facebookmetapixel
AI कंपनियों में निवेश की होड़: प्रोसस ने भारत में बढ़ाया अपना इन्वेस्टमेंट, अरिविहान और कोडकर्मा भी शामिलBalaji Wafers की 10% हिस्सेदारी खरीदने की होड़, कई दिग्गज PE फर्में दौड़ मेंडेरी सेक्टर पर अमेरिकी रुख में नरमी का संकेत, प्रीमियम चीज पर जोरदेश का स्मार्टफोन निर्यात ₹1 लाख करोड़ के पार, PLI स्कीम से भारत बना ग्लोबल मोबाइल हबसरकार का बड़ा कदम: डेटा सेंटर डेवलपर्स को 20 साल तक टैक्स छूट का प्रस्तावनिवेशकों के लिए अलर्ट: चांदी बेच मुनाफा कमाएं, साथ ही अपना पोर्टफोलियो भी दुरुस्त बनाएंPM मोदी बोले- ऊर्जा जरूरतों के लिए विदेशी निर्भरता घटानी होगी, आत्मनिर्भरता पर देना होगा जोरEditorial: E20 लक्ष्य समय से पहले हासिल, पर उठे सवाल; फूड बनाम फ्यूल की बहस तेजअमित शाह बोले- हिंदी को विज्ञान-न्यायपालिका की भाषा बनाना समय की जरूरत, बच्चों से मातृभाषा में बात करेंडिजिटल दौर में बदलती हिंदी: हिंग्लिश और जेनजी स्टाइल से बदल रही भाषा की परंपरा

Editorial: RBI की MPC बैठक और यथास्थिति से परे

RBI MPC Meet: भारतीय रिजर्व बैंक की छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की 2024-25 की पहली बैठक अनुकूल आर्थिक माहौल में होने जा रही है।

Last Updated- April 02, 2024 | 9:54 PM IST
RBI Guv Shaktikanta Das

भारतीय रिजर्व बैंक की छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की 2024-25 की पहली बैठक अनुकूल आर्थिक माहौल में होने जा रही है। सोमवार को जारी किए गए आंकड़े दर्शाते हैं कि मार्च में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) का संग्रह, रिफंड के बिना सालाना आधार पर 18.4 फीसदी बढ़ा।

वर्ष का अंत जीएसटी संग्रह में 13.4 फीसदी इजाफे के साथ हुआ। समग्र कर संग्रह के ताजा उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार देखें तो सरकार राजकोषीय घाटे को 2023-24 में सकल घरेलू उत्पाद के 5.8 फीसदी तक रखने के संशोधित आंकड़े को हासिल कर लेगी।

सरकार ने मध्यम अवधि में राजकोषीय मार्ग पर टिके रहने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है जिससे रिजर्व बैंक को आश्वस्ति मिलनी चाहिए। अधिक व्यापक तौर पर देखें तो अब सरकार को उम्मीद है कि मार्च तिमाही में वृद्धि दर 8 फीसदी रहेगी जो 2023-24 की पूरे वर्ष की 8 फीसदी की वृद्धि को बल देगी।

मुद्रास्फीति के मोर्चे पर भी हालात में सुधार हो रहा है। हेडलाइन खुदरा मुद्रास्फीति अभी भी 5 फीसदी के स्तर से कुछ ऊपर है, कोर मुद्रास्फीति 4 फीसदी के लक्ष्य से कम है जिससे केंद्रीय बैंक को राहत मिलनी चाहिए। मौद्रिक नीति समिति के ताजा अनुमानों के मुताबिक हेडलाइन मुद्रास्फीति की दर चालू वित्त वर्ष में औसतन 4.5 फीसदी रह सकती है। कोर मुद्रास्फीति जहां चार फीसदी से नीचे हैं, वहीं हेडलाइन दर को लक्ष्य से ऊपर रखने में खाद्य मुद्रास्फीति का बहुत अधिक योगदान है।

फरवरी में खाद्य मुद्रास्फीति 8.66 फीसदी थी। ध्यान देने की बात है कि खाद्य मुद्रास्फीति ऊपरी स्तर पर है और ऐसा सरकार के सक्रिय हस्तक्षेप के बावजूद है। केंद्र सरकार ने कई खाद्य वस्तुओं के निर्यात और भंडारण सीमा पर अंकुश लगाया है।

उदाहरण के लिए गत सप्ताह सरकार ने कारोबारियों, खाद्य प्रसंस्करण करने वालों तथा प्रमुख खुदरा कारोबारियों से कहा कि वे हर शुक्रवार को गेहूं के अपने भंडार की जानकारी दें क्योंकि 31 मार्च को स्टॉक होल्डिंग सीमा समाप्त हो गई। व्यापार और स्टॉक होल्डिंग पर प्रतिबंध अल्पावधि में मुद्रास्फीति को सीमित रखने में मदद कर सकते हैं लेकिन यह रुख उत्पादन तथा दीर्घावधि में अनाज की उपलब्धता को प्रभावित कर सकता है।

बहरहाल अगर मुद्रास्फीति की दर एमपीसी के अनुमान के अनुसार बढ़ती है और चालू वित्त वर्ष में औसतन 4.5 फीसदी रहती है तो वास्तविक नीतिगत रीपो दर दो फीसदी होगी जिसे ऊंचा माना जा सकता है और यह वृद्धि को प्रभावित कर सकती है। जैसा कि मौद्रिक नीति समिति के एक सदस्य जयंत आर वर्मा ने पिछली बैठक में कहा था, ‘दो फीसदी की वास्तविक ब्याज दर से यह जोखिम पैदा होता है कि वृद्धि को लेकर निराशा का भाव कहीं सही साबित न हो जाए।’

ऐसे में क्या मौद्रिक नीति समिति को नीतिगत दरों में कटौती पर विचार करना चाहिए़? जैसा कि अधिकांश बाजार प्रतिभागियों का अनुमान है, इस मुकाम पर यथास्थिति बरकरार रखना समझदारी भरा होगा और इसकी कम से कम तीन मजबूत वजह हैं।

पहला, देश में आम चुनाव हो रहे हैं और ऐसे में प्रतीक्षा करना उचित होगा। दूसरा, कोर मुद्रास्फीति जहां सहज स्तर पर है, वहीं हेडलाइन दर खाद्य महंगाई के कारण लक्ष्य से काफी ऊपर है और वह अस्थिरता ला सकती है। तीसरा, अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने संकेत दिया है कि वह इस वर्ष नीतिगत दरों में कटौती करेगा लेकिन यह देखना होगा कि आने वाले महीनों में हालात कैसे बनते हैं।

यह बात बाहरी स्थिरता के नजरिये से भी महत्त्वपूर्ण है जिसमें हाल के दिनों में उल्लेखनीय मजबूती आई है। कुल मिलाकर चूंकि फिलहाल वृद्धि को लेकर कोई चिंता की बात नहीं है इसलिए मौद्रिक नीति समिति प्रतीक्षा कर सकती है और अपस्फीति की प्रक्रिया को पूरा होने दे सकती है।

First Published - April 2, 2024 | 9:54 PM IST

संबंधित पोस्ट