वर्ष 2015 के ‘बिजनेस इनसाइडर’ के एक लेख के मुताबिक एडविन लैंड से मिलना स्टीव जॉब्स के लिए किसी तीर्थस्थल पर जाने जैसा ही था। लैंड ने वर्ष 1937 में पोलरॉयड कॉरपोरेशन की स्थापना की थी और उन्होंने इंस्टैंट फोटोग्राफी की शुरुआत की थी। वह अपने दौर के स्टीव जॉब्स ही थे। उन्होंने कॉलेज की पढ़ाई छोड़कर एक ऐसे उत्पाद की कल्पना की जिसकी जरूरत के बारे में खरीदारों को भी अंदाजा नहीं था।
वर्ष 2011 में न्यूयॉर्क टाइम्स के लेख के मुताबिक उन्होंने 1960 के दशक में पोलरॉयड के शेयरधारकों की बैठक बेहद नाटकीय तरीके से आयोजित की जिसके लिए कला-निर्देशकों ने सेटिंग तैयार की थी और इसमें लाइव म्यूजिक तक था (बाद में जॉब्स ने इसे एक कला में बदल दिया)। हालांकि अगर तीर्थस्थल वाले संदर्भ को गंभीरता से लिया जाए तब यह कहा जा सकता है कि जॉब्स उनके मुरीद थे।
लेकिन जॉब्स के चाहने वाले भी कम नहीं थे। जॉब्स का निधन अक्टूबर 2011 में 56 वर्ष की आयु में हो गया लेकिन दुनिया भर के स्टार्टअप संस्थापकों द्वारा पहने जाने वाली बंद गले की शर्ट और जींस में उनकी यादें जिंदा हैं, भले ही इनमें से कई उनकी दूरदर्शिता और काम करने के तरीके को लेकर अनुसरण करने में सफल नहीं रहे हैं।
अमेरिका में केवल जॉब्स ही स्टार्टअप क्षेत्र के प्रेरणास्रोत नहीं हैं। जॉब्स के बड़े प्रतिद्वंद्वी बिल गेट्स भी एक महत्त्वपूर्ण ताकत बने हुए हैं। इसमें कोई शक नहीं कि माइक्रोसॉफ्ट के बिना कोई ओपनएआई नहीं होता, हालांकि अब माइक्रोसॉफ्ट का चेहरा मुख्य कार्याधिकारी (CEO) सत्य नाडेला हैं। वहीं 1970 के दशक में ओरैकल की शुरुआत करने वाले लैरी एलिसन इस वर्ष के टाइम्स मैगजीन की 100 सबसे अधिक प्रभावशाली हस्तियों की सूची में शामिल हैं।
इंटरनेट के दौर वाली पीढ़ी में गूगल के संस्थापक लैरी पेज और सेर्गेई ब्रिन मजबूती से बने हुए हैं। जेफ बेजोस की ई-कॉमर्स कंपनी, एमेजॉन दुनिया में ‘सभी चीजों’ के लिए सबसे बड़ा स्टोर बना हुआ है और इसका विस्तार अब नए क्षेत्रों जैसे कि क्लाउड में भी हो रहा है। वहीं इनसे भी युवा मार्क जुगरबर्ग ने फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सऐप की कमान संभाली हुई है और अब उन्होंने मेटा के साथ अपनी स्थिति को बेहतर बनाया है।
इसके अलावा एक पेपल माफिया है और यह जुमला उन निवेशकों और उद्यमियों के लिए है जो पेपल से निकले हैं और जिसे पीटर थिएल और मैक्स लेवचिन ने बनाया और बेचा। पेपल ने ऑनलाइन भुगतान पेशकश कर इंटरनेट की दिशा बदल दी।
इंटरनेट पर कई मशहूर नामों का वास्ता पेपल माफिया से है जिनमें फेसबुक, यूट्यूब और स्पेसएक्स तक शामिल है। थिएल, वर्ष 2012 में स्टैनफर्ड में स्टार्टअप से जुड़ा एक कोर्स पढ़ाया करते थे और वह अमेरिका की सिलिकन वैली में एक बड़ी ताकत हैं।
यह सूची असीमित है और यह बिल ह्यूलिट और डेविड पैकर्ड की कहानी के बिना अधूरी रहेगी। दोनों कॉलेज के दिनों के दोस्त थे और उन्होंने एक गैराज में कंप्यूटर कंपनी एचपी की शुरुआत की थी।
महज 12 गुना18 फुट के गैराज को सिलिकन वैली का जन्मस्थान माना जाता है। यह जगह अब भी स्टैनफर्ड यूनिवर्सिटी के नजदीक अपने मूल स्थान पर पेड़ों की कतार से लगी सड़क पर मौजूद है।
प्रेरणास्रोत
ये सभी और कुछ और (सबका नाम इस स्तंभ में शामिल करना संभव नहीं) ने उद्यमियों की पीढ़ियों को न केवल अमेरिका में प्रेरित किया है बल्कि दुनिया में भी इसका प्रभाव देखा गया।
उन्होंने अमेरिका को सबसे अधिक उद्यमियों वाले देशों की सूची में शीर्ष पर रखे जाने में अहम भूमिका निभाई है जो नवाचार और नई तरह के विचारों का प्रमुख केंद्र है। अब ऐसे में सवाल यह है कि भारत में स्टार्टअप की आकांक्षा को जगाने वाला प्रकाशस्तंभ कौन है और ऐसे महत्त्वाकांक्षी संस्थापक कौन हैं जिन्हें रोल मॉडल माना जाता है?
