डिजिटल युग में श्रम सुधार: सरकार की नई श्रम शक्ति नीति में एआई और कौशल पर जोर
श्रम एवं रोजगार मंत्रालय की मसौदा राष्ट्रीय श्रम नीति यानी श्रम शक्ति नीति सही इरादों वाली प्रतीत होती है। इसका लक्ष्य एक निष्पक्ष, समावेशी और भविष्य की दृष्टि से तैयार व्यवस्था बनाने की है जहां हर श्रमिक फिर चाहे वह औपचारिक क्षेत्र का हो, असंगठित क्षेत्र का या गिग वर्कर, उसकी गरिमा का ध्यान रखा […]
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स्वदेशी की मियाद खत्म: भारतीय व्यवसायों को सफल होने के लिए प्रतिस्पर्धा करना सीखना होगा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वदेशी उत्पाद खरीदने के आह्वान के बाद ‘व्हाट्सऐप अंकल’ सक्रिय हो गए हैं। माफ कीजिए, शायद हमें उन्हें ‘अरटई अंकल’ कहना चाहिए जो एक स्वदेशी मेसेजिंग और कॉलिंग ऐप है जिसे वे व्हाट्सऐप समूहों के सदस्यों को इस्तेमाल करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। ऐसे ही एक समूह के कुछ […]
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आर्थिक वृद्धि का रास्ता: नोबेल विजेताओं ने व्यवहारिक सोच और प्रगति की संस्कृति पर दिया जोर
आर्थिक वृद्धि क्या है और वह कहां से उत्पन्न होती है? क्या यह केवल विभिन्न सामग्रियों, कच्चे माल और प्राकृतिक संसाधनों, श्रम और पूंजी का संचयन है? क्या यह तकनीकी प्रगति का उत्पाद है या फिर इसमें कुछ और भी सूक्ष्म बात काम करती है? यह अर्थशास्त्र के लिए बुनियादी प्रश्न होना चाहिए लेकिन आश्चर्य […]
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Editorial: पराली जलाने की समस्या का स्थायी समाधान जरूरी
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) दीवाली के बाद होने वाले घातक प्रदूषण से जूझ रहा है और इस बीच यह बात याद रखने लायक है कि इस वर्ष फसल अवशेषों यानी कि पराली को जलाने का वायु प्रदूषण में उतना अधिक योगदान नहीं रहा है। ध्यान रहे कि आमतौर पर ठंड का मौसम शुरू होने पर […]
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