facebookmetapixel
FMCG बिक्री होगी सुस्त! वितरकों की तरफ से खरीदारी पर पड़ा असरAmazon Fresh ने 270 से अधिक शहरों में कारोबार बढ़ाया, मझोले और छोटे शहरों में पहुंची कंपनीवोडाफोन आइडिया ने की एजीआर बकाये पर जुर्माना-ब्याज माफी की मांगक्विक कॉमर्स ऑर्डर में 85% की सालाना बढ़ोतरी, फास्ट डिलीवरी ने त्योहारों में बिक्री बढ़ाईइंडिया-यूके विजन 2035 के तहत ब्रिटेन में पढ़ाई के लिए भारतीय छात्रों की राह होगी और आसानलंबे वीकेंड के चलते दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों की यात्रा में 25% तक बढ़ी मांग, घरेलू पर्यटन में भी जबरदस्त तेजीसेबी का नया वैलिड यूपीआई हैंडल शुरू, ऑपरेशन में आ रही बाधातमिलनाडु में भगदड़ से मौत का मामला: FIR में कहा गया — विजय वाहन के अंदर रहे जिससे भीड़ बढ़ीभारत-भूटान रेल संपर्क शुरू होगा, ₹4,033 करोड़ की परियोजना से गेलेफू और समत्से भारत से जुड़ेंगेहम चाहते हैं कि टाटा कैपिटल से अधिक रिटेल निवेशक जुड़ें: राजीव सभरवाल

अमेरिकी शेयर बाजार और बबल के हालात

क्या अमेरिकी शेयर बाजार अपने उच्चतम स्तर पर हैं? अगर बबल की स्थिति नहीं है तो भी अमेरिकी हालात यही बताते हैं कि आने वाले समय में रिटर्न कमजोर रहेगा। बता रहे हैं

Last Updated- February 27, 2025 | 10:47 PM IST
US Market

निवेशकों के बीच इस बात को लेकर उल्लेखनीय बहस चल रही है कि क्या अमेरिकी शेयर बाजारों में बबल (शेयरों और परिसंपत्तियों का मूल्यांकन वास्तविकता से काफी अधिक होना) की स्थिति है? क्या 1999-2000 की तरह हम एक बार फिर बबल की स्थिति से गुजर रहे हैं और क्या इस बार उसके केंद्र में आर्टिफिशल इंटेलिजेंस यानी एआई है? यह बात सभी बाजारों के लिए प्रासांगिक है क्योंकि अगर अमेरिका अपने उच्चतम स्तर पर है तो वहां बाजार में गिरावट अवश्य आएगी। इसका परिसंपत्ति आवंटन और सभी वित्तीय बाजारों पर निश्चित रूप से असर होगा। मार्च 2020 में बबल फूटने के बाद 30 माह की अवधि में नैस्डैक में 78 फीसदी और एसऐंडपी 500 में 49 फीसदी की गिरावट आई। नैस्डैक को साल 2000 के बबल के दौर के 5,000 के उच्चतम स्तर को पार करने में 15 साल लग गए।

इस बार के बबल की बात करें तो मामला सीधा दिख रहा है। शिलर साइक्लिकली एडजस्टेड प्राइस टु अर्निंग (सीएपीई) अनुपात की बात करें तो इस आधार पर वर्तमान अमेरिकी मूल्यांकन 40 गुना अधिक है। इससे पहले के बबल के दौर 2000 में यह 45 गुना अधिक स्तर पर था। आज हम 1929 के उच्चतम स्तर से 32 गुना ऊपर हैं। यह साफ तौर पर बबल की स्थिति है।

हम शीर्ष पांच या 10 शेयरों को देखें या शीर्ष 10 फीसदी कंपनियों को, बाजार काफी केंद्रीकृत दिख रहा है। आज एसऐंडपी 500 के शीर्ष 10 शेयर ही सूचकांक के 40 फीसदी के हिस्सेदार हैं जो 2000 के स्तर से भी 25 फीसदी अधिक है। शीर्ष 10 फीसदी कंपनियां बाजार के 75 फीसदी हिस्से पर काबिज हैं। यह अब तक का सर्वोच्च स्तर है।

