Skip to content
  शनिवार 25 मार्च 2023
Trending
March 24, 2023ऑप्शंस पर STT बढ़ने से घटेगा वॉल्यूमMarch 24, 2023RBI के बोर्ड ने वैश्विक घटनाओं के पड़ने वाले प्रभाव की समीक्षा कीMarch 24, 2023लॉकडाउन की दर्दनाक दास्तां के तीन साल बीते मगर सतर्कता बरतेंMarch 24, 2023भारत के साथ संबंध सुधारेगा पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया, ग्रीन टेक्नोलॉजी पर होगा विशेष ध्यानMarch 24, 2023भारत में वित्त वर्ष-24 में 33 फीसदी गिर सकता है यूरिया का आयातMarch 24, 2023CPSE ने पूंजीगत व्यय का 85 फीसदी खर्च कियाMarch 24, 2023पैसे वाले खेल मोबाइल गेम से 6 गुना ज्यादा तेजी से बढ़ रहेMarch 24, 2023विदेश यात्राओं पर क्रेडिट कार्ड से भुगतान पर लग सकता है टैक्सMarch 24, 2023दो साल में खत्म हो जाएगी भारत से टीबीMarch 24, 2023Maharashtra: बाजार में आमों की रिकॉर्ड आवक, गुणवत्ता पर खास नजर
बिज़नेस स्टैंडर्ड
  • होम
  • बजट 2023
  • अर्थव्यवस्था
  • बाजार
    • शेयर बाजार
    • म्युचुअल फंड
    • आईपीओ
    • समाचार
  • कंपनियां
    • स्टार्ट-अप
    • रियल एस्टेट
    • टेलीकॉम
    • तेल-गैस
    • एफएमसीजी
    • उद्योग
    • समाचार
  • पॉलिटिक्स
  • लेख
    • संपादकीय
  • आपका पैसा
  • भारत
    • उत्तर प्रदेश
    • महाराष्ट्र
    • मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़
    • बिहार व झारखण्ड
    • राजस्थान
    • अन्य
  • मल्टीमीडिया
    • वीडियो
  • टेक-ऑटो
  • विविध
    • मनोरंजन
    • ट्रैवल-टूरिज्म
    • शिक्षा
    • स्वास्थ्य
  • अन्य
    • विशेष
    • आज का अखबार
    • ताजा खबरें
    • अंतरराष्ट्रीय
    • वित्त-बीमा
      • फिनटेक
      • बीमा
      • बैंक
      • बॉन्ड
      • समाचार
    • कमोडिटी
    • खेल
    • BS E-Paper
बिज़नेस स्टैंडर्ड
बिज़नेस स्टैंडर्ड
  • होम
  • अर्थव्यवस्था
  • बजट 2023
  • बाजार
    • शेयर बाजार
    • म्युचुअल फंड
    • आईपीओ
    • समाचार
  • कंपनियां
    • स्टार्ट-अप
    • रियल एस्टेट
    • टेलीकॉम
    • तेल-गैस
    • एफएमसीजी
    • उद्योग
    • समाचार
  • पॉलिटिक्स
  • लेख
    • संपादकीय
  • आपका पैसा
  • भारत
    • उत्तर प्रदेश
    • महाराष्ट्र
    • मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़
    • बिहार व झारखण्ड
    • राजस्थान
    • अन्य
  • मल्टीमीडिया
    • वीडियो
  • टेक-ऑटो
  • विशेष
  • विविध
    • मनोरंजन
    • ट्रैवल-टूरिज्म
    • शिक्षा
    • स्वास्थ्य
  • अन्य
  • आज का अखबार
  • ताजा खबरें
  • खेल
  • वित्त-बीमा
    • बैंक
    • बीमा
    • फिनटेक
    • बॉन्ड
  • BS E-Paper
बिज़नेस स्टैंडर्ड
  लेख  चीन पर मोदी की समझ आधी सही आधी गलत
लेख

चीन पर मोदी की समझ आधी सही आधी गलत

बीएस संवाददाता बीएस संवाददाता —November 15, 2020 8:05 PM IST
FacebookTwitterLinkedInWhatsAppEmail

