भले ही पिछले कुछ सालों में रियल्टी कंपनियों ने खूब चांदी काटी हो लेकिन अब मंदी की मार से परेशान प्रॉपर्टी कारोबारियों को बचाने वाला कोई मसीहा नजर नहीं आ रहा है।
बिजनेंस स्टैंडर्ड ने जब एनसीआर की प्रमुख रियल्टी कंपनियों और प्रॉपर्टी डीलरों से प्रॉपर्टी की कीमतों का जायजा लिया तो पिछले छह महीनों में प्रॉपर्टी बाजार के 30 से 35 फीसदी गिरने की बात सामने आई है।
लेकिन इसके बावजूद एनसीआर में रिहायशी प्रॉपर्टी की ओर रुख किया जाए तो दिल्ली के वंसत कुंज, ग्रेटर कैलाश और एसजे एन्क्लेव जैसे पॉश इलाकों में जमीन की कीमतें 25,000-40,000 हजार वर्ग फीट है।
इन इलाकों में प्रॉपर्टी का काम देखने वाले एस के प्रॉपर्टी डीलर्स के एस के खरवंदा ने बताया कि पॉश इलाकों में मंदी का बहुत असर नहीं हुआ है। लोकेशन अच्छी होने पर इन्हीं इलाकों में जमीन की कीमत 60,000-80,000 रुपये वर्ग फीट भी है।
लेकिन कीमतों में पिछले साल की तुलना में 20 फीसदी तक की कमी आई है। पश्चिमी दिल्ली के महावीर एन्कलेव, उत्तम नगर, मोहन गार्डन जैसे इलाकों में जमीन की कीमत 30,000-45,000 हजार रुपये प्रति गज है। जबकि नजफगढ़ और नांगलोई में 15000-20,000 हजार रुपये गज की दर से जमीन उपलब्ध है।
उत्तरी दिल्ली के अरूण प्रॉपर्टी डीलर्स के राजनारायण और गर्ग प्रापर्टी के एल के गर्ग ने बताया कि उत्तरी दिल्ली में जमीन की कीमतों में 15 फीसदी की कमी आई है। वजीराबाद,यमुना विहार जैसे इलाको में जमीन 5,000-7,000 हजार रुपये प्रतिवर्ग फीट हो गए है।
जबकि कुछ महीनों पहले ही यहां जमीन की दरें 10,000-12,000 हजार रुपये प्रतिवर्ग फीट थी। अगर पूर्वी दिल्ली और नोएडा के हालातों का जायजा लिया जाए तो इन इलाकों में प्रॉपटी का काम करने वाले होम माई होम के विजय कुमार और शीतल प्रॉपर्टी के वी के सहगल का कहना है कि अशोक नगर और मयूर विहार में जमीन की कीमत 30,000 से 45,000 हजार रुपये प्रति गज है।
उन्होंने बताया कि एक तो बाजार में ग्राहक नहीं है। जो लोग मकान या जमीन खरीदना भी चाहते है । वे ग्रेटर नोएडा और नोएडा को चुन रहें है। ब्रांडेड कंपनियों यूनीटेक और पार्श्वनाथ के ग्रेटर नोएडा में 2 बीएचके और 3 बीएचके अपार्टमेंट 3200-3500 रुपये प्रति वर्ग फीट की दर पर आसानी से उपलब्ध है।
जबकि पैरामांउट, महागुन और लैंडक्राफ्ट जैसी छोटी कंपनियों के अपार्टमेंट 1700 से 2300 रुपये प्रति वर्ग फीट की दर पर उपलब्ध है। मंदी के बावजूद ये कं पनियां अपनी कीमतों को कम करने की बात नहीं कर रही है।
इस बाबत इनवेस्टर्स क्लीनिक के सुधीर तिवारी का कहना है कि भले ही बड़ी कंपनियां कीमतें कम न करने का दंभ भरें लेकिन असलियत यहीं है कि बाजार में कीमतें घट रहीं है। संगठित बड़ी कंपनियों का उपभोक्ता निवेशक वर्ग है।
इसलिए मंदी के इस मौसम में वह बाजार में आने से कतरा रहा है। लेकिन अंसगठित प्रॉपर्टी को खरीदने वाला वास्तविक ग्राहक बाजार में है और प्रापर्टी को वास्तविक कीमत से 30 से 40 फीसदी से कम में खरीद रहा है। इसलिए संगठित रियल्टी बाजार से उपभोक्ता मोटे तौर पर गायब नजर आ रहा है।
तिवारी आंकड़ों को खोलते हुए बताते है कि पिछले साल नोएडा के सेक्टर 93,128, 50, 82, 26 में ही अपार्टमेंट की कीमतें 5000 प्रति वर्ग फीट के ऊपर पहुंच गई थी। लेकिन इस साल कीमतों में सीधे तौर कमी आई है और कीमतें 3,000 से 4,000 रुपये के बीच आ गई है।
बदल गई सूरत
एनसीआर में कीमतें 30 से 35 प्रतिशत तक गिर गई हैं
उत्तरी दिल्ली में कीमतें 15 फीसदी घटी
ब्रांडेड प्रापर्टी के बाजार को लगी सबसे अधिक चोट। छोटी कंपनियां भी हुई हलकान