अब अमेरिका में नौ कंपनियां हैं जिनका बाजार पूंजीकरण एक लाख करोड़ डॉलर से अधिक है। इनमें से आठ तकनीकी कंपनियां हैं। इनमें से तीन का मूल्यांकन तीन लाख करोड़ डॉलर से अधिक है। तीन तकनीकी कंपनियां ऐसी भी हैं जिनका सालाना मुनाफा 100 अरब डॉलर से अधिक है। इतने मुनाफे के बावजूद विश्लेषकों को उम्मीद है कि इन कंपनियों का मुनाफा आने वाले पांच सालों तक 15 फीसदी प्रति वर्ष से अधिक तेजी से बढ़ेगा। लेकिन बाजार काफी बंटा हुआ है, 2024 में शेयरों में औसत बढ़त सिर्फ13 फीसदी पर है, जबकि एसऐंडपी 25 फीसदी बढ़ा। बाजार पूंजीकरण भारित और समान भारित एसऐंडपी के प्रदर्शन में 12 फीसदी का यह अंतर 2023 में भी था लेकिन यह अस्वाभाविक है। लंबी अवधि में आमतौर पर दोनों सूचकांकों की संरचना में फर्क नहीं रहता। आखिरी बार ऐसा बड़ा अंतर 1998-99 में देखा गया था।

एआई पर पूंजीगत व्यय में भी काफी इजाफा हुआ है। केवल चार कंपनियों अल्फाबेट, एमेजॉन, माइक्रोसॉफ्ट और मेटा वर्ष 2025 में तकनीक पर 320 अरब डॉलर खर्च करने की योजना में हैं। इस राशि का अधिकांश हिस्सा चिप्स और डेटा सेंटर अधोसंरचना में जाएगा। ओरेकल जैसी छोटी कंपनियों समेत यह आंकड़ा 400 अरब डॉलर पार कर जाएगा। यह भारत के सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी के 10 फीसदी के बराबर राशि है जिसे बड़ी अमेरिकी प्रौद्योगिकी कंपनियां एक साल में केवल एआई पर व्यय कर रही हैं। इससे हासिल क्या होगा? किसी को नहीं पता। सिवाय इस धारणा के कि कम खर्च करने का जोखिम अधिक खर्च करने के जोखिम से कहीं अधिक है। ये कंपनियां अब अपना पूरा वार्षिक नकद प्रवाह और बिक्री का लगभग 20 फीसदी खर्च कर रही हैं। शुक्र है, इसके लिए कोई ऋण नहीं ले रहा। परंतु क्या यह फाइबर ऑप्टिक्स और दूरसंचार में बहुत अधिक निवेश नहीं है जिसने 2000 के दौर में बने हालात की बुनियाद रखी थी? किसी को नहीं पता और समय ही बताएगा कि आगे क्या होगा।

इसी प्रकार अमेरिका के कारोबारी जगत का मुनाफा मार्जिन अब तक के उच्चतम स्तर पर है और हमारे देश में भी आय वृद्धि बीते एक दशक में नॉमिनल जीडीपी से करीब चार फीसदी सालाना की दर से अधिक रही है। अगर बीते 70 साल से ज्यादा के आंकड़ों पर नजर डालें तो कॉरपोरेट मुनाफा हमेशा नॉमिनल जीडीपी से पीछे रहा है। ऐसा लगता है कि हम कॉरपोरेट की अतिशय कमाई के दौर में हैं।

अमेरिकी अर्थव्यवस्था का राजकोषीय घाटा पूर्ण रोजगार की स्थिति में 7 फीसदी है जबकि ऋण और जीडीपी का अनुपात 100 फीसदी है। वहां की संघीय सरकार का ऋण 28 लाख करोड़ डॉलर है जिसकी औसत परिपक्वता अवधि बहुत कम है। अचरज की बात है कि वर्ष 2000 में उम्मीद जताई जा रही थी कि अमेरिकी सरकार 2013 तक ऋण मुक्त हो जाएगी। तो विश्लेषक आखिर कहां चूक गए? वैश्विक सूचकांकों में 70 फीसदी भार के साथ अमेरिका शायद अपने उच्चतम स्तर पर है। यह बबल हो भी सकता है और नहीं भी, लेकिन यकीनन रिटर्न के लिहाज से बेहतर नहीं है।