पूर्वी लद्दाख के हालात पर चिंताजनक ढंग से नजर रखते हुए एक सच कहना जरूरी है-अपने कार्यकाल के पहले पांच वर्ष में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैसी ही रणनीतिक चूक की जैसी नेहरू ने की थी। आगे हम चर्चा करेंगे कि कैसे मोदी की यह गलती नेहरू की 1955-62 की चूक की तुलना में आधी है। हम तार्किक ढंग से यह मान लेते हैं कि सन 2014 की गर्मियों में जब मोदी ने पूर्ण बहुमत से सरकार बनाई तो उन्हें पूरा भरोसा था कि उनके कार्यकाल में कोई जंग नहीं होगी। वैसे भी देशों के बीच बड़ी जंगों का युग समाप्त हो चुका है।
हमें नहीं पता कि मोदी के करीबी लोगों में किसी ने उन्हें अमेरिकी स्तंभकार टॉम फ्रीडमैन के ‘गोल्डन आर्चेज’ वाली दलील से परिचित कराया था या नहीं जिसमें उन्होंने कहा था कि जब दो देशों में मैकडॉनल्ड के रेस्तरां खुल जाते हैं तो वे आपस में नहीं लड़ते। यानी जब आप एक वैश्विक व्यवस्था का हिस्सा बन जाते हैं, एक दूसरे की बॉन्ड कीमतों से आपके स्वार्थ जुड़ जाते हैं तो आप आपस में जंग नहीं करते। इसे थोड़ा विस्तार से समझते हैं। जब देश विश्व अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण रूप से शामिल हो जाते हैं तो जैसे भारत और चीन हैं, तो वे सशस्त्र संघर्ष के आर्थिक नुकसान कहीं अधिक होते हैं।
इस नई व्यवस्था में बड़े देशों के बीच एक नए किस्म की स्थिरता का उभार हुआ। कुछ वरिष्ठ संपादकों के साथ एक बैठक में मनमोहन सिंह ने हमें इस बारे में समझाया था। मैंने पूछा था कि चीन अमेरिकी बॉन्ड में भारी खरीद कर रहा है और अमेरिकी घाटे की पूर्ति कर रहा है तो क्या अमेरिका कमजोर नहीं होगा? यदि चीन अमेरिकी बॉन्ड को खारिज करने का निर्णय लेता है तब क्या होगा? डॉ. ने एक प्रोफेसर की तरह मुस्कराते हुए इसका जवाब दिया। उन्होंने कहा कि अगर चीन ने ऐसा किया तो डॉलर लडख़ड़ा जाएगा और युआन मजबूत होगा। इससे चीन का निर्यात ध्वस्त हो जाएगा। यानी यहां एक किस्म का संतुलन था। चूंकि देशों के बीच जंग नहीं होने वाली थी इसलिए रक्षा बजट में बहुत अधिक पैसे लगाने का कोई मतलब नहीं था और भारत की बड़ी सेना के आधुनिकीकरण को स्थगित किया जा सकता था। यही कारण है कि मोदी के कार्यकाल में छह वर्ष तक भारत का रक्षा बजट कम होता रहा। ऐसा तब था जब एक रैंक, एक पेंशन का चुनावी वादा लागू होने के बाद पेंशन बिल में इजाफा हुआ। मोदी सरकार के पहले दो वर्ष में धीमेपन के बाद अब जीडीपी में गिरावट देखने को मिल रही है। हम केवल अनुमान ही लगा सकते हैं कि मई 2014 में मोदी ने अनुमान लगाया होगा कि पाकिस्तान कभी ताकत के बल पर कश्मीर छीनने की बात सोच भी नहीं सकता।
