वर्ष 2022 के मध्य में संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त (यूएनएचसीआर) ने अपने अनुमान में कहा था कि पूरी दुनिया में लगभग 10.3 करोड़ विस्थापित लोग हैं। इनमें 3.25 करोड़ शरणार्थी थे जो अपने देशों से निकाल दिए गए थे और इसलिए उन्हें यूएनएचसीआर के प्रावधान के तहत आ गए।
इन शरणार्थियों में 70 प्रतिशत से अधिक पांच देशों सीरिया (68 लाख), वेनेजुएला (56 लाख), यूक्रेन (54 लाख), अफगानिस्तान (28 लाख) और दक्षिण सूडान (24 लाख) से ताल्लुक रखते थे।
इन लोगों की देखभाल करना और उन तक राहत सामग्री पहुंचाना व्यावहारिक और कूटनीतिक दोनों दृष्टिकोण से एक दुरूह कार्य हैं। ये लोग दुनिया के विभिन्न देशों में फैले हुए हैं। वर्ष 2016 में यूएनएचसीआर ने नकदी आधारित पहल की नीति की शुरुआत की जिससे प्रत्यक्ष नकद अंतरण संभव हो पाया।
शरणार्थियों को एक एजेंसी की सुविधा दी गई ताकि वे इसकी मदद से स्वयं व्यय संबंधी अपनी प्राथमिकताएं तय कर सकें। इस एजेंसी ने 2016 से 2022 के बीच दुनिया के 100 देशों में 3.5 करोड़ लोगों को सीधी नकद सहायता दी है।
यूएनएचसीआर ने कम से कम व्यवधान के साथ नकदी अधिक सुगमता और बिना किसी दिक्कत के सीधे लाभार्थियों तक पहुंचाने के लिए क्रिप्टोकरेंसी का जरिया अपनाया है। दिसंबर में यूएनएचसीआर ने यूक्रेन में फंसे लोगों को सहायता देने के लिए ब्लॉकचेन और क्रिप्टोकरेंसी के साथ एक प्रायोगिक योजना की शुरुआत की थी। मार्च में पेरिस ब्लॉकचेन वीक के चौथे संस्करण में इस परियोजना को ‘बेस्ट इम्पेक्ट प्रोजेक्ट अवॉर्ड’ दिया गया। पेरिस ब्लॉकचेन वीक डिजिटल परिसंपत्ति पर यूरोप में होने वाला सबसे बड़ा सम्मेलन है।
यूएनएचसीआर अपनी इस पहल का खाका तैयार करने के लिए संयुक्त राष्ट्र की ही एक संस्था यूएन इंटरनैशनल कंप्यूटिंग सेंटर की सेवा ली। यूएन इंटरनैशनल कंप्यूटिंग सेंटर संयुक्त राष्ट्र के लिए तकनीक का प्रबंधन करती है। ब्लॉकचेन का इस्तेमाल प्राप्तकर्ता की पहचान करने और क्रिप्टो स्टेलबकॉइन (एक प्रकार कि क्रिप्टोकरेंसी) के रूप में डिजिटल नकदी देने के लिए होता है।
ब्लॉकचेन ढांचा तैयार करने में स्टेलर डेवलपमेंट फाउंडेशन सहयोग दे रही है। यह एक गैर-लाभकारी संस्था है जो ब्लॉकचेन नेटवर्क के इस्तेमाल को बढ़ावा देती है। इस पूरी प्रक्रिया में इस्तेमाल क्रिप्टोकरेंसी स्टेबलकॉइन है जिसे यूएसडीसी (यूएस डॉलर कॉइन) कहा जाता है। इसका प्रबंधन एवं वितरण सर्किल इंटरनेट फाइनैंशियल करती है। सर्किल इंटरनेट फाइनैंशियल न्यूयॉर्क पंजीकृत वैश्विक रकम अंतरण करने वाली कंपनी है।
आखिर यह परियोजना काम कैसे करती है? ब्लॉकचेन लेनदेन पर नजर रखने के साथ इनका लेखा-जोखा रखती है। यह एक डिजिटल वॉलेट ऐप ‘वाइब्रैंट’ से जुड़ा होता है जिसके ढांचे पर काम एवं इसका प्रबंधन स्टेलर के जरिये होता है। शरणार्थी अपने स्मार्टफोन पर वाइब्रैंट वॉलेट डाउनलोड करते हैं। डाउनलोड करने के बाद वे वाइब्रैंट में यूएसडीसी प्राप्त कर उन्हें सहेज कर सकते हैं।
