विनिवेश अभियान के तहत सरकार भारतीय रेलवे वित्त निगम (आईआरएफसी) में अपनी 11 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने की योजना बना रही है। हिस्सेदारी की यह बिक्री मौजूदा और अगले वित्त वर्ष के दौरान होगी। रेल मंत्रालय की इस समय भारतीय रेलवे की सार्वजनिक रूप से सूचीबद् वित्तीय इकाई में 86.36 प्रतिशत हिस्सेदारी है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सरकार की मंशा 2023-24 (वित्त वर्ष 24) तक हिस्सेदारी घटाकर 75 प्रतिशत करने की है। कंपनी की मौजूदा बाजार पूंजी के मुताबिक केंद्र सरकार संभावित हिस्सेदारी बिक्री से 5,118 करोड़ रुपये जुटाएगी।
बहरहाल प्रस्तावित हिस्सेदारी की बिक्री के ढांचे या संभावित हिस्सेदारी की बिक्री के तहत पेशकश की संख्या के बारे में अभी कुछ जानकारी नहीं है। पिछले सप्ताह सरकार ने भारतीय रेलवे की टिकट बुक करने वाली इकाई भारतीय रेल खानपान एवं पर्यटन निगम (आईआरसीटीसी) में 5 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने के लिए ऑफर फार सेल (ओएफएस) की पेशकश की थी।
रेलवे की वित्तीय इकाई वर्षों से भारतीय रेलवे का महत्त्वपूर्ण स्तंभ रही है क्योंकि यह बुनियादी ढांचे को दुरुस्त करने का काम करती है। कंपनी ने 2020-21 में रेलवे को 1 लाख करोड़ रुपये और 2021-22 में 60,000 करोड़ रुपये से ज्यादा धन मुहैया कराया है। कंपनी को वित्त वर्ष 2023 में भारतीय रेल को 66,500 करोड़ रुपये सस्ता ऋण मुहैया कराना है, लेकिन अधिकारियों का कहना है कि यह धनराशि बढ़ सकती है क्योंकि रेल मंत्रालय द्वारा आक्रामक रूप से खर्च किया जा रहा है।
इस वित्त वर्ष में रेलवे के लिए 1.37 लाख करोड़ रुपये बजट का आवंटन किया गया था और भारतीय रेलवे ने अक्टूबर तक इसका 93 प्रतिशत इस्तेमाल कर लिया है। संसद के चल रहे शीतकालीन सत्र में मंत्रालय की अनुदान के लिए पूरक मांग में इस वित्त वर्ष बजट से 12,000 करोड़ रुपये अतिरिक्त आवंटन की मांग की गई है। आईआरएफसी की स्थापना 1986 में की गई थी, जिससे रेलवे के बुनियादी ढांचे के विकास के लिए अतिरिक्त बजटीय संसाधनों (ईबीआर) को बढ़ावा दिया जा सके, क्योंकि सरकार द्वारा ज्यादा बजट आवंटन किए जाने से राजकोषीय घाटे पर नकारात्मक असर पड़ता है। पिछले 3 साल में कंपनी के प्रबंधन के तहत संपत्ति 2.66 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 4.15 लाख करोड़ रुपये हो गई है।
बिजनेस स्टैंडर्ड ने इसके पहले खबर दी थी कि आईआरएफसी ने घरेलू ग्रीन बॉन्ड की पेशकश में भी रुचि दिखाई है, लेकिन वह पहले बाजार में मांग का आकलन करने को इच्छुक है क्योंकि केंद्र सरकार भी दूसरी तिमाही में 16,000 करोड़ रुपये के ग्रीन बॉन्ड जारी करने की योजना बनाई है।