जिस तरह पाकिस्तान कभी भारत की सेना का मुकाबला नहीं कर सकता, वैसे ही भारत भी निकट भविष्य में चीन का मुकाबला करने की सोच भी नहीं सकता। परंतु भारी व्यापार अधिशेष के साथ भारत में चीन के आर्थिक हित बढ़ते जा रहे थे। उसने शेयरों में भी काफी निवेश किया था। सन 2017 की गर्मियों में डोकलाम की घटना तक लगा नहीं था कि चीन अपना ही खेल खराब करने की बेवकूफी करेगा।
शुरुआत में मोदी ने पाकिस्तान और चीन दोनों से करीबी बढ़ाई। 25 दिसंबर, 2015 को नवाज शरीफ से मिलने के लिए अचानक पाकिस्तान में उतरना पूरी तरह उनका निर्णय था। अचानक लिए गए इस निर्णय ने विदेश मंत्रालय तक को चौंका दिया था। मोदी मानते थे कि डॉ. मनमोहन सिंह पाकिस्तान में अपने पुश्तैनी गांव इसलिए नहीं जा पाए क्योंकि अधिकारियों ने उन्हें ऐसा करने से मना किया।
वह मनमोहन सिंह नहीं थे और जहां चाहे जा सकते थे। परंतु जल्दी ही उन्हें उसी तरह गलती का अहसास हुआ जैसे इंदिरा गांधी के बाद उनके नौ पूर्ववर्तियों को हुआ था: पाकिस्तान में असली ताकत निर्वाचित नेता के बजाय कहीं और केंद्रित है। इसके बाद उन्होंने रुख बदला और पाकिस्तान को दोबारा शत्रु की श्रेणी में डाल दिया। इसका फायदा उन्हें घरेलू राजनीति में भी मिला और समर्थकों और आरएसएस को भी यह रास आया। वह मान कर चल रहे थे कि पाकिस्तान सैन्य चुनौती नहीं है। बल्कि वह घरेलू राजनीति में अवसर बनकर आया। उड़ी, सर्जिकल स्ट्राइक, पुलवामा-बालाकोट इस बात के प्रमाण थे कि यह राजनीतिक रणनीति कारगर थी। 2017 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव और 2019 में लोकसभा चुनाव जीतने में पाकिस्तान उनके काम आया।
चीन को लेकर उनका रुख अलग तरह का रहा। उन्होंने शी चिनफिंग को अपने गृह राज्य बुलाया और व्यक्तिगत रूप से सांस्कृतिक और ऐतिहासिक रिश्ते कायम किए। उन्होंने याद किया कि चीनी यात्री व्हेन सांग भारत के तट पर उतरने के बाद पहले उनके गांव वडनगर पहुंचे थे। व्हेन सांग शी के गृह नगर श्यान में भी रह चुके थे। व्यक्तिगत समीकरण, गहरी दोस्ती, व्यापार और निवेश से जुड़े लाभ को देखते हुए माना गया कि इन सबको देखते हुए चीन की ओर से कोई चुनौती नहीं है। चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) लगातार लद्दाख के चूमर क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा का उल्लंघन कर रही थी। तब माना गया कि शायद यह पीएलए के जनरलों की कारस्तानी हो और चिनफिंग को यह जानकारी न हो। यह सोच पाकिस्तान के साथ जुड़े अनुभवों का परिणाम था। लेकिन भ्रम तब टूटा जब चूमर के घटनाक्रम में शामिल जनरलों को दंडित करने के बजाय पदोन्नत किया गया।
