कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के दौरान राष्ट्रीय राजधानी के अस्पतालों में ऑक्सीजन की खपत के ऑडिट के लिए उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित एक उप-समूह ने कहा कि दिल्ली सरकार ने ऑक्सीजन की खपत ‘बढ़ा-चढ़ाकर’ बताई और 289 मीट्रिक टन की आवश्यकता के लिए फॉर्मूले से चार गुना अधिक 1,140 एमटी ऑक्सीजन का दावा किया। एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय समिति ने कहा कि दिल्ली सरकार ने ‘गलत फॉर्मूले’ का इस्तेमाल करते हुए 30 अप्रैल को 700 एमटी मेडिकल ग्रेड ऑक्सीजन के आवंटन का दावा किया।
शीर्ष न्यायालय ने दिल्ली के स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे और ऑक्सीजन के आवंटन का ऑडिट करने के लिए एक उप-समूह गठित किया था और कहा था कि इसमें एम्स के रणदीप गुलेरिया, मैक्स हेल्थकेयर के संदीप बुधिराजा और दो आईएएस अधिकारी शामिल हो जो संयुक्त सचिव की रैंक से कम के अधिकारी न हो। समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि दिल्ली में चार मॉडल अस्पतालों सिंघल अस्पताल, अरुणा आसफ अली अस्पताल, ईएसआईसी मॉडल अस्पताल और लाइफरे अस्पताल ने बहुत कम बिस्तरों के लिए बहुत ज्यादा ऑक्सीजन खपत का दावा किया और ये दावे साफ तौर पर ‘गलत’ लगते हैं।
शीर्ष न्यायालय को अपनी अंतरिम रिपोर्ट सौंपने वाली समिति ने कहा कि उप-समूह की बैठकों के दौरान उसे प्रोफार्मा से मिले आंकड़ों में ‘घोर विसंगतियां’ मिली। 23 पृष्ठों की अंतरिम रिपोर्ट में कहा गया है, ‘भारत सरकार के भारतीय उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग के अतिरिक्त सचिव ने उस पर नाखुशी जताई जिस तरीके से दिल्ली सरकार ने आंकड़ों की तुलना की क्योंकि इसमें कई गलतियां हैं जिनका जिक्र किया गया है। अब भी यह स्पष्ट नहीं है कि दिल्ली सरकार ने उच्चतम न्यायालय में 700 एमटी का आवंटन करने की मांग किस आधार पर की।’
राष्ट्रीय कार्य बल की 163 पृष्ठों की इस अंतरिम रिपोर्ट में कहा गया है, ‘ऐसा लगता है कि सरकार ने गलत फॉर्मूले का इस्तेमाल किया और 30 अप्रैल को बढ़ा-चढ़ाकर दावे किए।’ यह भी देखा गया कि कुछ अस्पताल किलोलीटर और मीट्रिक टन के बीच भेद नहीं कर सके और 700 एमटी का दावा करते हुए भी इसकी जांच नहीं की गई। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘विस्तारपूर्वक चर्चा के बाद उप-समूह इस नतीजे पर पहुंचा कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की ऑक्सीजन की मौजूदा आवश्यकता 290 से 400 एमटी है। इसके अनुसार ऐसी सिफारिश की जाती है कि दिल्ली को 300 एमटी का कोटा दिया जाए।’
ऑक्सीजन का भंडार हो: राष्ट्रीय कार्य बल
राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों को ऑक्सीजन के आवंटन की प्रणाली बनाने के लिए उच्चतम न्यायालय की तरफ से गठित शीर्ष चिकित्सा विशेषज्ञों के राष्ट्रीय कार्य बल (एनटीएफ) ने सुझाव दिया है कि देश को पेट्रोलियम उत्पादों के लिए की जाने वाले व्यवस्था की तर्ज पर दो-तीन हफ्तों की खपत के लिए ऑक्सीजन गैस का अतिरिक्त भंडार रखना चाहिए। 12 सदस्यीय एनटीएफ ने यह भी कहा कि सभी अस्पतालों में आपात स्थितियों से निपटने के लिए अतिरिक्त भंडार होना चाहिए और उन्हें वरिष्ठ कर्मियों की ऑक्सीजन निगरानी समितियां बनानी चाहिए। शीर्ष न्यायालय ने कोविड-19 मरीजों की जान बचाने और महामारी से निपटने के लिए जन स्वास्थ्य व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए ऑक्सीजन के आवंटन की प्रणाली बनाने के लिए 6 मई को एनटीएफ का गठन किया था।