम दिशानिर्देश का इंतजार कर रहे हैं।’
हालांकि अप्लाइंसेस उद्योग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि महाराष्ट्र में इस तरह के उद्योग को बंद करने का कोई तुक नहीं है क्योंकि अन्य राज्यों में गैर-आवश्यक वस्तुओं के रिटेल स्टोर खुले हैं और स्थानीय संयंत्रों में तैयार माल को वहां भेजा जा सकता है। उन्होंने कहा, ‘हमें पूरी सुरक्षा दिशानिर्देश के साथ परिचालन की अनुमति देनी चाहिए। हम इसके लिए तैयार हैं।’
महाराष्ट्र अप्लायंस कंपनियों की सालाना बिक्री में 12-15 फीसदी का योगदान करता है। हालांकि वस्त्र निर्माताओं में मौजूदा लॉकडाउन के दौरान फैक्टरियों के संचालन को लेकर ज्यादा विश्वास नहीं नजर आया क्योंकि उनकी कई इकाइयां 2020 के देशव्यापी लॉकडाउन के बाद लगे झटके से ही नहीं उबर सकी हैं।
सोमवार को ठाकरे को लिखे पत्र में दी क्लोदिंग मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के प्रेसिडेंट राजेश मसंद ने चेतावनी दी कि महाराष्ट्र में लगा लॉकडाउन स्थानीय उद्योगों को तगड़ा झटका दे सकता है। मसंद ने लिखा, ‘वस्त्र उद्योग गत वर्ष की महामारी से खासतौर पर प्रभावित हुआ क्योंकि इस उद्योग की जीवन रेखा माना जाने वाला खुदरा कारोबार सबसे बाद में खुलने वाले क्षेत्रों में शामिल रहा। इस उद्योग को कोविड के पहले जैसा कारोबारा के आसपास पहुंचने में करीब एक वर्ष लगा ऐसे में एक और लॉकडाउन महाराष्ट्र में कपड़ा उद्योग को पूरी तरह तबाह कर देगा।’ महाराष्ट्र में करीब 18,000 परिधान फैक्टरी हैं जिनमें से 10,000 मुंबई में या उसके आसपास स्थित हैं।