छह साल पहले राज्य बिजली बोर्ड को विभिन्न इकाइयों में बांटने की जो सरकारी योजना बनाई गई थी वह इस साल जून के अंत तक पूरी हो सकती है।
इसके तहत राज्य बिजली बोर्डों को बिजली उत्पादन, संचरण, वितरण और व्यावसायिक कारोबार को अलग-अलग करना है। अभी तक सात राज्यों के बिजली बोर्डों ने इन्हें अलग-अलग नहीं किया है। ये राज्य हैं- केरल, तमिलनाडु, बिहार, झारखंड, हिमाचल प्रदेश और मेघालय। इन राज्यों को जून की आखिरी समय सीमा दे दी गई है।
ऊर्जा मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा, ”हमने बचे हुए राज्यों को उनके बिजली बोर्ड के कामों को अलग-अलग करने के लिए 30 जून की समय सीमा दी है।” हालांकि, पहले भी कई समय सीमा टूटे हैं लेकिन इस बार अधिकारियों को उम्मीद है कि सातों राज्य इस समय सीमा का ध्यान रखेंगे।
बिजली बोर्ड के काम को अलग-अलग करने की बात इलेक्ट्रिसिटी ऐक्ट, 2003 के आधार पर की गई थी। बिजली बोर्ड के काम को अलग-अलग करने को एक राजनीतिक निर्णय बताते हुए समय सीमा कम होने की बात को खारिज करते हुए अधिकारी ने कहा, ”उन्हें 2003 से समय दिया जा रहा है। चुनाव के बाद भी उनके पास इस काम को अंजाम देने के लिए 45 दिन का समय होगा।”
इलेक्ट्रिसिटी ऐक्ट के तहत राज्य बिजली बोर्ड के काम अलग करने की प्रक्रिया में ट्रांसफर स्कीम के जरिए बोर्ड अपने अधिकारों और देनदारियों को राज्य सरकार को स्थानांतरित करेगी। इसके बाद इन्हें सरकारी कंपनी के पास स्थानांतरित कर दिया जाएगा। इनमें से कई राज्यों ने कामों को अलग-अलग करने के लिए शुरुआती कदम भी उठाए हैं।
ऊर्जा मंत्रालय के अधिकारी ने कहा, ”तमिलनाडु की कैबिनेट निर्णय ले चुकी है। बिहार और झारखंड इस प्रक्रिया में हैं। केरल पहले ही स्थानांतरण योजना प्रकाशित कर चुकी है।” राज्य बिजली बोर्डों के कर्मचारी इस बदलाव का विरोध करते रहे हैं। कर्मचारियों को इस बात का डर है कि ऐसा होने पर निजीकरण को बढ़ावा मिलेगा और उनकी नौकरियां खतरे में पड़ जाएंगी। कामों को अलग-अलग किए जाने के विरोध का एक कारण और है।
झारखंड बिजली बोर्ड से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ”अगर हर काम के लिए अलग कंपनी बन जाएगी तो यह पता चल जाएगा कि किसका कितना और कहां नुकसान हो रहा है। पर राज्य बिजली बोर्ड ढांचे में संचरण और वितरण के लिए एक ही खाता रहता है।”
झारखंड भी कई बार बिजली बोर्ड के काम को अलग-अलग करने के लिए समय सीमा को बढ़वा चुका है। इस बार राज्य के जल्द ही किसी नतीजे पर पहुंचने की उम्मीद है। राज्य के बिजली विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘इस मामले में पीएफसी कंसल्टिंग हमें सलाह दे रही है।’