एक के बाद एक शिखर वार्ताएं चलती रहीं। डोकलाम एक चेतावनी थी लेकिन वुहान बैठक ने फिर यह धारणा मजबूत की कि चीन से कोई प्रत्यक्ष सैन्य खतरा नहीं है। पाकिस्तान की अपनी सीमा थी इसलिए सैन्य व्यय को रोके रखा गया।
कुछ नई चिंताएं अवश्य थीं और इसके चलते राफेल खरीद प्रक्रिया में तेजी लाई गई। इसके बावजूद वायुसेना द्वारा मांगे गए 65 से घटाकर खरीदे जाने वाले विमानों की तादाद 36 कर दी गई। यही कमी इसी भरोसे पर की गई कि युद्ध की कोई आशंका नहीं है। बालाकोट हमला और इसके बाद हुई झड़प से यह स्पष्ट हो गया कि भारत ने बढ़त गंवानी शुरू कर दी है। पाकिस्तानी वायु सेना ने बियॉन्ड विजुअल रेंज (बीवीआर) मिसाइल हासिल कर भारत को पीछे छोड़ दिया। एयरबोर्न अर्ली वार्निंग (एईडब्ल्यू) संसाधनों के मामले में वह भारत से आगे निकल गया। परंतु इसे पाकिस्तान के संदर्भ में ही देखा गया। हालांकि सीमा पर बुनियादी ढांचे का विकास तेज हुआ लेकिन वह चीन को ध्यान में रखकर नहीं किया जा रहा था। यह मामला इस वर्ष 20 अप्रैल तक प्राथमिकता में नहीं था जब चीन ने हिंसात्मक घटनाओं के साथ काफी हद तक घुसपैठ भी की। चीन ने ऐसा क्यों किया? यह समय क्यों चुना? क्या कश्मीर के हालात में बदलाव और अक्साई चिन पर दावा दोहराने से चीन को उकसावा मिला?
यहां हम मूल मुद्दे पर लौटते हैं। मोदी ने नेहरू के समान रणनीतिक चूक की और सोचा कि अभी युद्ध नहीं हो सकता और आर्थिक हितों को देखते हुए चीन से कोई सैन्य जोखिम नहीं है। परंतु हमने इसे आधी गलती क्यों कहा?
क्योंकि उनका यह सोचना सही था कि पारंपरिक युद्ध असंभव है। यानी वह आधे सही थे। परंतु शांति स्थापना को लेकर उनकी समझ गलत थी। भारत को संप्रग सरकार के एक दशक के अनिर्णय के बाद रक्षा बजट बढ़ाना पड़ा। हमारे क्षेत्र में शांति के लिहाज से अहम यह है कि पाकिस्तान पर श्रेष्ठता कायम रखी जाए और चीन के साथ प्रतिरोधक रुख बनाए रखा जाए। परंतु सैन्य क्षमता में निवेश की कमी से दोनों बातें प्रभावित हुईं।
चीन की इन बातों पर नजर थी। वाजपेयी-ब्रजेश मिश्रा की दबाव की कूटनीति को याद कीजिए। इसमें पाकिस्तान पर भारत की निर्णायक सैन्य श्रेष्ठता की बात भी शामिल थी। उन्होंने यह भी कहा था कि दबाव की कूटनीति की सफलता के लिए युद्ध का खतरा एकदम वास्तविक लगे। शायद चीन लद्दाख में हमारे साथ वही कर रहा है। हमारी सेना ने कैलास क्षेत्र में जो जवाब दिया है उससे स्पष्ट है कि यह 1962 का भारत नहीं है। परंतु हालिया समझौतों के बाद जब हम अमेरिका से आपात परिस्थितियों में जाड़े का पहनावा खरीदते हैं तो हम एक बार फिर भूल ही करते हैं।