तेजड़ियों की दलील है कि उच्च मूल्यांकन प्राथमिक तौर पर मेगाकैप शेयरों से संचालित हैं। अमेरिका में शीर्ष 10 कंपनियों के शेयरों की खरीद-फरोख्त जहां 27 गुना अग्रिम आय आधार पर हो रही है वहीं शेष 490 कंपनियां 20 गुना पर कारोबार कर रही हैं। उनका यह भी कहना है कि एआई में होने वाले निवेश से श्रम उत्पादकता में निरंतर वृदि्ध होगी। इसके संकेत पहले ही दिख रहे हैं। उत्पादकता में इजाफा जीडीपी और आय वृद्धि को टिकाऊ बनाएगा।

अमेरिका के पास ऊर्जा सुरक्षा है और वह भी सबसे कम लागत वाली। वह तकनीक और एआई में अग्रणी है। उसका दीर्घकालिक इक्विटी रिटर्न दुनिया में सबसे बेहतर है और वह कर दरें कम करने जा रहा है। अभी भी उसकी जनांकिकी पश्चिमी शक्तियों में सबसे बेहतर है। तेजड़ियों का कहना है कि शिलर सीएपीई अनुपात पीछे की ओर देखने वाला है और उसमें उत्पादकता और आय में उस वृद्धि को ध्यान में नहीं रखा गया है जो एआई के कारण आएगी। अमेरिकी इक्विटी म्युचुअल फंड और ईटीएफ परिसंपत्तियों में से 50 फीसदी से अधिक अब पैसिव यानी निष्क्रिय प्रकृति हैं। उनमें हमें 1999-2000 की तरह सटोरिया और दैनिक कारोबार नहीं नजर आ रहा है। बाजार चिंतित करने वाली राह पर है और आज की एनवीडिया 2000 के दशक की सिस्को नहीं है। यूरोप, जापान और चीन की ढांचागत कमजोरियों को देखते हुए अमेरिका का फिलहाल कोई विकल्प नहीं नजर आ रहा है। यानी अमेरिका प्रीमियम पर कारोबार करता रहेगा।

तेजड़िए कीमत संबंधी कदम की ओर भी संकेत करते हैं। नैस्डैक का आकार 1995 से 1998 के बीच तीन गुना बढ़ गया और उसके बाद 1999 में यह 86 फीसदी बढ़ा। मार्च 2020 में उच्चतम स्तर पर पहुंचने के पहले पांच महीनों में उसमें 88 फीसदी इजाफा हुआ। तकनीकी क्षेत्र ने अच्छा प्रदर्शन किया लेकिन हम आज कीमतों में ऐसे तेज इजाफे से काफी दूर हैं।

वे यह भी कहते हैं कि हालात बिगड़ने पर नैस्डैक में पहले ही महीने एक तिहाई से अधिक गिरावट आई। पहले सप्ताह यह 10 फीसदी गिरा। डीपसीक मॉडल के झटके के बावजूद हमें वैसी गिरावट नहीं दिखी। अंततः नैस्डैक ने बढ़ती ब्याज दरों और 2001 में अमेरिका में आई मंदी के कारण घुटने टेक दिए। लेकिन हम उस दौर से साफ बच निकले हैं। निवेशकों का मानना है कि फेड यहां से दरों में कटौती करेगा और मंदी का कोई खास खतरा नहीं नजर आ रहा है।

लेकिन मैं तेजड़ियों की दलील से सहमत नहीं हूं। मेरा मानना है कि अमेरिका मूल्यांकन के लिहाज से उच्चतम स्तर पर है। आदर्श रूप में, हम अमेरिकी परिसंपत्तियों में धीरे-धीरे कमी देखेंगे, जिससे जोखिम उठाने की क्षमता स्वस्थ बनी रहेगी और पूंजी विदेशों में प्रवाहित होगी।
जोखिम कम करने की तीव्र कार्रवाई से अस्थिरता उत्पन्न हो सकती है और सभी बाजारों में गिरावट आ सकती है। मैं आशा करता हूं कि यह अमेरिका में बबल की स्थित न हो क्योंकि बबल फूटने की स्थिति में 40-50 फीसदी की गिरावट आएगी। अमेरिका के लिए यह बेहतर है कि वह धीरे-धीरे वैश्विक बाजारों से कमतर प्रदर्शन करे, जैसा कि हमने 2025 की शुरुआत से देखा है।

(लेखक अमांसा कैपिटल से जुड़े हैं)

First Published - February 27, 2025 | 10:38 PM IST

संबंधित पोस्ट