यूएसडीसी तत्काल कागजी मुद्रा में परिवर्तित किया जा सकती हैं या इलेक्ट्रॉनिक रूप से अमेरिकी डॉलर में परिवर्तित हो सकती हैं और सामान्य बैंक खाते में आराम से रखी जा सकती हैं। फिएट (किसी सरकार द्वारा जारा वैध मुद्रा होती है जिसके जारी करने का आधार सोना या चांदी नहीं होते हैं) भी इसी तरह यूएसडीसी में वापस परिवर्तित की जा सकती हैं।
परिभाषा के लिहाज से स्टेबलकॉइन एक क्रिप्टोकरेंसी होती है जिसकी विनिमय दर निश्चित होती है। डॉलर के साथ यूएसडीसी का कन्वर्जन रेशियो 1 अनुपात 1 का होता है। फिएट, सराफा आदि के रूप में पर्याप्त भंडार रखकर समतुल्य मात्रा में कॉइन जारी यह अनुपात बरकरार रखा जाता है। स्टेलर करेंसी बोर्ड मॉडल का इस्तेमाल करती है।
इस आरक्षित भंडार का नियमित, विश्वसनीय एवं स्वतंत्र अंकेक्षण किया जाए तो यूएसडीसी एक तरह से अमेरिकी डॉलर का एक डिजिटल बन जाती है। स्टेलर यूरोसी भी जारी करती है जिसकी विनिमय दर 1:1 अनुपात में निश्चित की जाती है। जब प्राप्तकर्ता इसे नकदी (डॉलर, यूरो या किसी स्थानीय मुद्रा) में तब्दील करना चाहता है तो ऐसा करने के बाद वे किसी भी ग्लोबल मनीग्राम लोकेशन (यूक्रेन में 4,500 मनीग्राम लोकेशन सहित) पर रकम निकाल सकते हैं।
आखिर सीधे अमेरिकी डॉलर थमाने या बैंक में इलेक्ट्रॉनिक अंतरण के बजाय इस रूप में आर्थिक सहायता देने के क्या लाभ हैं? दरअसल ब्लॉकचेन की वजह से सब कुछ पुख्ता एवं सुरक्षित ढंग से होता है और रकम इधर-उधर नहीं जाकर सीधे लाभार्थियों को पहुंचती है।
ब्लॉकचेन और क्रिप्टो की तरह ही स्टेलर किसी भी यूएसडीसी के साथ किए गए सभी लेनदेन का पता लगा सकती है। ब्लॉकचेन के जरिये यह आसानी से मालूम किया जा सकता है कि किसी समय कौन सी कॉइन किसके पास होती है। यूएसडीसी कोई चुरा नहीं सकता और न बिना वाइब्रैंट ऐप से इसका पासवर्ड लिए इनका इस्तेमाल भी नहीं किया जा सकता है।
अगर मोबाइल नेटवर्क मजबूत रहे तो अंतरण, कन्वर्जन एवं री-कन्वर्जन लगभग तत्काल हो जाते हैं। इनमें किसी तरह की बाधा या देरी नहीं आती है और एक देश से दूसरे देश में रकम भेजने पर कोई शुल्क भी नहीं लगता है। इस तरह, इस परियोजना की मदद से शरणार्थियों को एक देश से दूसरे देश किसी को भी वाइब्रैंट ऐप की मदद से डिजिटल रकम भेजने में मदद मिलती है।
कर अधिकारियों एवं नियामकों को भी कोई आपत्ति नहीं होती है और उनके खुश होने की वजह है क्योंकि हरेक कॉइन का पता लगाया जा सकता है और लेनदेन के रिकॉर्ड के साथ कोई छेड़छाड़ भी नहीं कर सकता है।
वैश्विक वित्त उद्योग को इससे एक सीख लेनी चाहिए। दुनिया में हरेक साल 700 अरब डॉलर से अधिक रकम भेजी जाती है। शोधकर्ता सार्वभौम आधारभूत आय (यूबीआई) के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन कर रहे हैं। यूबीआई के प्रभाव के लिहाज से भी इस ढांचे का अध्ययन किया जाना चाहिए। भारत के लिए यह एक विशेष रुचि का विषय हो सकता है। भारत में 2021-22 के दौरान 89 अरब डॉलर से अधिक मूल्य की रकम विदेश से आई।