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Adani Ports: सुप्रीम कोर्ट ने अदाणी पोर्ट्स को दी राहत, गुजरात हाईकोर्ट के आदेश पर लगाई रोक

यह मामला 2005 का है, जब 108 हेक्टेयर जमीन अदाणी पोर्ट्स को आवंटित की गई थी।

Last Updated- July 10, 2024 | 5:55 PM IST
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अदाणी पोर्ट्स को बड़ी राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें राज्य सरकार को मुंद्रा पोर्ट (कच्छ जिले) के पास स्थित 108 हेक्टेयर चराई की जमीन वापस लेने का आदेश दिया गया था। यह जमीन अदाणी पोर्ट्स को आवंटित की गई थी। यह खबर NDTV के हवाले से है।

अब सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में गुजरात सरकार से जवाब मांगा है।

2005 का मामला और विवाद की शुरुआत

बता दें कि यह मामला 2005 का है, जब 108 हेक्टेयर जमीन अदाणी पोर्ट्स को आवंटित की गई थी। 2010 में, जब अदाणी पोर्ट्स एंड SEZ ने इस जमीन की फेंसिंग शुरू की, तो वहां के नवीना गांव के लोगों ने जनहित याचिका दायर कर हाईकोर्ट में 231 हेक्टेयर चराई भूमि अदाणी पोर्ट्स को आवंटित करने को चुनौती दी थी।

ग्रामीणों का कहना था कि गांव में चराई की जमीन की कमी है और इस आवंटन से उनके पास केवल 45 एकड़ जमीन ही बच पाएगी। 2014 में, राज्य सरकार द्वारा चराई के लिए 387 हेक्टेयर सरकारी भूमि देने के आदेश पारित करने के बाद अदालत ने मामले का निपटारा कर दिया था लेकिन ऐसा हुआ नहीं। तब ग्रामीणों ने अवमान याचिका दायर कर दी।

ग्रामीणों और राज्य सरकार के बीच विवाद

2015 में, राज्य सरकार ने समीक्षा याचिका दायर कर कोर्ट को बताया कि ग्राम पंचायत को सिर्फ 17 हेक्टेयर जमीन ही दी जा सकती है। सरकार ने बाकी जमीन गांव से करीब 7 किलोमीटर दूर देने का प्रस्ताव रखा। ग्रामीणों ने इस प्रस्ताव को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि मवेशियों को चराने के लिए इतनी दूर ले जाना संभव नहीं है।

इस साल अप्रैल में, अदालत ने एक वरिष्ठ राजस्व अधिकारी को इस मामले का हल निकालने के लिए कहा। अधिकारी ने जवाब दिया कि राज्य सरकार ने 2005 में अदाणी पोर्ट्स को आवंटित की गई लगभग 108 हेक्टेयर (266 एकड़) जमीन वापस लेने का फैसला किया है।

राजस्व विभाग ने बताया कि सरकार अदाणी से वापस ली गई जमीन के साथ सरकारी जमीन जोड़कर ग्रामीणों की भरपाई करेगी। इसके बाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को इसे लागू करने के आदेश दिए।

First Published - July 10, 2024 | 5:55 PM IST

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