सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (सेकी) की परियोजना भी अदाणी समूह की कुछ कंपनियों के रिश्वत से जुड़े घोटाले में विवाद के केंद्र में हैं और इस मामले के चर्चा में आने के बाद पहली बार एक सार्वजनिक बयान जारी कर अपने ‘अनूठे व्यापार मॉडल’ की बात की है। सेकी, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) के अधीन काम करता है और इसका कहना है कि किसी परियोजना में बोली लगाने वाली कंपनी बोली की प्रक्रिया के बाद ऊंची दर पर बिजली बेचने के लिए खरीदार न मिलने पर बिजली की कीमत कम कर सकती है।
सेकी के नोटिस में किसी परियोजना या डेवलपर का जिक्र नहीं है। हालांकि सेकी ने अदाणी ग्रीन और न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज पर सूचीबद्ध एज्योर पावर के खिलाफ अमेरिका में पिछले हफ्ते जारी किए गए आरोप पत्र के बाद पहली बार बयान दिया है।
यह मामला वर्ष 2021 में सौर विनिर्माण इकाई के साथ-साथ बिजली बनाने वाले संयंत्र के लिए सेकी की पहली अलग तरह की निविदा से जुड़ा हुआ है। इस नीलामी में केवल अदाणी ग्रीन और एज्योर पावर ने जीत हासिल की और दोनों ने 2.92 रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से बोली लगाई थी जो सेकी द्वारा तय 2.93 रुपये प्रति यूनिट के अधिकतम शुल्क से थोड़ा ही कम था। लेकिन जब सेकी को इन परियोजनाओं के लिए कोई खरीदार नहीं मिला तब कथित रूप से दोनों कंपनियों ने कई राज्यों से बिजली खरीदने के लिए संपर्क किया और रिश्वत की पेशकश की। न्यूयॉर्क के ईस्टर्न डिस्ट्रिक्ट के अटॉर्नी के आरोप पत्र में इन बातों का जिक्र किया गया है।
इस आरोप पत्र के मुताबिक स्वीकृति पत्र (एलओए) में बिजली की कीमतें अधिक दर्ज होने के चलते सेकी के लिए वैसे राज्यों को ढूंढना मुश्किल हो गया जो परियोजना की बिजली खरीदने की इच्छुक हों। आंध्र प्रदेश से भी कम कीमत पर बिजली खरीदने के लिए संपर्क किया गया था। सेकी ने आंध्र प्रदेश के बिजली विभाग को पत्र लिखकर यह गुजारिश की थी कि वे इस परियोजना की बिजली 2.49 रुपये प्रति यूनिट की दर से खरीदें और यह दावा भी किया गया कि बोली लगाने वाली कंपनियों ने स्वतः ही इसकी दरें कम कर दी हैं।
सेकी ने अपने हाल के सार्वजनिक बयान में एमएनआरई द्वारा स्थापित नवीकरणीय ऊर्जा क्रियान्वयन एजेंसियों (आरईआए) में से एक के तौर पर अपने कारोबारी मॉडल की व्याख्या की है।
एमएनआरई और ऊर्जा मंत्रालय सौर, पवन, हाइब्रिड और चौबीस घंटे (आरटीसी) निविदाओं के लिए मानक बोली दिशानिर्देश जारी करते हैं। सेकी और अन्य आरईआईए वास्तव में एमएनआरई द्वारा आवंटित बोली प्रक्रिया के मुताबिक ही निविदा जारी करते हैं और इसके लिए पारदर्शी इलेक्ट्रॉनिक बोली के तरीके का इस्तेमाल किया जाता है।