गत सप्ताह दुनिया की दो बड़ी अर्थव्यवस्थाओं जापान और यूनाइटेड किंगडम ने कहा कि लगातार दो तिमाहियों से उनके सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि ऋणात्मक है। आमतौर पर अर्थशास्त्री इसे अर्थव्यवस्था के मंदी में जाने का संकेत मानते हैं। इसकी वजह से जापान शायद सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की सूची में नीचे फिसल जाए। जर्मनी […]
आगे पढ़े
चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर 2023) में आए 3,233 सूचीबद्ध कंपनियों के नतीजे बताते हैं कि खपत अभी भी कम है लेकिन सुधार के कुछ संकेत हैं और कॉर्पोरेट निवेश में सुधार हो रहा है। विशुद्ध बिक्री में पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि की तुलना में केवल सात फीसदी का इजाफा हुआ […]
आगे पढ़े
भारतीय रिजर्व बैंक 2022 के उत्तरार्द्ध से ही प्रायोगिक स्तर पर केंद्रीय बैंक की डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) जारी कर रहा है। खुदरा क्षेत्र में ब्लॉकचेन तकनीक पर आधारित सीबीडीसी-आर को एक सीमित उपयोगकर्ता समूह (सीयूजी) के बीच जारी किया गया था जिसमें भाग लेने वालों में ग्राहक और व्यापारी शामिल हैं। प्रायोगिक तौर पर जारी […]
आगे पढ़े
सर्वोच्च न्यायालय के पांच न्यायाधीशों के संवैधानिक पीठ ने देश में चुनावी चंदे में आवश्यक पारदर्शिता लाने वाला निर्णय सुनाते हुए छह वर्ष पुरानी चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक करार देते हुए उस पर रोक लगा दी। उसने अपने निर्णय में कहा कि यह बॉन्ड संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) में निहित सूचना के अधिकार का […]
आगे पढ़े
केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में प्रस्तुत श्वेत पत्र में इस बात पर जोर दिया गया है कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) सरकार के कार्यकाल के 10 वर्षों में देश का आर्थिक प्रदर्शन संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) सरकार के 10 वर्षों (2004-14) की तुलना में बेहतर रहा है। जैसा कि इस संदर्भ में इस समाचार […]
आगे पढ़े
सरकार की उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना देश की औद्योगिक नीति के सबसे करीब है। कई पीएलआई कार्यक्रम उन क्षेत्रों के लिए भी तैयार किए गए जिनके बारे में सरकार मानती है कि वे देश के विकास और आर्थिक सुरक्षा के लिए प्रासंगिक हैं। इनमें से कुछ सीधे तौर पर पर्यावरण के अनुकूल बदलाव […]
आगे पढ़े
बजट सत्र के दौरान यह एक किस्म की परिपाटी सी बन गई है कि दक्षिण भारत के कुछ राज्यों की सरकारों ने करों में अपनी हिस्सेदारी को लेकर आपत्ति जताई है यानी केंद्र सरकार के राजकोषीय संघवाद पर प्रश्नचिह्न लगाया है। उनकी शिकायत नई नहीं है लेकिन हाल के वर्षों में उसके साथ अतिरिक्त राजनीतिक […]
आगे पढ़े
इसमें दो राय नहीं कि 2013-14 में भारत की अर्थव्यवस्था मुश्किल हालात से दो-चार थी। वह संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के दूसरे कार्यकाल का अंतिम वर्ष था और तब से अब तक हालात में सुधार हुए हैं। ऐसे में केंद्र सरकार द्वारा गत सप्ताह प्रस्तुत श्वेत पत्र की बहुत सीमित नीतिगत प्रासंगिकता है। भारत की […]
आगे पढ़े
सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने हाल ही में उद्योगों के वार्षिक सर्वेक्षण (एएसआई) के वर्ष 2020-21 और 2021-22 के आंकड़े जारी कर दिए। ध्यान देने वाली बात है कि दोनों वर्षों में देश की अर्थव्यवस्था कोविड-19 महामारी से मची उथल पुथल से जूझ रही थी। बहरहाल, परिणाम दिखाते हैं कि देश का विनिर्माण क्षेत्र […]
आगे पढ़े
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने 2024 की अपनी पहली बैठक में नीतिगत रीपो दर और अपने रुख दोनों को अपरिवर्तित रखा। उसने नीतिगत रीपो दर को 6.5 फीसदी के स्तर पर ही बने रहने दिया। इस यथास्थिति की वजह एकदम साफ है। एमपीसी का इरादा उपभोक्ता मूल्य सूचकांक […]
आगे पढ़े