वित्त वर्ष 24 की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च 2024) के कंपनियों के नतीजों से संकेत मिलते हैं कि कॉरपोरेट जगत की वृद्धि में सुधार, मार्जिन में कुछ बढ़त के साथ जारी है।
हालांकि, बैंक और वित्तीय जगत की कंपनियों का समूचे लाभ में बड़ा हिस्सा है और ऊर्जा क्षेत्र में प्रभुत्व रखने वाले सार्वजनिक क्षेत्र के कई बड़े उद्यमों ने अभी तक अपने नतीजे घोषित नहीं किए हैं। इसलिए कुछ प्रमुख क्षेत्रों का रुझान अभी शायद उतना स्पष्ट नहीं है।
कुल मिलाकर देखें तो वित्त वर्ष 24 की चौथी तिमाही में कम से कम 1 करोड़ बिक्री वाली 1,040 सूचीबद्ध कंपनियों ने अपने नतीजे घोषित किए हैं।
उन्होंने शुद्ध बिक्री में 10 फीसदी की बढ़त, एबिट्डा (ब्याज, कर, मूल्यह्रास और परिशोधन से पहले की आय) में 21 फीसदी की वृद्धि और कर बाद मुनाफे यानी पीएटी में 18 फीसदी की वृद्धि दर्ज की है।
बैंकों, अन्य वित्तीय कंपनियों और तेल कंपनियों जैसे अस्थिर क्षेत्रों के अलावा बाकी सभी कंपनियों ने बिक्री में 7.8 फीसदी, एबिट्डा में 13 फीसदी और पीएटी में 17.7 फीसदी की बढ़त दर्ज की है। गौर करने की बात यह है कि बैंकों ने ब्याज आय में 24.5 फीसदी और पीएटी में 46 फीसदी की वृदि्ध हासिल की है।
कई तिमाहियों तक अर्थव्यवस्था सरकारी व्यय से संचालित हो रही है, जबकि इस दौरान खपत की मांग कम रही। अभी यह स्पष्ट नहीं है कि इस हालत में बदलाव आ रहा है या नहीं। अगर बड़े उपभोग को देखें तो वाहन क्षेत्र में वास्तव में ऊंची मांग देखी जा रही है, इसमें इकाई मात्रा के आधार पर बिक्री बेहतर हुई है और औसत बिक्री कीमत में भी सुधार हो रहा है।
वाहन क्षेत्र में चौथी तिमाही में यह देखा गया कि मारुति के साथ ही हीरो, बजाज ऑटो और टीवीएस जैसी दोपहिया दिग्गज कंपनियों ने भी मजबूत प्रदर्शन किया है। दोपहिया वाहन क्षेत्र और मारुति में मात्रा के आधार पर अच्छी बिक्री को आमतौर पर उपभोग संबंधी मांग का अच्छा संकेत कहा जाएगा।
हालांकि टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुओं (FMCG) के क्षेत्र का प्रदर्शन भी खपत मांग का व्यापक संकेत माना जाता है, और वहां के नतीजे बहुत प्रभावशाली नहीं हैं।
इस समूचे क्षेत्र की बिक्री में 7 फीसदी का इजाफा हुआ है, लेकिन गोदरेज कंज्यूमर की वजह से लाभप्रदता पर विपरीत असर रहा, जिसने मुद्रा संकट की वजह से विदेशी कामकाज में बड़ी क्षति देखी है। अगर इसे समायोजित कर लें तो एबिट्डा में 12 फीसदी और पीएटी में 13 फीसदी की बढ़त दिखती है।
हालांकि ज्यादातर कंपनियों ने कम मात्रात्मक वृदि्ध दर्ज की है और कीमतों में बढ़त की वजह से उनके नतीजे बेहतर दिख रहे हैं। आईटी और फार्मा, दो ऐसे क्षेत्र हैं जिन्हें निर्यात का अग्रदूत माना जाता है।
आईटी कंपनियों (IT Companies) ने सतर्क अनुमान जारी किए हैं जैसा कि उन्होंने पिछली पांच तिमाहियों में किया था। स्थिर मुद्रा के आधार पर उनकी बिक्री में 3 फीसदी, एबिट्डा में 8 फीसदी और पीएटी में 9 फीसदी की बढ़त हुई है। कर्मचारियों की संख्या में कटौती जारी है।
फार्मा क्षेत्र ने इससे काफी बेहतर प्रदर्शन किया है। स्थिर मुद्रा के आधार पर उनकी बिक्री में 8 फीसदी, एबिट्डा में 34 फीसदी और पीएटी में 50 फीसदी का इजाफा हुआ है।
चीन के वुहान प्रांत (जो कि दवाओं के उत्पादन का एक प्रमुख केंद्र है) पर हुए कोविड के असर की वजह से कच्चे माल और आपूर्ति श्रृंखला से जुड़ी चिंता काफी हद तक दूर हो गई है। बुनियादी ढांचा विकास पर जोर देने की नीति का यह मतलब है कि निर्माण कंपनियों की तरफ से सीमेंट व स्टील जैसी निर्माण सामग्री की अच्छी मांग है।
हालांकि, आम चुनावों की वजह से सरकारी निविदाओं में कमी आई है जिसका असर वित्त वर्ष 25 की पहली तिमाही में दिखेगा।
उदाहरण के लिए इस्पात उद्योग में कम लाभ और एबिट्डा के साथ बिक्री सपाट रही है, क्योंकि वैश्विक स्तर पर इस्पात की कीमतों में गिरावट आई है।
इसलिए वित्त वर्ष 24 की चौथी तिमाही के नतीजे थोड़े उत्साहजनक हैं। इनसे यह संकेत मिलता है कि आर्थिक वृदि्ध जारी रहेगी और खपत की मांग में सुधार हो सकता है। लेकिन नरम वैश्विक अर्थव्यवस्था चिंता की एक वजह है क्योंकि इससे सॉफ्टवेयर सेवाओं, इस्पात जैसे कच्चे माल और अन्य उद्योगों की मांग प्रभावित हो रही है।
यही नहीं, हर क्षेत्र में ब्याज की लागत बढ़ गई है- नमूने में शामिल समूचे उद्योग ने ब्याज लागत में 30 फीसदी की बढ़त की जानकारी दी है और इससे ऐसे उद्योगों की लाभप्रदता भी प्रभावित हो रही है जहां अन्य कच्चे माल की कीमतों में नरमी आई है।