मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज का मानना है कि भारत के आईटी सेक्टर में अगला बड़ा उछाल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी AI की वजह से आएगा। भले ही अभी टेक्नोलॉजी पर खर्च कमजोर है और तुरंत सुधार के साफ संकेत नहीं दिख रहे हैं, लेकिन ब्रोकरेज का कहना है कि AI से जुड़ी सेवाओं की मांग धीरे-धीरे आकार ले रही है। कंपनियां अब AI को सिर्फ प्रयोग के तौर पर नहीं, बल्कि बिजनेस में बड़े स्तर पर अपनाने की तैयारी कर रही हैं।
AI से जुड़ी इस नई मांग का फायदा उठाने के लिए मोतीलाल ओसवाल ने कुछ कंपनियों को चुना है। बड़ी आईटी कंपनियों में HCLTech और Tech Mahindra को अपनी पसंद बताया है, जबकि मिडकैप कंपनियों में Hexaware और Coforge को AI थीम पर मजबूत प्लेयर माना है।
ब्रोकरेज का कहना है कि OpenAI और Claude जैसी बड़ी AI कंपनियां अब आईटी सर्विस कंपनियों के साथ मिलकर काम कर रही हैं। इसका मतलब है कि AI सिर्फ मशीन या सॉफ्टवेयर तक सीमित नहीं रह गई है, बल्कि उससे जुड़ी सेवाएं भी अब शुरू हो रही हैं। आने वाले छह महीनों में ऐसी साझेदारियां और बढ़ सकती हैं और 2026 से कंपनियों में AI से जुड़ा काम और ज्यादा बढ़ने की उम्मीद है।
मोतीलाल ओसवाल के मुताबिक, अभी के कुछ महीनों में आईटी सेक्टर पर दबाव बना रह सकता है क्योंकि क्लाइंट खर्च टाल रहे हैं और 2026 के बजट का इंतजार कर रहे हैं। जनवरी 2026 के बाद प्लानिंग साइकल दोबारा शुरू होगी। इसके बाद 2026 की दूसरी छमाही में कंपनियां AI प्रोजेक्ट्स को पायलट से आगे बढ़ाकर बड़े पैमाने पर लागू करना शुरू करेंगी। 2027 की दूसरी छमाही में इन AI डील्स का असर कंपनियों की कमाई में दिखने लगेगा और 2028 तक AI सेवाएं पूरे सेक्टर की ग्रोथ को तेज कर सकती हैं।
ब्रोकरेज का कहना है कि GenAI आने से आईटी कंपनियों के कुछ पुराने काम, जैसे सॉफ्टवेयर बनाना और उसका मेंटेनेंस, धीरे-धीरे कम होंगे। अगले तीन-चार साल में इन कामों से होने वाली कमाई में करीब 10 से 12 फीसदी की कमी आ सकती है। लेकिन इसके साथ ही AI को कंपनियों में लगाने, सिस्टम से जोड़ने और डेटा से जुड़े नए काम तेजी से बढ़ेंगे। मोतीलाल ओसवाल का मानना है कि जैसे पहले क्लाउड टेक्नोलॉजी से शुरुआत में नुकसान हुआ था, लेकिन बाद में उससे नए और बड़े मौके बने, वैसे ही AI भी आगे चलकर पूरे आईटी सेक्टर की कमाई और बढ़ाएगा।
AI आने से काम करने का तरीका ज्यादा आसान और ऑटोमेटेड हो जाएगा। इससे बड़ी आईटी कंपनियों की जो पहले से बढ़त थी, वह कुछ कम हो सकती है। ऐसे में जिन मिडकैप कंपनियों को अपने काम और इंडस्ट्री की अच्छी समझ है और जिनकी अच्छी पार्टनरशिप है, वे भी बड़ी कंपनियों से मुकाबला कर पाएंगी। लेकिन जो बहुत बड़े और मुश्किल प्रोजेक्ट होंगे, वे अभी भी ज्यादातर बड़ी आईटी कंपनियों को ही मिलने की संभावना है।
मोतीलाल ओसवाल का कहना है कि आईटी सेक्टर की कमजोर मांग, कर्मचारियों को छुट्टी पर भेजना और डील्स में देरी जैसी बुरी खबरें पहले ही शेयर के दामों में दिख चुकी हैं। अगर हालात और ज्यादा खराब नहीं होते, तो अब शेयरों में ज्यादा गिरावट आने की संभावना कम है। ब्रोकरेज के मुताबिक तीसरी तिमाही (Q3) में कोई बड़ा बदलाव नहीं दिखेगा। असली स्थिति मार्च–अप्रैल 2026 में साफ होगी, जब कंपनियां 2026 के लिए अपना आईटी बजट तय करेंगी और AI से जुड़े शुरुआती नतीजे सामने आने लगेंगे।
ब्रोकरेज का मानना है कि अभी आईटी सेक्टर के शेयर काफी नीचे के स्तर पर हैं और अब नुकसान का खतरा कम है। अगर AI की वजह से सेक्टर में सुधार शुरू होता है, तो स्टॉक्स में अच्छा उछाल देखने को मिल सकता है। इसी उम्मीद में मोतीलाल ओसवाल ने 2028 की कमाई को देखते हुए शेयरों के नए टारगेट प्राइस तय किए हैं और सेक्टर की वैल्यूएशन को करीब 20 फीसदी तक बढ़ाया है।
डिस्क्लेमर: यहां दी गई राय ब्रोकरेज की है। बिज़नेस स्टैंडर्ड इन विचारों से सहमत होना जरूरी नहीं समझता और निवेश से पहले पाठकों को अपनी समझ से फैसला करने की सलाह देता है।