देश की सबसे बड़ी पेंट निर्माता एशियन पेंट्स के लिए वित्त वर्ष 2026 में बाजार भागीदारी या मार्जिन सुधरने की संभावना कम दिख रही है। वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में कंपनी का प्रदर्शन निराशाजनक रहा। सुस्त मांग, बढ़ती प्रतिस्पर्धा और मूल्य निर्धारण क्षमता के अभाव के कारण दलाल पथ कंपनी की आगामी वृद्धि या लाभप्रदता में सुधार को लेकर बहुत ज्यादा आशावादी नहीं है।
इस क्षेत्र की राह में कई तरह की चुनौतियों से पिछले एक साल के दौरान शेयर में लगभग 15 प्रतिशत की गिरावट आई तथा पिछले तीन वर्षों में यह 23 प्रतिशत कमजोर हुआ है।
डेकोरेटिव पेंट निर्माता दिग्गज का मुख्य राजस्व सालाना आधार पर 5 फीसदी घट गया जबकि समेकित राजस्व में 4 फीसदी गिरावट आई। राजस्व के ये दोनों आंकड़े अनुमान से कम रहे। पेंट एवं डेकोर की दिग्गज कंपनी के लिए राजस्व में गिरावट की यह लगातार पांचवीं तिमाही थी।
कंपनी के राजस्व प्रदर्शन पर कमजोर मांग का असर पड़ा, जो ग्राहकों के सस्ते माल के रुझान और प्रतिस्पर्धा में तेजी से और भी बढ़ गया। शहरी क्षेत्रों में कमजोरी, चुनौतीपूर्ण मांग की स्थिति और प्रतिस्पर्धी माहौल के कारण घरेलू बाजार में बिक्री वृद्धि सालाना आधार पर 1.8 प्रतिशत तक सीमित रही। चौथी तिमाही की कमजोरी अल्पावधि में भी जारी रहने की आशंका है।
कोटक रिसर्च में विश्लेषक जयकुमार दोशी का मानना है कि एशियन पेंट्स के घरेलू डेकोरेटिव व्यवसाय को मांग में बड़ी कमजोरी का सामना करना पड़ा और वित्त वर्ष 2025 में उसे प्रतिस्पर्धी तीव्रता का सामना करना पड़ा जिससे बिक्री वृद्धि 2.5 फीसदी के निचले स्तर पर रह गई और वैल्यू वृद्धि सालाना आधार पर 5.7 फीसदी घट गई। यह दो दशकों में सबसे कम है। बाजार हिस्सेदारी भी घटी है।
ब्रोकरेज फर्म का कहना है कि अल्पावधि परिदृश्य अस्पष्ट बना हुआ है और मांग रुझान में कोई बड़ा बदलाव आने की संभावना नहीं है। सिस्टमैटिक्स रिसर्च ने कहा कि खपत में कमी से उद्योग की मांग प्रभावित हुई है, क्योंकि खुदरा और खाद्य की ऊंची मुद्रास्फीति के बीच बजट को संतुलित बनाने के लिए उपभोक्ताओं ने ज्यादा जरूरी खरीद को ही प्राथमिकता दी। हालांकि अल्पावधि मांग चुनौतीपूर्ण बनी हुई है। लेकिन ब्रोकरेज के विश्लेषकों अभिषेक माथुर और रजत परब का मानना है कि एशियन पेंट्स में वित्त वर्ष 2026 की दूसरी तिमाही और दूसरी छमाही से सुधार देखा जा सकता है।
कंपनी का परिचालन प्रदर्शन भी निराशाजनक रहा और मुनाफे में 15 फीसदी की कमी आई। मार्जिन 18-20 प्रतिशत के लक्षित दायरे से नीचे 17.2 प्रतिशत पर आ गया। ऊंचे बिक्री खर्च, प्रतिस्पर्धी दबाव और कम उपभोक्ता खर्च के कारण मार्जिन में सालाना आधार पर 220 आधार अंक की गिरावट आई।
आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज में विश्लेषक मनोज मेनन का कहना है कि मार्जिन अनुमान में 18-20 प्रतिशत गिरावट का जोखिम है। वित्त वर्ष 2026 में प्रतिस्पर्धी तीव्रता गहराने की आशंका है। हालांकि, कच्चे तेल की कीमतों में सुधार से मार्जिन में कुछ सुधार हो सकता है।
मोतीलाल ओसवाल रिसर्च के विश्लेषक नवीन त्रिवेदी ने अल्पावधि में मांग में सुधार को लेकर अनिश्चितता और भविष्य के प्रदर्शन से जुड़ी चिंताओं को ध्यान में रखते हुए इस शेयर पर ‘तटस्थ’ रेटिंग दी है। ब्रोकरेज का मानना है कि कच्चे माल की कीमतों में नरमी कंपनी के कारोबार के लिए सकारात्मक है। लेकिन शेयर के प्रदर्शन में सुधार के लिए वृद्धि में मजबूत सुधार जरूरी होगा।