अमेरिकी बॉन्डचीननरेंद्र मोदीनिर्यातपूर्वी लद्दाखयुआनरणनीतिक
FacebookTwitterLinkedInWhatsAppEmail

संबंधित पोस्ट

  • संबंधित पोस्ट
  • More from author
आज का अखबार

साप्ताहिक मंथन : पूंजी पर कर

March 24, 2023 9:53 PM IST
आज का अखबार

गति श​क्ति को असरदार बनाने में निजी क्षेत्र हो सकता है मददगार

March 24, 2023 9:30 PM IST
आज का अखबार

वैश्विक उठापटक के बीच भारत सुरक्षित स्थिति में

March 24, 2023 9:22 PM IST
आज का अखबार

संतुलन बनाने का प्रयास

March 23, 2023 11:36 PM IST
अन्य समाचार

Kitty O’Neil: 70 के दशक की खतरों से खेलने वाली स्टंट वुमेन को गूगल ने किया याद, बनाया स्पेशल डूडल

March 24, 2023 11:13 AM IST
अंतरराष्ट्रीय

World Bank president नॉमिनी अजय बंगा दिल्ली में कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए

March 24, 2023 10:08 AM IST
अंतरराष्ट्रीय

अजय बंगा भारत में, मोदी से मिलेंगे

March 24, 2023 9:53 AM IST
अंतरराष्ट्रीय

सीईपीए की समीक्षा करेंगे भारत और यूएई

March 24, 2023 9:28 AM IST
अंतरराष्ट्रीय

भारतीय कंपनियों में अल्पांश हिस्सेदारी होने पर ही लग सकेंगे चीन के कारखाने

March 23, 2023 9:46 PM IST
अंतरराष्ट्रीय

‘हाइब्रिड’ वर्क कल्चर के बावजूद भारतीय प्रोफेशनल्स क्यों जाना चाहते हैं ऑफिस… LinkedIn के सर्वे में सामने आई ये बात

March 23, 2023 5:05 PM IST

Trending Topics


  • Stocks To Watch
  • Share Market Today
  • Hindenburg | Jack Dorsey
  • DDMA | Mock Drill on Earthquake
  • Narendra Modi
  • Google Doodle
  • Corona Update
  • Rupee vs Dollar

सबकी नजर


ऑप्शंस पर STT बढ़ने से घटेगा वॉल्यूम

March 24, 2023 11:32 PM IST

RBI के बोर्ड ने वैश्विक घटनाओं के पड़ने वाले प्रभाव की समीक्षा की

March 24, 2023 11:30 PM IST

लॉकडाउन की दर्दनाक दास्तां के तीन साल बीते मगर सतर्कता बरतें

March 24, 2023 11:29 PM IST

भारत के साथ संबंध सुधारेगा पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया, ग्रीन टेक्नोलॉजी पर होगा विशेष ध्यान

March 24, 2023 11:29 PM IST

भारत में वित्त वर्ष-24 में 33 फीसदी गिर सकता है यूरिया का आयात

March 24, 2023 11:28 PM IST

Latest News


  • ऑप्शंस पर STT बढ़ने से घटेगा वॉल्यूम
    by खुशबू तिवारी
    March 24, 2023
  • RBI के बोर्ड ने वैश्विक घटनाओं के पड़ने वाले प्रभाव की समीक्षा की
    by बीएस संवाददाता
    March 24, 2023
  • लॉकडाउन की दर्दनाक दास्तां के तीन साल बीते मगर सतर्कता बरतें
    by बीएस संवाददाता
    March 24, 2023
  • भारत के साथ संबंध सुधारेगा पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया, ग्रीन टेक्नोलॉजी पर होगा विशेष ध्यान
    by शाइन जेकब
    March 24, 2023
  • भारत में वित्त वर्ष-24 में 33 फीसदी गिर सकता है यूरिया का आयात
    by संजीब मुखर्जी
    March 24, 2023
  • चार्ट
  • आज का बाजार
57527.10 
IndicesLastChange Chg(%)
सेंसेक्स57527
-3980.69%
निफ्टी57527
-3980%
सीएनएक्स 50014279
-1250.87%
रुपया-डॉलर82.62
--
सोना(रु./10ग्रा.)51317.00
0.00-
चांदी (रु./किग्रा.)66740.00
0.00-

  • BSE
  • NSE
CompanyLast (Rs)Gain %
ITI97.8411.19
Cyient1001.556.36
Minda Corp210.854.93
Adani Green1030.004.84
GE Shipping Co623.903.94
Zydus Wellness1531.353.89
आगे पढ़े  
CompanyLast (Rs)Gain %
ITI98.2012.04
Cyient1001.206.05
Adani Green1029.354.78
GE Shipping Co624.453.87
Adani Transmissi1124.553.70
Zydus Wellness1524.553.64
आगे पढ़े  

# TRENDING

Stocks To WatchShare Market TodayHindenburg | Jack DorseyDDMA | Mock Drill on EarthquakeNarendra ModiGoogle DoodleCorona UpdateRupee vs Dollar
© Copyright 2023, All Rights Reserved
  • About Us
  • Authors
  • Partner with us
  • Jobs@BS
  • Advertise With Us
  • Terms & Conditions
  • Contact Us