भारत हमेशा से उद्यमियों का देश रहा है। लेकिन अगर हम भारत की पहली पीढ़ी के आधुनिक, इंटरनेट संचालित, उपभोक्ताओं वाले स्टार्टअप पर नजर डालें तो कुछ नाम स्वतः ही उभरकर सामने आते हैं जिनमें फ्लिपकार्ट के सचिन बंसल, बिन्नी बंसल, पेटीएम के विजय शेखर शर्मा, बैजूस के बैजू रवींद्रन, स्नैपडील के कुणाल बहल और रोहित बंसल, ओयो के रितेश अग्रवाल, फ्रीचार्ज के कुणाल शाह, रेडबस के फणींद्र समा और ओला के भवीश अग्रवाल का नाम शामिल है।
भवीश की रफ्तार अब थमती नहीं दिख रही है। वह अब एक, दो नहीं बल्कि तीन यूनिकॉर्न के संस्थापक बनकर अपनी स्थिति और बेहतर बना चुके हैं। उन्होंने अपने खाते में एक इलेक्ट्रिक वाहन कंपनी ओला इलेक्ट्रिक और आर्टिफिशल स्टार्टअप ‘कृत्रिम’ को जोड़ा है। स्टार्टअप क्षेत्र के अधिकांश लोगों को भी अटूट समर्थन मिलता है और उनके प्रशंसक वर्ग हैं।
उदाहरण के तौर पर शाह, सीआरईडी (CRED) के साथ एक नया मॉडल बनाने की कोशिश कर रहे हैं और उनके सोशल मीडिया पर बड़ी संख्या में फॉलोअर हैं। उनके एक्स अकाउंट पर 881,700 फॉलोअर हैं और उनके द्वारा पोस्ट की गई कोई भी चीज वायरल हो जाती है (‘इंजीनियर डॉक्टर की नौकरी खा सकते हैं’, 25 मई को पोस्ट किया गया जिसमें 3,500 लाइक मिले, इस पोस्ट को 547 बार रिपोस्ट किया गया और 685 जवाब दिए गए)।
यही चीजें अन्य लोगों के साथ भी है। इनमें से कई अन्य स्टार्टअप में निवेशक के तौर पर भी व्यस्त हैं। लेकिन क्या हमारे पास जॉब्स, गेट्स, जुकरबर्ग, या थिएल जैसा कोई व्यक्ति है? इसका जवाब फिलहाल स्पष्ट नहीं है।
संस्थापकों की तकदीर
फ्लिपकार्ट (Flipkart) अब वॉलमार्ट की कंपनी है। स्नैपडील छोटी हो गई है, शॉपक्लूज लगभग गायब हो चुकी है। पेटीएम (Paytm) को नियामकों की सख्ती के चलते मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। बैजूस (Byju’s) की भी अपनी परेशानियां हैं।
हाल ही में रितेश अग्रवाल ने एक्स पर कहा कि वित्त वर्ष 2024 ओयो (OYO) के लिए पहले शुद्ध लाभ वाला वित्त वर्ष साबित हुआ है और वित्त वर्ष 2025 अधिक शानदार होगा।
उन्होंने न केवल भारत में बल्कि उत्तरी यूरोप के देशों, दक्षिण पूर्व एशिया, अमेरिका और ब्रिटेन में भी वृद्धि की बात की। हमें यह देखना होगा कि यह किस तरह नजर आता है। ओयो के अब तक सार्वजनिक निर्गम लाने के प्रयास सफल नहीं हुए हैं।
वास्तव में, भारत के कई स्टार्टअप संस्थापकों ने अपने लिए अच्छा प्रदर्शन किया है। सूत्रों का कहना है कि गुड़गांव में बन रहे बेहद लक्जरी घरों में देखी जा रही तेजी में स्टार्टअप संस्थापकों की ढेर सारी बुकिंग का भी योगदान है। लेकिन उन्होंने जिन स्टार्टअप की स्थापना की वे स्थायी रूप से सफल नहीं हुए हैं और ऐसा लगता है कि स्थायी तौर पर लंबी अवधि में बने रहने की संभावना भी नहीं है।
ऐसा इसलिए है कि कुछ भारतीय स्टार्टअप मूल विचारों के साथ नहीं बनते हैं? सही या गलत, कुछ लोगों को यह कहना अच्छा लगता है कि एमेजॉन और उबर जैसी कंपनियां ही मूल कंपनियां थीं।
हालांकि, चीजें जल्दी बदल सकती हैं। मुमकिन है कि पेटीएम और बैजूस वापसी करें। स्टीव जॉब्स की वापसी से पहले ऐपल भी लगभग बंद होने की स्थिति में आ गया था। ऊबर और एमेजॉन को भी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। सचिन बंसल, नवी स्टार्टअप के साथ वित्तीय क्षेत्र में क्रांति ला सकते हैं। ऐसे में मुमकिन है कि हमें अपने देश में ही स्टार्टअप के महत्त्वपूर्ण प्रेरणादायक शख्सियत मिल जाएं।