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Editorial: कम शुल्क दर से बढ़ेगा निर्यात

फिलहाल मोबाइल फोन, चमड़ा, फेरो-निकल, ब्लिस्टर कॉपर और पेट्रोल उत्खनन गतिविधियों समेत कई क्षेत्रों में सीमा शुल्क या तो समाप्त कर दिया गया है या फिर बहुत कम कर दिया गया है।

Last Updated- July 30, 2024 | 9:36 PM IST
कम शुल्क दर से बढ़ेगा निर्यातExports will increase due to lower duty rate

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने करीब 50 उत्पादों पर सीमा शुल्क कम करने का जो निर्णय लिया है वह स्वागतयोग्य है। इसे देश की बाह्य प्रतिस्पर्धा बढ़ाने के प्रयास से जुड़े कदम के रूप में भी देखा जा सकता है। उन्होंने अगले छह महीने में सीमा शुल्क ढांचे की व्यापक समीक्षा की भी घोषणा की।

फिलहाल मोबाइल फोन, चमड़ा, फेरो-निकल, ब्लिस्टर कॉपर और पेट्रोल उत्खनन गतिविधियों समेत कई क्षेत्रों में सीमा शुल्क या तो समाप्त कर दिया गया है या फिर बहुत कम कर दिया गया है। सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि 25 अहम खनिजों को सीमा शुल्क से मुक्त कर दिया गया है। इससे नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में देश की घरेलू उत्पादक क्षमता को मदद मिलेगी और साथ ही अन्य रणनीतिक उद्योगों मसलन रक्षा और ई-मोबिलिटी में भी यह मददगार होगा।

यह बदलाव देश की व्यापार नीति में संरक्षणवाद और आयात प्रतिस्थापन के जगह बना लेने के कई वर्ष बाद आया है। आयात में कमी करने के प्रति झुकाव को 2018 के बजट में ही देखा जा सकता है। घरेलू उद्योगों के संरक्षण और रोजगार निर्माण बढ़ाने के लिए 40 से अधिक आयात पर टैरिफ को बढ़ाया गया। इसमें वाहन कलपुर्जे से लेकर मोमबत्ती और फर्नीचर तक सब शामिल थे।

पहले भारत ने कुछ इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों मसलन मोबाइल फोन के कलपुर्जों, टेलीविजन और माइक्रोवेव ओवन पर आयात शुल्क बढ़ाया। 2010-11 से 2020-21 तक भारत की औसत शुल्क वृद्धि काफी बढ़ गई। देश के टैरिफ लाइन के अनुपात मे 15 फीसदी से अधिक इजाफा हुआ और यह 11.9 फीसदी से बढ़कर 25.4 फीसदी पर पहुंच गई।

सरकार ने सीमा शुल्क को आगे राजस्व जुटाने का उपाय नहीं मानकर बढ़िया किया है। अब यह बात अच्छी तरह स्वीकार्य है कि केवल व्यापारिक खुलापन ही भारत को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में अहम हिस्सेदार बना सकता है। मिसाल के तौर पर स्मार्टफोन और उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में। भारत का मोबाइल फोन निर्यात 2023-24 में 15.6 अरब डॉलर हो गया जबकि 2022-23 में यह 11.1 अरब डॉलर था।

पिछले वर्ष देश ने 102 अरब डॉलर मूल्य के इलेक्ट्रॉनिक सामान का निर्माण किया। इसके बावजूद निर्यात वृद्धि मोटे तौर पर देश में विनिर्माण के बजाय असेंबली तक सीमित है। लीथियम आयन सेल्स या सेमीकंडक्टर चिप्स जैसे घटकों का निर्माण भारत में नहीं हो रहा है। अधिकांश वास्तविक मूल्यवर्द्धन चीन, दक्षिण कोरिया, जापान और वियतनाम जैसे देशों में हो रहा है।

गैर टैरिफ गतिरोध भी ऊंचे हैं। विश्व व्यापार संगठन द्वारा वर्ल्ड टैरिफ प्रोफाइल 2024 में जारी आंकड़े बताते हैं कि भारत एंटी डंपिंग शुल्क लगाने के मामले में अमेरिका के बाद दूसरे स्थान पर है। 2023 में भारत ने 45 एंटी डंपिंग जांच शुरू कीं और 14 मामलों में शुल्क लगाया जबकि देश में 133 एंटी डंपिंग उपायों ने 418 उत्पादों को प्रभावित किया। प्रतिपूरक शुल्क भी बहुत अधिक हैं। 2023 में भारत ने 17 मामलों में प्रतिपूरक शुल्क लगाए जिन्होंने 28 उत्पादों को प्रभावित किया।

एक निर्यातक के रूप में भारत के खिलाफ 173 उत्पादों के मामले में कुल 44 प्रतिपूरक कदम हैं। चाहे जो भी हो रणनीति में बदलाव नजर आ रहा है। विश्व व्यापार संगठन के आंकड़ों के अनुसार भारत की औसत शुल्क दर 2022 के 18.1 फीसदी से कम होकर 2023 में 17 फीसदी रह गई। भारत को हर क्षेत्र में शुल्क कम करने की आवश्यकता है। उम्मीद की जानी चाहिए कि सीमा शुल्क की समीक्षा इस दिशा में अहम कदम होगी। इस बीच भारतीय कारोबारियों को बढ़ती वैश्विक प्रतिस्पर्धा से निपटना होगा। शुल्क दर में कमी प्रतिस्पर्धा बढ़ाने में मददगार होगी।

First Published - July 30, 2024 | 9:32 PM IST

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