भारत ने अप्रैल 2024 से फरवरी 2025 के बीच कोयला आयात में 9.2% की गिरावट दर्ज की है। इस अवधि में कुल 220.3 मिलियन टन (MT) कोयला आयात हुआ, जबकि पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में यह आंकड़ा 242.6 MT था। इस कमी से लगभग $6.93 बिलियन (₹53,137.82 करोड़) की विदेशी मुद्रा की बचत हुई है।
कोयले के गैर-नियंत्रित क्षेत्र (Non-Regulated Sector)—जिसमें बिजली क्षेत्र शामिल नहीं है—में आयात में 15.3% की भारी गिरावट देखी गई। यह दर्शाता है कि भारत अब कोयले की घरेलू आपूर्ति को प्राथमिकता दे रहा है और आयात पर निर्भरता घटा रहा है।
हालांकि कोयला आधारित बिजली उत्पादन में अप्रैल 2024 से फरवरी 2025 के दौरान 2.87% की वृद्धि दर्ज की गई, लेकिन थर्मल पावर प्लांट्स द्वारा मिश्रण (ब्लेंडिंग) हेतु कोयला आयात में 38.8% की भारी कमी आई है।
भारत सरकार द्वारा कमर्शियल कोल माइनिंग और मिशन कोकिंग कोल जैसी पहलों के तहत घरेलू कोयला उत्पादन को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके परिणामस्वरूप इस अवधि में कोयला उत्पादन में 5.45% की वृद्धि हुई है।
कोयला मंत्रालय ने आयात पर निर्भरता कम करने और ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए रणनीतिक कदम उठाए हैं। सरकार का उद्देश्य है कि “विकसित भारत” के लक्ष्य की ओर बढ़ते हुए एक आत्मनिर्भर और सतत ऊर्जा ढांचा तैयार किया जाए, जो देश की दीर्घकालिक आर्थिक वृद्धि को मजबूती दे सके।
हालांकि कोयले की घरेलू आपूर्ति को बढ़ावा मिल रहा है, लेकिन कोकिंग कोल और उच्च ग्रेड थर्मल कोल जैसे कोयले की कुछ श्रेणियों में अब भी आयात पर निर्भरता बनी हुई है, जो इस क्षेत्र की प्रमुख चुनौती है। विशेषकर इस्पात और सीमेंट जैसे प्रमुख क्षेत्रों में इनकी मांग बनी रहती है।
भारत सरकार का फोकस अब कोयला क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने पर है। उत्पादन बढ़ाने और आयात घटाने की यह रणनीति न केवल विदेशी मुद्रा की बचत कर रही है, बल्कि ऊर्जा सुरक्षा को भी मजबूत कर रही है।